ये हुआ था

सोहन सिंह भकना ने देश की आज़ादी के लिए क्रांतिकारियों को संगठित करने का किया था काम

प्रसिद्ध भारतीय क्रांतिकारी व गदर पार्टी के संस्थापकों में से एक बाबा सोहन सिंह भकना की 21 दिसंबर को 55वीं पुण्यतिथि है। उन्होंने अमेरिका में रहते हुए भारत की आजादी की लड़ाई लड़ीं। भकना अमेरिका में लाला हरदयाल के अहम सहयोगी थे। लाला हरदयाल ने अमेरिका में ‘पैसिफिक कोस्ट हिंदी एसोसिएशन’ नामक संस्था का गठन किया, जिसकी अध्यक्षता सोहन सिंह भकना ने कीं। इस संस्था के द्वारा ‘गदर’ नामक समाचार पत्र निकाला गया और इसी के नाम पर इस संस्था का नाम भी ‘गदर पार्टी’ रखा गया था। भकना को क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के कारण लाहौर षड्यंत्र केस में गिरफ्तार किया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इस अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…

सोहन सिंह भकना का जीवन परिचय

क्रांतिकारी सोहन सिंह भकना का जन्म 4 जनवरी, 1870 को पंजाब के अमृतसर जिले के खुतराई खुर्द गांव में हुआ था। उनके पिता का भाई करम सिंह एक किसान थे। उनकी माता का नाम राम कौर था। सोहन के पिता का देहांत हुआ तब वह एक वर्ष के थे। उनकी मां ने ही उनका पालन-पोषण किया।

उनकी आरंभिक शिक्षा धर्म पर आधारित थी। उन्होंने गांव के गुरुद्वारे में शिक्षा मिली थी। बाद में उनकी शिक्षा उर्दू में एक प्राइमरी स्कूल में हुई। उनका अधिकतर बचपन भखना गांव में बिता। उन्होंने कम उम्र में पंजाबी भाषा में पढ़ना और लिखना सीख लिया।

जब सोहन सिंह दस साल के थे तब उनकी शादी बिशन कौर से कर दी गई, जो एक जमींदार के बेटी थी। उन्होंने सोलह वर्ष की आयु में स्कूली शिक्षा पूरी की। उन्हें फारसी और उर्दू भाषा का अच्छा ज्ञान था। उनका कुछ समय के लिए बुरे लोगों के साथ संपर्क हुआ और शराब पीने की लत लग गई। लेकिन बाद में उनके जीवन में बाबा केशवसिंह ने बड़ा बदलाव ला दिया और उन्हें शराब की आदत छुड़ा दी।

विदेश गए और क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया

सोहन सिंह को भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के नेता लाला लाजपत राय आदि ने प्रेरित किया। वह अपनी आजीविका के लिए वर्ष 1907 में अमेरिका पहुंचे। वहां पर उन्हें एक मिल में काम करने का मौका मिला। वहां करीब पंजाब के 200 लोग काम करते थे। उनका मेहनताना बहुत कम था और वहां के लोगों उन्हें तिरस्कार की नजरों से देखते थे। उन्होंने वहां पर अंग्रेजों की गुलामी से आजादी पाने के लिए लोगों को संगठित करना शुरू किया।

अमेरिका में क्रांतिकारी लाला हरदयाल से हुई मुलाकात

उनकी मुलाकात अमेरिका में रह रहे क्रांतिकारी लाला हरदयाल से हुई। वर्ष 19143 में कनाडा और यूएसए में रहने वाले भारतीयों के प्रतिनिधि स्टॉकटन में मिले और वहां उन्होंने हिंदुस्तानी कामगार के लिए एक संगठन बनाने का निर्णय लिया। इसके बाद ‘पैसिफिक कोस्ट हिंदुस्तान एसोसिएशन’ नामक संस्था की गठन वर्ष 1913 में संयुक्त राज्य अमेरिका में किया गया जिसके अध्यक्ष सोहन सिंह भकना और लाला हरदयाल मंत्री बने। इसमें बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी और पंजाब के सदस्य जुड़ गए। इसके सदस्यों में दयाल, तारक नाथ दास, करतार सिंह सराभा और वी.जी. पिंगले भी शामिल थे।

