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प्लास्टिक की बोतल से बन रही है टी-शर्ट, रेलवे का पर्यावरण संरक्षण का अनूठा प्रयास

अक्सर रेलवे स्टेशनों, पटरियों पर और ट्रेन के डिब्बों में खाली प्लास्टिक बोतलें देखने को मिल जाती है पर आने वाले समय में हमें ऐसा देखने को नहीं मिलेगा। इसका कारण यह है कि रेलवे पानी की इन खाली प्लास्टिक की बोतलों से टी-शर्ट और टोपी बना रहा है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि ये बोतलें इकट्ठा कौन करेगा, तो रेलवे ने इसका भी एक बहुत शानदार तरीका निकाला है और वह प्लास्टिक की बोतल इकट्ठा करने वाले को प्रति बोतल पांच रुपए देगी। रेलवे के इस कदम से न केवल लोगों को आर्थिक लाभ होगा, बल्कि उसके इस कदम से पर्यावरण को स्वच्छ रखने में भी मदद मिलेगी।

भारत के कई स्टेशनों पर लग चुकी हैं क्रशर वेंडिंग मशीन

खबरों के मुताबिक भारतीय रेलवे के पूर्व मध्य रेलवे जोन के चार स्टेशनों पटना जंक्शन, राजेंद्रनगर, पटना साहिब और दानापुर स्टेशन पर रिवर्स वेंडिंग मशीन लगाई हैं। इस तरह की मशीनें देश के कई रेलवे स्टेशनों पर भी लगाई गई हैं। इनमें स्टेशनों पर बेकार पड़ी खाली प्लास्टिक की बोतलों को क्रश किया जाता है। इस प्लास्टिक से टी-शर्ट और टोपी बनाई जा रही है।

इस जोन के प्रमुख जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) राजेश कुमार के अनुसार, ‘रेलवे स्टेशनों पर बेकार पड़ी खाली पानी की प्लास्टिक बोतलों से पूर्व मध्य रेलवे अब टी-शर्ट बना रही है। इन्हें एकत्रित करने के लिए इन रेलवे स्टेशनों पर बोतल क्रशर मशीन लगा रखी है ताकि इस प्लास्टिक का उपयोग टी-शर्ट बनाने के लिए किया जा सके।’

हर मौसम में उपयोगी

उन्होंने आगे बताया कि, ‘इस प्लास्टिक के उपयोग से बनी टी-शर्ट को किसी भी मौसम में पहना जा सकता है। प्लास्टिक बोतलों के उपयोग से टी-शर्ट बनाने के लिए रेलवे ने मुंबई की एक कंपनी से करार किया है और शीघ्र ही इन प्लास्टिक की बोतलों से बने उत्पाद टी-शर्ट बाजार में लोगों के लिए उपलब्ध होगा।’

उन्होंने टी—शर्ट के प्रति लोगों में उत्साह के बारे में बताते हुए कहा कि हाल ही प्लास्टिक बोतलों से बनी टी—शर्टों की प्रदर्शनी झारखंड की राजधानी रांची में लगाई गई थी, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया। उन्होंने बताया कि रेलवे के इस प्रयोग से स्टेशनों, रेलों और पटरियों पर छोड़े गए प्लास्टिक बोतल, कचरे और प्रदूषण से न केवल रेलवे को मुक्ति मिलेगी बल्कि आसपास का पर्यावरण भी स्वच्छ होगा।

इस तरह मिलेंगे पैसे

भारतीय रेलवे की यह उपयोगी योजना धीरे—धीरे अपना विस्तृत रूप लेने वाली है क्योंकि इसे देश के कई रेलवे स्टेशनों पर क्रशर मशीनें लगाई जा रही हैं। प्लास्टिक बोतलों को इधर—उधर फेंकने की बजाय अब यात्रियों को खाली बोतल को क्रशर मशीन में डालने के लिए पांच रुपये मिलेंगे। इसके लिए यात्री को क्रशर मशीन में बोतल डालते समय अपना मोबाइल नंबर डालना जरूरी है। यह पांच रुपये उन्हें रेलवे की एजेंसी बायो-क्रश की ओर से वाउचर या फिर पेटीएम वॉलेट में मिलेंगे।

यह भारतीय रेलवे के एक अच्छी पहल है और अब लोगों को पर्यावरण और अपनी सेहत के प्रति जागरूकता दिखानी होगी। इस प्रकार लोगों को आर्थिक लाभ के साथ ही प्लास्टिक मुक्त रेलवे स्टेशन आदि मिलना संभव हो सकेगा।

Rakesh Singh

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