Sourav Ganguly was dropped from the team without feeding due to bad behavior.
एक वो कप्तान जिसने विदेशी सरजमीं पर दुनिया की दिग्गज टीमों को हराकर क्रिकेट जगत में यह संदेश दिया कि भारतीय टीम को हल्के में लेने की भूल नहीं न करे। इस खिलाड़ी की कप्तानी में टीम इंडिया ने न केवल मैच जीतना व लड़ना सीखा बल्कि, यह भी सीख लिया कि जीत का जश्न किस अंदाज में मनाया जाता है। टीम इंडिया का वर्तमान स्वरूप उस कप्तान की ही देन माना जाता है। जी हां, नाम है उनका सौरव गांगुली।
गांगुली ने टीम इंडिया के आने वाले कप्तानों के लिए वो मिसाल पेश की, जिसकी छवि पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी और विराट कोहली की कप्तानी में साफ झलकती है। भारत की आक्रमक खेल रणनीति उन्हीं की देन है। 8 जुलाई को सौरव गांगुली अपना 51वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस आइये जानते हैं भारत के सबसे आक्रामक और सफलतम कप्तानों में से एक सौरव गांगुली के जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष व भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का जन्म 8 जुलाई, 1972 को पश्चिम बंगाल राज्य के दक्षिण कोलकाता (कलकत्ता) स्थित बेहला क्षेत्र में एक समृद्ध ब्राह्मण परिवार में हुआ था। गांगुली का पूरा नाम सौरव चंडीदास गांगुली है। उनके पिता चंडीदास गांगुली कलकत्ता के प्रमुख अमीर व्यक्तियों में शुमार थे। सौरव गांगुली को ‘प्रिंस ऑफ कलकत्ता, बंगाल टाइगर, गॉड ऑफ ऑफसाइड, दादा जैसे उपनामों से जाना जाता है। (बता दें, बंगाल में बड़े भाई को ‘दादा’ बुलाया जाता है).
गांगुली बाएं हाथ से बल्लेबाजी और दाएं हाथ से मध्यम तेज गेंदबाजी किया करते थे। गांगुली के बाएं हाथ से बल्लेबाजी करने का कारण यह था कि उनके बड़े भाई बाएं हाथ से बल्लेबाजी किया करते थे और दोनों भाई एक ही किट का उपयोग किया करते थे। इस कारण दादा को बाएं हाथ से बल्लेबाजी करनी पड़ती थी, आगे चलकर वह बाएं हाथ के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक बन गए।
अपनी कप्तानी में भारतीय क्रिकेट को नये मुकाम पर पहुंचाने वाले सौरव गांगुली का भारतीय टीम में पहली बार चयन वर्ष 1992 में ही हो गया था, लेकिन उनके खराब व्यवहार की वजह से उन्हें बिना खिलाए ही टीम से बाहर कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने घरेलू क्रिकेट में जमकर मेहनत की और चार साल बाद वर्ष 1996 में इंग्लैंड दौरे पर एक बार फिर टीम में जगह बनाई। गांगुली ने इस सीरीज के लॉर्ड्स में हुए दूसरे टेस्ट मैच में डेब्यू किया था।
बंगाल टाइगर ने अपने करियर के पहले ही टेस्ट मैच में शानदार शतक ठोककर धमाकेदार आगाज किया। इस मैच में गांगुली ने 131 रन बनाए, जो कि लॉर्ड्स में डेब्यू टेस्ट में किसी भी बल्लेबाज द्वारा बनाया गया सर्वोच्च स्कोर था। इस मैच में एक और भारतीय क्रिकेटर राहुल द्रविड़ ने भी अपने करियर की शुरुआत की थी। द्रविड़ पहले मैच में शतक तो नहीं बना पाए लेकिन उन्होंने 95 रनों की शानदार पारी खेली।
सन् 2000 में टीम इंडिया बड़े ही मुश्किल दौर से गुज़र रही थीं। कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन, अजय जड़ेजा समेत टीम के कुछ और खिलाड़ियों पर मैच फिक्सिंग का आरोप था। उस समय टीम की कमान सौरव गांगुली को सौंपी गई। इसके बाद दादा ने इंडियन क्रिकेट टीम की कायापलट करके रख दी। गांगुली ने युवराज सिंह, मोहम्मद कैफ, जहीर खान और हरभजन सिंह समेत कुछ अन्य युवा खिलाड़ियों पर भरोसा जताया और टीम को एकजुट किया। यह टीम कुछ ही समय में उठ खड़ी हुई।
सौरव गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया जैसी सबसे मजबूत टीम को हराया। ऑस्ट्रेलिया को उसकी ही सरजमीं पर टेस्ट सीरीज ड्रा करने के लिए मज़बूर कर दिया। उन्होंने अपनी कप्तानी में टीम को कई उपलब्धियां दिलाईं। इनमें सबसे खास वर्ष 2002 में नेटवेस्ट ट्राफी का फाइनल जीतना रहा। इस मैच के बाद टीम इंडिया पर से विदेश में फेल होने वाली टीम का टैग हटा और भारतीय टीम का लोहा दुनिया मानने लगी। नेटवेस्ट ट्राफी की जीत के हीरो रहे दो युवा खिलाड़ी युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ।
यह सौरव गांगुली का विश्वास ही था कि युवा खिलाड़ियों को उन्होंने खुलकर खेलने का मौका दिया। नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल में युवराज और कैफ़ के शानदार प्रदर्शन के दम पर टीम इंडिया ने 325 रनों का टारगेट हासिल कर लिया था, जो उस वक़्त के क्रिकेट में हासिल करना बिल्कुल भी आसान नहीं माना जाता था।
पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने टीम इंडिया के इंग्लैंड में नेटवेस्ट ट्रॉफी जीतने के बाद लॉर्डस स्टेडियम की बालकनी में अपनी टी-शर्ट खोल हवा में लहराई थी। दादा ने ऐसा करके इंग्लैंड के पूर्व ऑलराउंडर एंड्रयू फ्लिंटाफ को करारा जवाब दिया था। दरअसल, उसी साल मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में फ्लिंटॉफ ने इंडिया के ख़िलाफ़ वनडे मैच में जीत के बाद अपनी टी-शर्ट को हवा में लहराई थी।
मुंबई में इंग्लैंड के मैच जीतने के बाद सीरीज में 3-3 की बराबरी हो गई थी, जिसके बाद एंड्रयू फ्लिंटाफ टी-शर्ट उतारकर पूरे मैदान पर घूमे थे। दादा ने इंग्लैंड को उसकी सरजमीं पर इसका जवाब तो दिया ही साथ की क्रिकेट की दुनिया को दिखा दिया कि हमें किसी मामले में कमज़ोर न समझें, हमें हर तरह का जवाब देना भी आता है।
ऐसा रहा प्रिंस ऑफ कलकत्ता का सफ़रनामा
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का करियर बहुत ही शानदार रहा। गांगुली ने 311 वनडे में 11,363 रन बनाए, जिसमें 22 शतक शामिल हैं। वहीं, 113 टेस्ट में 7,212 रन बनाए। एकदिवसीय क्रिकेट में रनों के मामले में सौरव गांगुली की गिनती दुनिया के महान बल्लेबाजों में होती है। गांगुली ने डोना रॉय गांगुली से शादी की। उनसे एक बेटी सना गांगुली है।
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