डबल्यूडबल्यूडबल्यू (www) से भला कौन परिचित नहीं है। आज वर्ल्ड वाइड वेब का 31वां बर्थडे है। 12 मार्च, 1989 को डबल्यूडबल्यूडबल्यू का आविष्कार सर टिम बर्नर्स ली ने किया था। डबल्यूडबल्यूडबल्यू साल 2020 में 31 साल का हो गया है। दुनिया को जोड़ने वाले आविष्कारक सर टिम ने वर्ल्ड वाइड वेब के 31 साल पूरे होने के अवसर पर इसके उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन एब्यूज (इंटरनेट के दुरुपयोग) और आर्टिफिशियिल इंटेलिजसें (एआई) के खतरे की चेतावनी दी है।
सर टिम बर्नर्स ली ने इस अवसर पर वेब के दुरुपयोग को लेकर एक खुला लेटर लिखकर चिंता जाहिर की है और महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ ऑनलाइन एब्यूज और भेदभाव को लेकर पूरी दुनिया को चेतावनी भी दी है। उन्होंने अपने पत्र लिखा है कि महिलाओं, लड़कियों और समलैंगिक समुदाय को ऑनलाइन तमाम तरह की धमकियां मिलती हैं जिसमें एआई का पूरा हाथ है। इंटनरेट भी अब लैंगिक विभाजन का शिकार हो गया है।
जहां आज दुनिया में डिजिटल का जमाना है वहीं दुनिया की अधिकांश महिलाएं अभी भी इंटरनेट से दूर हैं। इसकी बड़ी वजह आर्थिक असमानताएं और सुविधाओं का अभाव है। इस स्थिति के कारण महिलाओं के बीच आवश्यक तकनीक या कौशल नहीं पहुंच पा रहा है। इंटरनेट पर पुरुषों की संख्या महिलाओं के मुकाबले 21 फीसदी अधिक रहने की संभावना है। यह अंतर मौजूदा असमानताओं की पुष्टि करता है और लाखों लोगों को वेब का उपयोग करने से रोकता है।
महिलाओं का इंटरनेट से दूर रहने का एक बड़ा कारण यह भी रहा है कि जो महिलाएं या लड़कियां इंटरनेट का उपयोग करती है या ऑनलाइन हैं उनके लिए वेब सुरक्षित नहीं है।
बर्नर्स-ली के वेब और फाउंडेशन एंड द वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ गर्ल गाइड्स एंड गर्ल स्काउट्स के एक रिसर्च के अनुसार इंटरनेट पर मौजूद 50 प्रतिशत महिलाओं और लड़कियों ने किसी-ना-किसी रूप में ऑनलाइन दुर्व्यवहार की शिकार हुई है। उनमें से कुछ को धमकी भरे मैसेज भेजे गए हैं और यौन उत्पीड़न के साथ सहमति के बिना उनकी निजी तस्वीरों को ऑनलाइन शेयर किया गया है।
एक सर्वे में शामिल 84 प्रतिशत लोगों को मानना है कि यह समस्या समय के साथ बद से बदतर होती जा रही है। ऑनलाइन गालियां, महिलाओं को नौकरी से निकाले जाने और लड़कियों को स्कूल छोड़ने का कारण बन रही हैं। इनके अलावा उनके रिश्ते भी खराब हो रहे हैं। इसी वजह से कई महिला पत्रकारों और राजनेताओं ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट को बंद कर दिया है।
गर्ल गाइड्स एसोसिएशन ऑफ साइप्रस की लीडर मारिया ने बताया है, ‘एक लड़की के रूप में मैंने इंटरनेट से सीखने में काफी समय बिताया। मैं इसके लिए बिलकुल भी तैयार नहीं थी कि मुझे ऑनलाइन आपत्तिजनक टिप्पणियों का शिकार होना पड़ेगा और मेरी अनुपयुक्त तस्वीरों को शेयर किया जाएगा। मुझे ऑनलॉइन ब्लैकमेल किया गया। ऑनलाइन उत्पीड़न का लड़कियों पर गंभीर और गहरा प्रभाव पड़ता है। इससे एक चुप्पी वाला माहौल बनता है।’
इंटरनेट पर उत्पीड़न का मसला काफी गंभीर है जिसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि यूनिसेफ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर हैरेसमेंट के कारण 2.3 गुणा अधिक आत्महत्याएं हो रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 40 प्रतिशत महिला पत्रकारों का मानना है कि वे ऐसी किसी स्टोरी की रिपोर्टिंग करने से बचती हैं जिसकी वजह से सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया जा सकता है।
सर टीम बर्नर्स ली ने अपने पत्र में इंटरनेट पर महिलाओं के साथ हो रहे ऑनलाइन दुर्व्यवहार पर लिखा कि इस मामले पर सरकार और एजेंसियों का रवैया काफी धीमा है, जबकि ऑनलाइन दुर्व्यवहार को लेकर जल्द से जल्द कुछ सख्त कदम उठाने चाहिए। सर ली ने इसके लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं—
पहली वरीयता दें: सरकार और एजेंसियों को साल 2020 में महिलाओं के साथ होने वाले ऑनलाइन दुर्व्यवहार को सबसे पहले प्राथमिकता देनी चाहिए और इस पर काम करना चाहिए।
सटीक डाटा: इस प्रकार के मामलों में दुर्व्यवहार को लेकर सटीक आंकड़े इकट्ठे किए जाएं और उसके आधार पर उचित कदम एवं कठोर उठाए जाएं।
लैंगिक समानता: सरकार और एजेंसियों को आंकड़ों के आधार पर प्रोडक्ट, नीतियों और सेवाओं को महिलाओं की प्रतिक्रिया के आधार पर तैयार करना चाहिए।
सरकारों को ऐसे कानून बनाने जो महिलाओं के साथ ऑनलाइन दुर्व्यवहार करने वालों को पकड़े, ऑनलाइन लिंग आधारित हिंसा पर रोक लगाए और दोषी पाए जाने पर मुकदमा चलाया जाए।
हम सबकी जिम्मेदारी होनी चाहिए कि जब भी हम ऑनलाइन किसी महिला या लड़की को ट्रोल होते देखें तो उसके खिलाफ आवाज उठाएं और ऐसी प्रोफाइल की शिकायत करें।
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