भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मंगलवार 17 दिसंबर को ओडिशा के तट से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया।
ब्रह्मोस मिसाइल के सतह से सतह संस्करण का परीक्षण सुबह करीब 8.30 बजे के चांदीपुर के इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) के लॉन्च कॉम्प्लेक्स-3 में एक मोबाइल ऑटोनॉमस लांचर से किया गया था। मिसालइ ने एक जहाज पर अचूक निशाना लगाया। इस मिसाइल को एक एडवांस स्वदेशी साधक के साथ लॉन्च किया गया था।
यह एक मध्यम दूरी की रैमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे पनडुब्बियों, जहाजों, लड़ाकू जेट या जमीन कहीं से भी लॉन्च किया जा सकता है।
ब्रह्मोस मिसाइल की गिनती दुनिया की तीव्रतम मिसाइलों में की जाती है। यह एक कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इस मिसाइल प्रमुख विशेषता यह है कि इसे जमीन से, हवा से, पनडुब्बी से, युद्धपोत से यानी कहीं से भी दुश्मन पर दागा जा सकता है।
इस मिसाइल का निर्माण रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। यह मिसाइल रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की तकनीक पर आधारित है। इसका नाम ब्रह्मोस भारतीय नदी ब्रह्मपुत्र और रूस की नदी मस्कवा पर रखा गया है।
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