हलचल

सपा की इस चुनावी चाल का अंदाजा शायद किसी को नहीं था!

एक आश्चर्यजनक कदम में, समाजवादी पार्टी ने सोमवार 29 अप्रैल को लोकसभा वाराणसी सीट पर अपने उम्मीदवार को बदल दिया और पूर्व सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान तेज बहादुर यादव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मैदान में उतारा।

सपा ने पहले शालिनी यादव को वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र में अपने उम्मीदवार के रूप में नामित किया था जो 19 मई को चल रहे लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में मतदान देखेंगे।

यादव का सामना कांग्रेस के अजय राय से भी होगा, जिनकी उम्मीदवारी 24 अप्रैल को घोषित की गई थी। यादव ने पहले घोषणा की थी कि वह वाराणसी से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 2019 के लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।

पूर्व बीएसएफ जवान हरियाणा के रेवाड़ी का निवासी है और सेना के भीतर सशस्त्र बलों को दी जाने वाली खाने की खराब गुणवत्ता और सेना के भीतर भ्रष्टाचार के बारे में शिकायत करने के बाद उसे 2017 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।

बहादुर ने राजनीति में प्रवेश करने की घोषणा करते हुए बताया कि उन्होंने “भारतीय सेना में भ्रष्टाचार” को समाप्त करने के लिए राजनीति में शामिल होने के बारे में सोचा। पीएम मोदी ने पहले सशस्त्र बलों के राजनीतिकरण की शुरुआत की थी। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ करता था। मैंने वाराणसी को इसलिए चुना है ताकि मैं उनसे खुद की टर्फ पर सवाल कर सकूं कि उसने सशस्त्र बलों का राजनीतिकरण क्यों किया है। उसने सेना के लिए क्या किया है?

तेज बहादुर को बीएसएफ से क्यों बर्खास्त किया गया?

बात 2017 की है जब बीएसएफ के जवान तेजबहादुर यादव का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने जवानों को मिलने वाले खराब खाने के बारे में लोगों को चेताया था। वीडियो में तेजबहादुर यादव ने खाने की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए थे।

वीडियो ने सोशल मीडिया पर तूल पकड़ लिया था और प्रधानमंत्री कार्यालय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और बीएसएफ से मामले की डिटेल रिपोर्ट मांगी थी। इस बीच तेजबहादुर ने वीआरएस के लिए अप्लाई किया था, जिसे स्वीकार नहीं किया गया। बल्कि उन्हें निर्देश दिया गया कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, वे बीएसएफ नहीं छोड़ सकते। इसके विरोध में तेज बहादुर राजौरी स्थित मुख्यालय में भूख हड़ताल पर बैठ गए थे।

19 अप्रैल को तेज बहादुर को अनुशासनहीनता के चलते बर्खास्त कर दिया गया था। निकालने के बाद तेज बहादुर ने कहा था कि वे अपना संघर्ष जारी रखेंगे।

Neha Chouhan

12 साल का अनुभव, सीखना अब भी जारी, सीधी सोच कोई ​दिखावा नहीं, कथनी नहीं करनी में विश्वास, प्रयोग करने का ज़ज्बा, गलत को गलत कहने की हिम्मत...

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