हलचल

पूरी दुनिया से वो लोग जिनका कोई देश नहीं है, हालात जानवरों से भी बदतर!

एक अनुमान के मुताबिक पूरी दुनिया में 10 से 15 मिलियन लोग ऐसे रह रहे हैं जिन्हें किसी भी देश की नागरिकता नहीं दी गई यानि वे किसी भी देश के रहने वाले नहीं हैं। अक्सर इस आबादी को दुनिया के अधिकांश मूल अधिकारों से वंचित किया जाता है जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, आवास और नौकरियां।

संयुक्त राष्ट्र ने इसको लेकर एक अभियान चलाया है जिसका नाम है #Ibelong. इसको लेकर ही हाल ही एक प्रोग्राम किया गया जिसमें इस बात पर चर्चा की गई कि 2024 तक इस आबादी को मुख्य धारा में लाना है यानि इस राज्यविहीनता को खत्म करना है। इन बिना किसी देश की नागरिकता वाले लोगों के बारे में जानते हैं।

म्यांमार / बांग्लादेश: 1982 में बौद्ध-बहुसंख्यक म्यांमार ने एक नागरिकता कानून पास किया जिसने प्रभावी रूप से दक्षिण एशियाई मूल के रोहिंग्या मुस्लिमों को देश से बाहर कर दिया। इस मामले ने हिंसा का रूप ले लिया जिसके बाद कई लोगों ने म्यांमार छोड़ दिया लेकिन म्यांमार में अभी भी सैकड़ों हजारों रोहिंग्या लोग रहते हैं। पड़ोसी बांग्लादेश में लगभग 900,000 रोहिंग्या हैं और पूरे एशिया में छोटी आबादी फैली हुई है। कुछ रोहिंग्या मछली पकड़ने की नावों पर बेच दिए गए।

आइवरी कोस्ट: आइवरी कोस्ट में 692,000 स्टेटलेस लोगों का घर है यानि इन लोगों की नागरिकता ही नहीं है। कई लोग विशेष रूप से बुर्किना फासो, माली और घाना से आए हैं जिन्हें 20 वीं शताब्दी में आइवरी कोस्ट के कॉफी और कपास के बागानों पर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया गया था।

आइवरी कोस्ट की कम से कम एक चौथाई आबादी विदेशी मूल की होने का अनुमान है। कौन आइवरियन है और कौन नहीं के इस सवाल ने फ्रेंच बोलने वाले पश्चिम अफ्रीका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में दो सिविल युद्धों को हवा देने का काम किया।

थाईलैंड: लगभग 479,000 लोग स्टेटलेस हैं जिनमें याओ, हमोंग और कारेन जैसे पहाड़ी जनजातियों के सदस्य हैं जो म्यांमार और लाओस के साथ पहाड़ी सीमा में रहते हैं।

एस्टोनिया / लातविया: जब सोवियत संघ में विभाजन हुआ तो कई जातीय रूसी नए बाल्टिक राज्यों में फंसे हुए थे और उन्हें “गैर-नागरिक” के रूप में परिभाषित किया गया था। लात्विया में लगभग 225,000 स्टेटलेस लोग रहते हैं और एस्टोनिया में 78,000 लोग रहते हैं। अक्सर इन सभी को भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

सीरिया: 1962 में उत्तर-पूर्व में कई कुर्द नागरिकों से नागरिकता छीन ली गई। ह्यूमन राइट्स वॉच ने इस कदम को संसाधन-संपन्न क्षेत्र का “अरबाइज” करने के रूप में बताया। गृह युद्ध से पहले सीरिया में अनुमानित 300,000 स्टेटलेस कुर्द थे, जिनमें से कई को 2011 के विद्रोह की प्रतिक्रिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद द्वारा राष्ट्रीयता का वादा किया गया था।

स्टेटलेसनेस पर विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि लेबनान और जॉर्डन में सीरियाई शरणार्थी महिलाओं से पैदा होने वाले बच्चे स्टेटलेस हो सकते हैं।

कुवैत: खानाबदोश बेडौइन जनजातियों में से कई लोग 1961 में स्वतंत्रता में नागरिकता हासिल करने में विफल रहे। उनके वंशजों को बिडून के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ अरबी में “बिना” राष्ट्रीयता के है।

यूएन के आंकड़ों के अनुसार कुवैत में लगभग 92,000 बिडून हैं लेकिन कुछ अनुमानों के मुताबिक यह और भी अधिक हो सकते हैं उन्हें अक्सर मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और कई नौकरियों से वंचित रखा जाता है।

नेपाल: हालांकि नेपाल का कहना है कि उसके पास स्टेटलेस आबादी नहीं है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि कई लोग, संभवतः सैकड़ों हजारों लोग यहां ऐसे हो सकते हैं। समस्या का एक हिस्सा एक कानून से निकला है। यहां जिन महिलाओं ने विदेश में शादी की है उनके बच्चों को नेपाल की नागरिकता पर बैन लगा हुआ है। 1990 के दशक में भूटान द्वारा निष्कासित किए गए लोगों की एक आबादी भी है।

डोमिनिकन गणराज्य: अवैध प्रवास से निपटने के उद्देश्य से राष्ट्रीयता कानूनों में पहले के बदलावों के साथ 2013 के एक अदालत के फैसले ने कई लोग यहां स्टेटलेस जिनमें ज्यादातर लोग हाईटियन गणराज्य में पैदा हुए थे। U.N के आंकड़ों के अनुसार 2015 में लगभग 134,000 स्टेटलेस लोग थे लेकिन आंकड़े अपडेट किए जा रहे हैं।

इराक: लगभग 47,500 लोग हैं जिसमें समूह बिदून, फिलिस्तीनी शरणार्थी और फेली कुर्द शामिल हैं, जो ऐतिहासिक रूप से इराक-ईरान सीमा के दोनों ओर रहते हैं।

1980 में बाथ शासन के तहत कम से कम 150,000 फेली कुर्दों की राष्ट्रीयता रद्द कर दी गई थी। हालाँकि बहुत से लोग अपनी राष्ट्रीयता को बहाल कर चुके हैं, अन्य लोग स्टेटलेस हैं।

यूरोप: मूल रूप से भारत का ग्रुप रोमा मध्य और पूर्वी यूरोप में रहते हैं लेकिन उन्हें स्टेटलेस करार दिया गया है। चेकोस्लोवाकिया और यूगोस्लाविया के टूटने के साथ उत्तराधिकारी राज्यों ने दावा किया कि वे कहीं और से थे इसी बीच इनको नागरिकता नहीं मिल सकी।

रोमा परिवार अक्सर अपने बच्चों के जन्म को रजिस्टर नहीं करते हैं या अनौपचारिक रूप से रिश्तेदारों को घर देना पसंद करते हैं। इससे यह साबित करना मुश्किल हो सकता है कि वे कहां से हैं।

कोलंबिया: वेनेजुएला के माता-पिता से पैदा हुए 25,000 से अधिक बच्चे जो अपनी मातृभूमि में राजनीतिक और आर्थिक संकट के बीच कोलंबिया भाग गए हैं वे स्टेटलेस हो सकते हैं या इसी के जोखिम में हैं। नागरिकता प्राप्त करने के लिए बच्चों के पास कम से कम एक माता या पिता कोलंबिया से होना चाहिए।

Neha Chouhan

12 साल का अनुभव, सीखना अब भी जारी, सीधी सोच कोई ​दिखावा नहीं, कथनी नहीं करनी में विश्वास, प्रयोग करने का ज़ज्बा, गलत को गलत कहने की हिम्मत...

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