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कैसे अर्श से फर्श तक पहुंचे अनिल अंबानी, पढ़ें दिवालिया होने की पूरी कहानी

कर्ज में दबे अनिल अंबानी से मानो खुशी रूठ गई है। एक के बाद एक उन्हें ऐसे झटके लग रहे हैं जिनसे उबर पाना आसान नहीं है। हाल में अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस ने बैंकरप्ट्सी कोर्ट जाने का फैसला किया तो कंपनी के शेयर धड़ाम से गिर गए। वहीं दूसरी ओर टेलिकॉम इक्विपमेंट कंपनी एरिक्सन ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया जिसमें वो चेयरमैन अनिल अंबानी की सारी निजी संपत्ति पर अपना दावा कर रही है।

ऐसे में आइए थोड़ा पीछे चलते हैं और जानते हैं अरबपति अनिल अंबानी के अर्श से फर्श तक आने का सफर

कभी रिलायंस के शेयरहॉल्डर्स फुटबॉल स्टेडियम में किया करते थे मीटिंग

अंबानी कंपनी का इस तरह फर्श पर आना एक बार के लिए किसी के भी समझ से परे हो सकता है क्योंकि एक समय था जब ‘रिलायंस’ और ‘अंबानी’ नाम सफलता के पर्याय बन चुके थे।

धीरूभाई अंबानी, जिन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की, उन्हें भारत के इक्विटी कल्चर का प्रतीक माना जाता है। जब 2002 में उनका निधन हुआ, उस समय रिलायंस के दो मिलियन से अधिक शेयरहॉल्डर्स हुआ करते थे, जो किसी भी भारतीय कंपनी के लिए सबसे बड़ी संख्या थी। कंपनी के शेयरहॉल्डर्स की मीटिंग्स के लिए इस तरह होती थी कि एक फुटबॉल स्टेडियम बुक करना पड़ता था।

आरकॉम यानि रिलायंस कम्युनिकेशन धीरूभाई के छोटे बेटे अनिल अंबानी के कारोबार का हिस्सा है, जो 2006 में कंपनी के बंटवारे के बाद बड़े भाई, मुकेश अंबानी से अलग हुआ था।

मुसीबत की शुरू कैसे हुई ?

टेलीकॉम सेक्टर में चल रही कीमतों की जंग, भारी लोन, मुनाफे में लगातार आती कमी ने भारत के दूरसंचार क्षेत्र को पंगु बना दिया और इस आंधी को आरकॉम झेल नहीं पाई।

मई 2018 में, एनसीएलटी (National Company Law Tribunal) ने स्वीडिश की गियर बनाने वाली कंपनी एरिक्सन द्वारा दायर आरकॉम के खिलाफ तीन इन्सॉलवंसी पिटिशन (कंपनी के दिवाला होने की स्थिति में लगाई जाने वाली याचिकाएं) को स्वीकार कर लिया जिसमें आरकॉम को 1,100 करोड़ से अधिक का भुगतान करने को कहा गया। इस कार्यवाही के तहत आरकॉम के अलावा उसकी दो अन्य कंपनियां आरटीएल और रिलायंस इंफ्राटेल भी लपेटे में आ गई।

भारी नुकसान झेल रहे अनिल अंबानी ने 2017 के आखिर में वायरलेस प्रोडक्शन बंद कर दिया। इसके बाद आरकॉम ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) का रूख किया और Jio और Brookfield  के साथ डील की बात कहकर दिवालिया कार्यवाही को टालने की कोशिश की और एरिक्सन को 550 करोड़ रुपये देने पर सहमति जताई।

लेकिन आरकॉम ने अभी भी एरिक्सन को भुगतान नहीं किया है, इसी बीच चेयरमैन अनिल अंबानी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अदालती याचिकाओं की अवमानना का नोटिस जारी हुआ जिसके बाद दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने Jio स्पेक्ट्रम की बिक्री में आने की भी रोक लगा दी।

एरिक्सन के अलावा, आरकॉम को भी रिलायंस इंफ्राटेल के शेयरहॉलडर्स को भी 232 करोड़ रुपये का भुगतान करना है।

बड़ा भाई चढ़ता गया, छोटा भाई गिरता गया

आरकॉम द्वारा 2017 के अंत में अपने वायरलेस प्रोडक्शन को बंद करने के बाद कंपनी के रेवेन्यू में भारी गिरावट और भारी नुकसान हुआ। आरकॉम का गिरना अनिल अंबानी के रिलायंस समूह में लंबे समय से हो रही गिरावट का हिस्सा है, जिसकी शुरूआत 2006 में बड़े भाई मुकेश से बिजनेस में बंटवारे के समय हुई थी।

हालांकि बंटवारे के बाद से अनिल की किस्मत चमक गई है। फोर्ब्स की रिच लिस्ट के मुताबिक, अनिल की कमाई 2007 में 45 बिलियन डॉलर थी। टेलीकॉम वेंचर रिलायंस कम्युनिकेशंस में उनकी सबसे बड़ी 66% हिस्सेदारी थी। बड़े भाई मुकेश की कुल संपत्ति $ 49 बिलियन थी। लेकिन 2018 आते-आते फोर्ब्स इंडिया रिच लिस्ट में, मुकेश $ 47.3 बिलियन के साथ में टॉप पर रहे जबकि अनिल 66वें स्थान पर 2.44 बिलियन डॉलर के साथ खिसक चुके थे।

2016 में बाजार आरकॉम की मार्केट हिस्सेदारी 10 फीसदी से कम तक पहुंच गई थी। टॉप कंपनियों कि लिस्ट से आरकॉम का नाम गायब हो चुका था। इसके साथ ही कर्ज बढ़ता जा रहा था जो बढ़कर 45 हजार करोड़ तक पहुंच गया है।

हालात ऐसे हो गए हैं कि आज अनिल अंबानी की कंपनियों की मार्केट कैप यानि वेल्यू 4 अरब डॉलर है तो वहीं मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिडेट की यही वेल्यू 98.7 अरब डॉलर है।

sweta pachori

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