क्रांतिकारियों को संगठित करने का बीड़ा उठाया

इस संगठन ने भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम, 1857 की स्मृति में ‘गदर’ नामक एक समाचार पत्र प्रकाशित किया। इस पत्र के कारण ही इस संगठन का नाम ‘गदर पार्टी’ किया गया। इस पार्टी के जरिए सोहन सिंह ने क्रांतिकारियों को संगठित करने और अस्त्र-शस्त्र एकत्रित करने के लिए का बीड़ा उठाया। वह योजना को अंजाम देने के लिए भारत आ गए। ‘कामागाटामारू प्रकरण’ जहाज वाली घटना भी इस सिलसिले का ही एक हिस्सा थी।

गदर आंदोलन

गदर पार्टी का प्रमुख लक्ष्य सशस्त्र क्रांति के माध्यम से भारत से ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेंकना था। उसे कांग्रेस की नरम रवैये और संवैधानिक तरीकों में विश्वास नहीं था। गदर पार्टी भारतीय सैनिकों को विद्रोह करने के लिए प्रेरित करना चाहती थी।

लाहौर षड्यंत्र केस में गिरफ्तार

गदर पार्टी की इस योजना की भनक कुछ देशद्रोहियों से ब्रिटिश सरकार को पता चली तो बाबा सोहन सिंह जहाज से कलकत्ता पहुंचे थे। उन्हें 13 अक्टूबर 1914 को वहीं पर गिरफ्तार का लिया गया। उनसे पूछताछ के लिए लुधियाना भेज दिया गया। बाद में उन्हें मुल्तान की सेंट्रल जेल में भेज दिया गया। बाद में उन पर लाहौर षड़यंत्र केस के तहत मुकदमा चलाया गया। सोहन सिंह को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई और उन्हें अंडमान भेज दिया गया। जहां वह 10 दिसंबर 1915 को पहुंचे। उन्हें वहां से कोयम्बटूर और यरवदा जेल भेजा गया। उस समय यहां महात्मा गाँधी भी कैद थे। फिर वह लाहौर जेल भेजे गए।

उन्होंने जेल में 16 साल बिताए और वहीं पर उन्होंने अनशन आरम्भ कर दिया। इससे उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। यह देखकर अततः अंग्रेज़ी सरकार ने उन्हें रिहा कर दिया। इसके बाद सोहन सिंह ‘कम्युनिस्ट पार्टी’ से जुड़ गए। द्वितीय विश्व युद्ध आंरभ होने पर सरकार ने उन्हें फिर गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन वर्ष 1943 में रिहा कर दिया।

क्रांतिकारी बाबा सोहन सिंह भकना का निधन

गदर आंदोलन के माध्यम से देश को आजाद कराने की कोशिश करने वाले क्रांतिकारी बाबा सोहन सिंह भकना का 20 दिसम्बर, 1968 को अमृतसर में निधन हो गया।

Read: ठाकुर रोशन सिंह को काकोरी कांड में शामिल नहीं होने के बाद भी दी गई थी फांसी

Raj Kumar

Leave a Comment

Recent Posts

रोहित शर्मा ने कप्‍तान हार्दिक पांड्या को बाउंड्री पर दौड़ाया।

रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्‍तान हार्दिक पांड्या…

8 months ago

राजनाथ सिंह ने अग्निवीर स्कीम को लेकर दिया संकेत, सरकार लेगी बड़ा फैसला

अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…

8 months ago

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…

8 months ago

प्रशांत किशोर ने कि लोकसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…

8 months ago

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए नामित, PM मोदी बोले – आपका स्वागत है….

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…

8 months ago

कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने थामा भाजपा दामन, संदेशखाली पर बोले – महिलाओं के साथ बुरा हुआ है…

कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…

8 months ago