उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर की एक याचिका पर सीबीआई से जवाब मांगा है। वर्ष 1984 में हुए सिख विरोधी दंगा मामले में खोखर आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे हैं। हालांकि, कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए याचिका में बलवान खोखर के लिए आठ सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत या पैरोल देने की मांग की गई थी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पूर्व कांग्रेस नेता बलवान खोखर और सज्जन कुमार 17 दिसंबर, 2018 को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सिख विरोधी दंगों में दोषी ठहराए जाने के बाद तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की बेंच ने खोखर के वकील की तरफ से पेश की गई याचिकाओं का संज्ञान लिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के सरकार को दिए सुझाव का हवाला देते हुए कहा गया है कि कोरोना महामारी को रोकने के लिए जेलों में भीड़ कम करने की आवश्यकता है।
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बता दें, न्यायाधीशों की बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से याचिका पर सुनवाई की थी, फिर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सीबीआई का प्रतिनिधित्व करते हुए जवाब दाखिल करने को कहा। इससे पहले बलवान खोखर को 15 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने उनके पिता की मौत के बाद 4 सप्ताह की पैरोल दी थी। वहीं, सिख दंगा पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील एच एस फूलका ने जमानत याचिका का विरोध किया। फिलहाल लॉकडाउन के बीच फूलका पंजाब में अपने पैतृक गांव में रह रहे हैं।
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