एक चाय बेचने वाला देश का लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बन सकता है, एक चाय बेचने वाले के पढ़ाए सभी बच्चे NEET जैसी कठिन परीक्षा में सफल हो सकते हैं तो यकीन मानिये सब कुछ संभव है लेकिन जरूरत होती है हौसलों, लगन और कठिन परिश्रम की। सब कुछ हासिल किया जा सकता है, सफलता की सीढ़ी चढ़ी जा सकती है इनके दम पर। हाल में यह संभव हुआ कभी चाय बेचने वाले एक टीचर अजयवीर की जिंदग़ी में। आइये जानते हैं क्या है पूरी कहानी..
ओडिशा के रहने वाले अजयवीर ओडिशा में निम्न आय वर्ग के बच्चों को NEET की मुफ्त में कोचिंग देते हैं। सबसे ताज्जुब की बात यह है कि इस साल अजयवीर के सभी 14 स्टूडेंट्स ने नीट 2019 की परीक्षा पास की है। 46 साल के अजयवीर एक शिक्षक के तौर पर बच्चों को एक ही गुरुमंत्र देते हैं। इन युवाओं के जज्बे और अजयवीर की कहानी का बड़ा रिश्ता है। इन बच्चों को पढ़ाने वाले अजयवीर को एक गुरु के तौर इन बच्चों की सफलता का श्रेय जाता है। कभी अजय कभी खुद डॉक्टर बनना चाहते थे। लेकिन विपरीत परिस्थितियों के चलते वो अपना सपना पूरा नहीं कर पाए।
अपने डॉक्टर बनने के सपने को अब बच्चों को पढ़ाकर जीने के लिए अजयवीर ने 2017 में जिंदगी फाउंडेशन की नींव डाली। यही वो जगह है जहां वह जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं। ये कोचिंग बिहार के जाने माने आनंद कुमार की सुपर 30 कोचिंग की तर्ज पर बनी है। जहां ऐसे बच्चों को शिक्षा दी जाती है जो प्रतिभाशाली तो हैं लेकिन आर्थिक संसाधनों की कमी से कोचिंग में पढ़ नहीं पाते। अजयवीर सिंह ने बताया कि उसने शुरू में 18 बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था जिसमें से 12 को ओडिशा के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में सीट मिल गई थी।
जानकारी के अनुसार अजयवीर के पिता एक इंजीनियर थे और वो अपने बेटे को डॉक्टर बनाने की इच्छा रखते थे। लेकिन अजयवीर के स्कूली दिनों में ऐसी स्थिति आ गई कि अजयवीर के पिता को एक गुर्दे के प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ गई। इन कठिन हालातों ने परिवार को अपनी संपत्ति बेचने के लिए मजबूर कर दिया, जिससे वे आर्थिक रूप से मजबूर हो गए। यहां तक कि अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए उन्हें चाय तक बेचनी पड़ी लेकिन, इसी दौरान उन्होंने समाजशास्त्र ऑनर्स से अपनी स्नातक की पढ़ाई भी पूरी की।
अजयवीर का कहना है कि, ‘मैं हमेशा से एक डॉक्टर बनना चाहता था। इसके लिए तैयारी भी कर रहा था। लेकिन मेरी पढ़ाई मेरे पिता की किडनी फेल होने के कारण बाधित हो गई। तब मैंने चाय और शरबत बेचकर अपना काम शुरू किया। इंटरमीडिएट की शिक्षा पूरी करने के बाद, मैं सोडा बनाने की मशीन बेचता था। मैंने अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाया करता था।
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अजयवीर ने बताया कि अपने घर पर वित्तीय संकट पर काबू पाने के बाद मैंने तय किया कि अब मैं जरूरतमंद छात्रों को उनका सपना पूरा करने में अपनी ओर से पूरी मदद करूंगा। वह कहते हैं कि अब मैं अच्छी स्थिति में हूं, तो मुझे लगता है कि मुझे ऐसे असहाय छात्रों को ढूंढना चाहिए जो कोचिंग की मोटी फीस जमा नहीं कर सकते। हमारे यहां फाउंडेशन द्वारा ऐसे ही स्टूडेंट को आवास, भोजन, अध्ययन और चिकित्सा के साथ उनकी प्रतियोगी परीक्षाओं का खर्च वहन किया जाता है। बता दें, अजयवीर ने इस साल 14 छात्रों को पढ़ाया और उन सभी ने NEET परीक्षा पास की। वह कहते हैं कि इन बच्चों को मुफ्त पढ़ाने के बाद मैं बच्चों से बस यही गुरुदक्षिणा चाहता हूं कि वे डॉक्टर बनकर आगे गरीब बच्चों को मुफ्त इलाज देने का काम करे। इससे मुझे बड़ी खुशी मिलेगी।
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