चलता ओपिनियन

खबर एक, पहलू दो और ऐसे बढ़ेंगी नौकरों की मुश्किलें

कोई जमाना था नौकर अपने मालिकों के लिए अपनी जान तक गवां देते थे, यहां तक कई परिवार तो पीढ़ी-दर-पीढ़ी अपने मालिक की सेवा दिलोजान से करते थे। न मालिकों को कोई शिकायत न नौकर को। यहां तक कि कई मालिक तो अपने नौकरों को परिवार का सदस्य मानते थे। इसके कई उदाहरण मिलते हैं और हमारी फिल्मों में तो कई कहानियां भी बनी है जो समाज में नौकर-मालिक के अच्छे सम्बन्धों को दिखाती है तो उसके नकारात्मक पहलू को भी।
हम मानव है और हम एक सामाजिक व्यवस्था को स्वीकारते हैं जिसमें मानवीय रिश्ते विश्वास पर टिके होते हैं। ऐसा ही कुछ कहता है नौकर और मालिक का सम्बन्ध। पर अब आए दिन ऐसी घटनाएं घटित हो रही है जिससे ये रिश्तें शायद आने वाले समय में हमेशा के लिए खत्म हो जाए। हम किस दिशा में जा रहे हैं, क्योंकि अब मानव-मानव पर विश्वास नहीं करता। यहां तक कि एक ही परिवार के सगे भाई अपने भाई पर विश्वास नहीं करते, ऐसे में एक मालिक अपने नौकर पर विश्वास कैसे करे?
ऐसी एक घटना कोटा के भीमगंज मंडी इलाके में घटित हुई। जिसमें कुछ समय मालिक के यहां नौकरी की और उसी घर में डकैती व मर्डर को अंजाम दिया और बाद में पकड़े भी गए। ऐसी ही कई घटनाएं यही कहती है कि किस पर विश्वास करे?
पहले नौकर-मालिक के बीच व्यवहार को लेकर खींचातान हुआ करती थी, नौकर कहता है मालिक के दुर्व्यवहार के कारण मैंने ऐसा किया। मालिक कहता है नौकर कामचोर था या कोई भी कमी। यह खींचातान यही तक सिमट कर रह जाती थी।
परन्तु वर्तमान में तो नजरिया ही बदल गया है और इसने लूट-डकैती व मर्डर का रूप धारण कर लिया है। जोकि आज के दौर में गलत है।
पर दोनों ही नजरिये से मानव के नैतिक, आर्थिक व सामाजिक पतन हो रहा है।

इस घटना ने कई प्रश्न हमारे सामाने लाकर खड़े कर दिये हैं –

  • आखिर क्या कारण है जो एक नौकर मालिक के परिवार के लिए काल बन जाता है?
  • क्या कारण है कि लोग घरों में इतनी बड़ी नकद रकम रखते हैं?
  • क्या आने वाले समय में लोग अपनी सुरक्षा के लिए मानव के स्थान पर तकनीक का सहारा लेंगे?
  • कहीं कम मेहनताना तो कारण नहीं?
  • कहीं मालिक का व्यवहार तो दोषी नहीं?
  • या चोरी करना नौकरों का पेशा बन गया?
  • क्या वाकई लोग टैक्स बचाने के लिए बड़ी रकम नकद घरों में रखते हैं?

बहुत से प्रश्न हैं जिनका जवाब न तो जनता चाहती है और न ही वे लोग जो पूरे अर्थ तंत्र को चलाते हैं यहां तक कि सरकार भी नहीं।
सरकार ने कभी यह नहीं जानने कि कोशिश की, कि आखिर अपराध के इतने पहलू आपसी समझ से सुलझा सकते हैं। पर वे तो तकनीक से ही सुलझाने में व्यस्त है।

ऐसे बढ़ेंगी नौकरों की मुश्किलें
खैर कारण कुछ भी हो यह आने वाले समय में मानव श्रम के लिए ऐसी घटनाएं घातक सिद्ध होने वाली है और भारत जैसे भरपूर मानव श्रम वाले देश में तो कतई गलत है। ऐसी चोरी-डकैती की घटनाएं यदि रूकी नहीं तो उन लोगों के लिए आने वाले समय में परेशानी का कारण बन सकती है, जो केवल नौकरी मानव श्रम से पाते हैं यानि नौकर बनकर।
देश में घटित इन घटनाओं का विदेशों में मंथन हो रहा है, रिपोर्ट बन रही है कि भारत में नौकर के कारण मालिक को कितनी हानि उठानी पड़ रही है और उसमें भी अपने परिवार के सदस्यों को खोना किसी भी लिहाजे से मानव हित के नहीं है।
विदेशों में हमारी हर घटना का ध्यान रखा जाता है क्योंकि भारत ही एक ऐसा बाजार है जो उनकी तकनीकों को खपाने का सबसे बड़ा बाजार बन सकता है। जी हां हम बात कर रहे हैं बढ़ती तकनीक की, जिसके माध्यम से ऐसे अपराधों पर शिकंजा कसा जा सकता है।
जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस मानव श्रम के लिए बहुत घातक होगी, क्योंकि कोई भी पैसेवाला नहीं चाहेगा कि उस मालिक या व्यापारी की तरह उसके परिवार के साथ ऐसी घटना घटे जो जीवनभर दर्द देती हो।

यही कहानी दोहराई जायेगी उन विदेशी कम्पनियों द्वारा –
देखिए आप अपने नौकरों पर कितना भरोसा कर सकते हैं, आये दिन की ऐसी घटनाओं से कितने ही सम्पन्न परिवारों ने अपने परिवार के सदस्यों को बिना किसी कारण खो दिया। पूरी कहानी एक के बाद एक हमारे सामने पेश की जाएगी।
अब हर नौकर रामू काका की तरह नहीं होते।
हम लाएं हैं ऐसा रोबोट जो आपकी सुरक्षा बेहतर तरीके से करेगा।
युवा के लिए ये घातक संकेत हैं।
बहुत कुछ गलत हो रहा है और हम भारतीय मौन भाव से सब कुछ देख रहे हैं।
कभी नौकर-मालिक के मधुर सम्बन्ध आज मौत का खेल बन गया, कभी युवा देश के लिए जान देने को तैयार थे आज केवल अपने शौक पूरा करने के लिए बड़े अपराधों कोे अंजाम दे रहे हैं। क्यों नहीं सोचता पैसे वाला कि घरों में इतनी बड़ी रकम रखना क्या सही है।
इन सब पर कहीं न कहीं भारत के युवा की बेरोजगारी बड़ा कारण है जो उसे खाली समय और बेकारी में जब कोई राह नहीं दिखती तो दिमाग में ऐसी ही वारदातें घूमती है और आधुनिक जीवन शैली उन्हें ऐसा करने के लिए उकसाती है।
हमें बहुत से पहलुओं पर सोचना है मानव श्रम के लिए। हमें सरकार व अधिकारी वर्ग का सहयोग करना चाहिए। हम छोटे से लोभ के कारण बड़ा खतरा मोल नहीं ले सकते हैं। क्यों नहीं हम ईमानदारी से अपना दायित्व निभाएं?

Rakesh Singh

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