समायोजित सकल राजस्व (Adjusted gross revenue) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने टेलीकॉम कंपनियों और सरकार को भुगतान में देरी पर लताड़ा है। जस्टिस अरुण मिश्रा ने याचिकाओं की सुनवाई के दौरान अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि ये याचिकाएं दाखिल नहीं करनी चाहिए थीं। क्या सरकारी डेस्क अफसर सुप्रीम कोर्ट से बढ़कर है, जिसने हमारे आदेश पर रोक लगा दी। अभी तक एक पाई भी जमा नहीं की गई है। हम सरकार के डेस्क अफसर और टेलीकॉम कंपनियों पर अवमानना की कार्रवाई करेंगे। क्या हम सुप्रीम कोर्ट को बंद कर दें? क्या देश में कोई कानून बचा है?
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बावजूद एजीआर की राशि जमा नहीं करवार्ई। हमने एजीआर मामले में समीक्षा याचिका खारिज कर दी, इसके बावजूद पैसा जमा नहीं किया गया। कोर्ट ने आगे कहा कि देश में जिस तरह से चीजें हो रही हैं, इससे हमारी अंतरात्मा हिल गई है। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि ये नोटिफिकेशन कैसे जारी किया कि अभी भुगतान ना करने पर कंपनियों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को अवमानना नोटिस जारी किया।
कोर्ट ने पूछा है कि अब तक खिलाफ अवमानना पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई। कोर्ट ने सभी कंपनियों के एमडी को कोर्ट में उपस्थित होकर यह बताने को कहा कि अब तक बकाया रकम जमा क्यों नहीं कराई गई? सुप्रीम कोर्ट ने 17 मार्च को भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया, रिलायंस कंम्युनिकेशन, टाटा टेलीसर्विसेज और अन्य कंपनियों के एमडी और डेस्क अफसर को तलब किया।
देश की टेलीकॉम कंपनियों की संशोधन याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की। जिसमें टेलीकॉम कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट से अपने उस आदेश में संशोधन करने की गुहार की जिसमें उन्हें केंद्र को 23 जनवरी तक एजीआर की पूरी राशि चुकाने के आदेश दिए गए थे। कंपनियों द्वारा लगाई याचिका में कंपनियों ने अदालत से अनुरोध किया है कि वो अपने पुराने आदेश में संशोधन करे और टेलीकॉम कंपनियों को ये राहत दे कि वो केंद्र सरकार के समक्ष भुगतान के लिए शेड्यूल तैयार कर सके।
दरअसल, 6 जनवरी को देश की टेलीकॉम कंपनियों को तब बड़ा झटका लगा, जब सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों की पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया था। कोर्ट के फैसले के अनुसार 23 जनवरी तक टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर का बकाया चुकाना होगा।
बता दें कि 22 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज ने सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया कि पीठ 24 अक्टूबर, 2019 के उस फैसले पर फिर से विचार करें, जिसमें गैर दूरसंचार आय को भी AGR में शामिल किया गया है। इस फैसले से टेलीकॉम कंपनियों को केंद्र को करीब 1.33 लाख करोड रुपये चुकाने हैं।
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भारती एयरटेल 21,682.13
वोडाफोन-आइडिया 19,823.71
रिलायंस कम्युनिकेशंस 16,456.47
बीएसएनएल 2,098.72
एमटीएनएल 2,537.48
(नोट : राशि करोड़ रुपये में, इसमें जुर्माना और ब्याज शामिल नहीं है।)
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