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दिल्ली यूनिवर्सिटी में अब इस तरह से मिलेगा स्टूडेंट्स को प्रवेश, बंद होगा कटऑफ का खेल

राष्ट्रीय राजधानी स्थित दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रवेश के लिए ​हर साल लाखों स्टूडेंट्स आवेदन करते हैं। दिल्ली आकर पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाले अधिकांश स्टूडेंट की चाहत होती है कि उसे डीयू में प्रवेश मिल जाए, लेकिन हर साल हाई कटऑफ के कारण बड़ी संख्या में एडमिशन नहीं हो पाता है। सौ फीसदी कटऑफ के बावजूद हजारों स्टूडेंट्स प्रवेश से रह जाते हैं। ऐसे में अब कटऑफ की होड़ को रोकने के लिए नई शिक्षा नीति में बदलाव की तैयारी चल रही है, जिसके तहत स्नातक प्रोग्राम में संयुक्त प्रवेश परीक्षा (कॉमन एंट्रेस एक्जाम) के जरिए एडमिशन करने का प्रस्ताव है।

एनटीए प्रवेश के लिए कराएंगी संयुक्त प्रवेश परीक्षा

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) सभी विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेस एक्जाम कराएंगी। इसकी मेरिट पर ही दिल्ली यूनिवर्सिटी और कॉलेज एडमिशन देंगे। इस बारे में सरकार का मानना है कि विश्वविद्यालय और कॉलेजों को पढ़ाई और शोध कार्यों पर ध्यान देना चाहिए। इसलिए परीक्षा या प्रवेश परीक्षा जैसे काम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी से करवाने चाहिए। इससे गुणवत्ता बढ़ेगी, समय और धन की भी बचत होगी। वर्तमान में एक छात्र को प्रवेश के लिए 5 से दस यूनिवर्सिटी में फॉर्म भरना पड़ता है। देश में अधिकांश विश्वविद्यालयों में 12वीं के अंकों के आधार पर एडमिशन मिलता है।

सभी विवि-कॉलेजों में स्नातक अनुपयोगी कोर्स बंद होंगे

हायर एजुकेशन बीच में छोड़ने से रोकने के लिए सभी विश्वविद्यालय और कॉलेजों में दूरस्थ माध्यम से पढ़ाई शुरू की जाएगी। अभी तक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानि यूजीसी नैक एक्रिडिटेशन में मिले स्कोर और अन्य मानकों के आधार पर कुछ संस्थानों को दूरस्थ शिक्षा को मंजूरी देता रहा है। सरकार का स्नातक स्तर पर ऐसे विषय खत्म करने का प्रस्ताव है जिसकी उपयोगिता नहीं है।

आगे नालंदा-तक्षशिला की तर्ज पर एक विषय की जगह बहु-विषयक डिग्री कोर्स शुरू किए जाएंगे। उच्च शिक्षण संस्थानों को भी दो हिस्सों में बांटा जाएगा। हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट में रिसर्च और पढ़ाई पर विशेष ध्यान होगा। हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन क्लस्टर में छोटे कॉलेजों को मिलकर बड़ा कॉलेज या यूनिवर्सिटी बनाया जा सकेगा।

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सरकार के प्रस्ताव के अनुसार, एमफिल प्रोग्राम खत्म होगा और पीएचडी के लिए पाठ्यक्रम नए सिरे से तय किया जाएगा। सरकार का जोर आईआईटी, आईआईएम की तरह अमेरिका की तर्ज पर मॉडल पब्लिक यूनिवर्सिटी बनाने पर रहेगा, जो लिबरल एजुकेशन की पढ़ाई कराएंगे। व्यावसायिक एजुकेशन को बढ़ावा देने का काम होगा।
विभिन्न विषयों में दक्षता और क्षमता के आधार पर पढ़ाई करवाई जाएगी, जिससे रोजगार के मौके मिल सकें।

Raj Kumar

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