उछल कूद

‘लेडी विराट’ के नाम से जानी जाती है यह क्रिकेट खिलाड़ी…

वैसे तो क्रिकेट का खेल भारत के हर गली-महौल्ले में मिल जाता है क्योंकि इस खेल की दीवानगी कुछ ऐसी ही है। हो भी क्यों नहीं दुनिया के क्रिकेट नक्शे पर कई खिलाड़ियों ने अपना लोहा मनवाया है। बात चाहे पुरुष क्रिकेट की हो या महिला क्रिकेट की बहुत से रिकॉर्ड भारतीय खिलाड़ियों के नाम है। हाल ही में भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कई खिलाड़ियों ने क्रिकेट में कई नए रिकॉर्ड कायम किए हैं। उनमें से एक हैं स्मृति मंधाना जिनकी शानदार बल्लेबाजी को देखते हुए लोग उन्हें महिला क्रिकेट टीम का विराट कोहली कहते हैं। विराट की तरह आज वह भी क्रिकेट की दुनिया में शीर्ष पर काबिज है।

स्मृति मंधाना भारतीय महिला क्रिकेट टीम में ओपनर बल्लेबाज की भूमिका निभाती है। न्यूजीलैंड दौरे पर अपने वनडे कॅरियर का चौथा शतक जड़ने वालीं स्मृति का बल्ला पिछले एक साल से विरोधी टीमों के खिलाफ खूब रनों की बारिश कर रहा है। वर्ष 2018 से अब तक खेले गए 15 मैचों में वह दो शतक और आठ अर्धशतक बना चुकी हैं।

जीवन परिचय –
स्मृति मंधाना का जन्म 18 जुलाई, 1996 को मुंबई में हुआ था। परिवार में उनके पिता श्रीनिवास और भाई श्रवण दोनों जिला स्तर तक इस खेल में अपने जौहर दिखा चुके हैं। स्मृति की प्रेरणा भी उनके भाई श्रवण ही बने, जिन्होंने अपने क्रिकेट से ज्यादा फोकस बहन के करियर पर किया। श्रवण ने भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी राहुल द्रविड़ से बल्ले पर ऑटोग्राफ लिया था। यह स्मृति की प्रेरणा बना। वह कभी उस बल्ले से खेलीं नहीं, लेकिन लंबे समय तक वह बल्ला उनके किट बैग का हिस्सा बना रहा।

सपना था कि अपना नाम न्यूज पेपर्स में देखे
किसी की चाहत नहीं होती की वह अपना नाम न्यूज पेपर्स की सुरखी बने। स्मृति हमेशा से कहती थीं, उन्हें अपना नाम एक दिन न्यूज पेपर्स में देखना है। इसके लिए उन्होंने और उनके भाई दोनों ने कड़ी मेहनत की। यह मेहनत रंग लाई।

यूं सफर शुरू हुआ –
केवल नौ साल की उम्र में ही स्मृति को महाराष्ट्र की अडंर-15 की टीम में जगह मिल गई। इसके बाद 11 साल की उम्र में अंडर-19 की टीम में जगह बनाने में कामयाब रहीं। यहां तक के सफर में स्मृति हमेशा अपनी उम्र से आगे चल रही थीं।

अब तक वह एक दाएं हाथ की बल्लेबाज थीं, लेकिन भाई को अपना आदर्श मानते हुए उन्होंने बाएं हाथ से बल्लेबाजी सीखने का फैसला किया। इसके बाद श्रीलंका के खब्बू बल्लेबाज कुमार संगाकारा को फॉलो करना शुरू किया। उनका परिवार हर कदम पर उनके साथ था और उनके मन में था एक दिन अपना नाम रोशन करने का जुनून। कम उम्र में ही स्मृति का खेल देखकर लोग कहते भी थे कि अगर बेटी ऐसे ही खेलती रही तो एक दिन जरूर टीम इंडिया में जगह बनाएगी। आज लोगों की यह बातें और स्मृति का सपना न सिर्फ सच हो चुका है, बल्कि वह कॅरियर के उस मुकाम पर पहुंच चुकी हैं, जहां पहुंचने का सपना हर खिलाड़ी देखता है।

खेल के आगे छोड़ दी 12वीं की परीक्षा
क्रिकेट के प्रति समर्पित स्मृति को अपनी 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं भी छोड़नी पड़ीं। इसका प्रमुख कारण क्रिकेट के प्रति उनका समर्पण और उसी साल टी-20 विश्व कप 2016 का आयोजन हुआ जिसमें उन्होंने शानदार खेल दिखाते हुए, वे इस टूर्नामेंट की टॉप स्कोरर रहीं।
स्मृति सबसे पहले सुर्खियों में 2013 में तब आईं जब वेस्ट जोन अंडर-19 टीम में खेलते हुए गुजरात के खिलाफ वन-डे मैच में महज 150 गेंदों में शानदार 224 रन बनाए। उनके कोच अनंत तांबेवेकर ने भी उन्हें तराशने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वह शिवाजी स्टेडियम में प्रोफेशनल गेंदबाजों को हायर करके स्मृति को अभ्यास करवाते थे।


उन्हें वूमंस बिग बैश लीग (डब्ल्यूबीबीएल) में हरमनप्रीत कौर के साथ जगह मिली। यह दोनों ही भारत की पहली दो महिला क्रिकेट खिलाड़ी हैं, जिन्हें डब्ल्यूबीबीएल के लिए साइन किया गया। हालांकि, घुटने में चोट के कारण उन्हें यह लीग बीच में छोड़नी पड़ी।

विश्व कप 2017 में भी दिखाया दम
चोट के बाद आइसीसी वर्ल्ड कप-2017 में वह फिर मैदान पर उतरीं और ऐसी बल्लेबाजी की कि सब देखते रह गए। 90 रनों की उनकी धुआंधार पारी से इंग्लैंड को हार देखनी पड़ी। इसके बाद वेस्टइंडीज के खिलाफ नाबाद 106 रनों की उनकी पारी ने बता दिया कि चोट से उबरने के बाद लौटीं स्मृति अब विरोधियों के लिए और भी खतरनाक हो चुकी हैं। वह एक बार फिर रन मशीन बन गईं।

Rakesh Singh

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