भारत में निर्मित लड़ाकू विमान तेजस में उड़ान भरने के साथ ही राजनाथ सिंह देश के तीसरे ऐसे रक्षा मंत्री बन गए हैं, जिन्होंने फाइटर जेट में उड़ान भरी हैं। राजनाथ तेजस में उड़ान भरने वाले पहले रक्षा मंत्री हैं। यह लड़ाकू विमान दमदार है और अपनी श्रेणी में पाकिस्तान और चीन के लड़ाकू विमानों को कड़ी टक्कर दे रहा है। तेजस को डीआरडीओ की एरोनॉटिकल डवलपमेंट एजेंसी ने डिजाइन किया है।
इस एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट को इसकी कल्पना के 10 साल बाद वर्ष 1993 में मंजूरी मिली थी। इसे हिंदुस्तान ऐरोनॉटिकल लिमिटेड (एचएएल) ने तैयार किया है। उल्लेखनीय है कि हवा में उड़ान और युद्ध के लिए हल्के फाइटर प्लेन को ज्यादा सफ़ल माना जाता है। भारत का तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) ऐसा ही एक जानदार लड़ाकू विमान है। आइए जानते हैं इस स्वदेशी फाइटर जेट की क्या खूबियां हैं..
भारत में निर्मित तेजस वजन के मामले में हल्का विमान है। क्योंकि इसके निर्माण में कार्बन फाइबर का इस्तेमाल किया गया है। कार्बन फाइबर अन्य धातुओं की तुलना में काफ़ी हल्का होता है। सबसे ख़ास बात यह है कि तेजस हल्का होने के बावजूद भी अन्य विमानों की तुलना में ज्यादा मजबूत है। इसका कुल वजन लगभग 6560 किलोग्राम है। कम वजन का एक फायदा यह भी है कि 50 हजार फीट तक की ऊंचाई पर आसानी से उड़ान भर सकता है। इसके विंग्स 8.2 मीटर चौड़े हैं। तेजस कुल 13.2 मीटर लंबा और 4.4 मीटर ऊंचा है।
एयरक्राफ्ट विशेषज्ञों की मानें तो तेजस पाकिस्तान और चीन द्वारा बनाए गए लड़ाकू विमान जेएफ-17 थंडर से बेहतर ही है। तेजस जहां एक बार में 2300 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। वहीं, थंडर 2307 किलोमीटर उड़ सकता है। तेजस में हवा में ही ईंधन भरने की सुविधा है, जबकि पाक व चीन निर्मित थंडर में ऐसी खूबी नहीं है। मलेशिया समेत कई देश तेजस की क्षमताओं पर फिदा है। तेजस ने अब तक ढाई हजार घंटे का सफ़र तय किया है, जिसमें 3000 से ज्यादा उड़ानें शामिल हैं। इसका परीक्षण करने वाले सभी पायलट कलाबाजी में इसकी कुशलता और इसके फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम से खुश हैं।
तेजस की एक खूबी यह है कि आधे किलोमीटर से भी कम जगह में उड़ान भर सकता है। हाल में तेजस ने अरेस्टेड लैंडिंग टेस्ट पास किया है। इसका मतलब है कि यह विमान युद्धपोत पर भी उतर सकता है। इस लड़ाकू विमान को सेंसर से मिलने व डेटा को प्रोसेस करने वाले मिशन कंप्यूटर का हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर ओपन आर्किटेक्चर फ्रेमवर्क को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। इसका फायदा यह है कि इसे भविष्य में जरूरत के हिसाब से अपग्रेड किया जा सकता है।
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लड़ाकू विमान तेजस की खूबी है कि यह रखरखाव और तैयारी के लिहाज से काफ़ी सस्ता और उपयोगी एयरक्राफ्ट है। इस मामले में यह सुखोई-30 से भी बेहतर नज़र आता है। जानकारी के अनुसार सुखोई-30 के बेड़े में 60 फीसदी से भी कम में ही विमान मिशन के लिए मौजूद रहते हैं, बाकी विमानों की मरम्मत चलती रहती है। तेजस की बात करें तो इसके 70 फीसदी से ज्यादा विमान उड़ान के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
इसके प्रतिशत को बढ़ाने के लिए लगातार काम किया जा रहा है। यह फाइटर जेट भारतीय वायुसेना के लिए मिग-21 का बेहतर विकल्प होगा। बता दें, तेजस भारत में निर्मित है, लेकिन जैसे इसका इंजन अमेरिकी है, रेडार और हथियार इजरायली हैं। वहीं, कई अन्य पुर्जे भी विदेश से लिए गए हैं।
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