हाल ही वीडियो कंटेंट प्लेटफॉर्म “विटामिन स्त्री” द्वारा किए गए एक सेक्स सर्वे में यह बात सामने आई है कि हालांकि भारत में 46 प्रतिशत शहरी जो साल 1981 से 1996 के बीच जन्में हैं वे 13 साल की उम्र से पहले सेक्स के बारे में सीख जाते हैं लेकिन अधिकतर लोगों यह भी माना कि उन्होंने कभी ना कभी असुरक्षित यौन संबंध रखे थे।
ऑनलाइन सर्वे अक्टूबर 2018 में 2,500 व्यक्तियों के बीच किया गया था, जिसमें से 235 ने खुद को बायसेक्सुअल और 66 ने खुद को होमोसेक्युअल बताया।
“सर्वे में मौजूद अधिकतर लोगों ने कहा कि वे अपने दोस्तों से सेक्स के बारे में सीखते हैं क्योंकि भारतीय एजुकेशन सिस्टम में सेक्स एजुकेशन मौजूद ही नहीं है। 30 प्रतिशत तक लोगों ने पोर्न और इंटरनेट पर सेक्स के बारे में पता किया। 99 प्रतिशत पोर्न सेक्स का गलत रिप्रजेन्टेशन होता है जिसे अधिकतर पुरूष की नजर से बनाया जाता है। ऐसे में सेक्स के बारे में शुरूआत में पोर्न से सीखना बहुत ही गलत हो सकता है”
नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने जून 2018 में घोषणा की थी कि स्कूलों में सेक्स एजुकेशन देने लिए नई बुक्स को जल्द ही संशोधित किया जाएगा।
बाल यौन शोषण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एनसीईआरटी ने दोनों लिंगों के लिए जननांगों को लेबल करने का निर्णय लिया था। इस पहल की सराहना करते हुए, विटामिन स्त्री ने लिखा है कि
“यह बहुत आवश्यक है और एक बड़ा कदम है। सेक्स को एक प्राकृतिक प्रक्रिया के रूप में समझाने के लिए कोई महत्वपूर्ण सुधार नहीं हुआ है और निश्चित रूप से सम्मान, खुशी और सहमति के समान महत्वपूर्ण पहलुओं को समझाने का प्रयास नहीं किया गया है”
सर्वे से पता चलता है कि लगभग 50 प्रतिशत शहरी मिलेनियल्स 14 से 18 वर्ष की आयु के बीच अपनी वर्जिनिटी लूज करते हैं। इस अध्ययन में युवाओं को सेक्स के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
सर्वे से पता चलता है कि शहरी मिलेनियल्स( जिनका जन्म 1981 से 1996 के बीच हुआ) आगे हैं जब बात मास्टरबेशन जैसी सेल्फ प्लेजर टेक्नीक्स की आती है। सर्वे में 50 प्रतिशत पुरुषों और महिलाओं ने कहा कि उन्होंने खुद ही इस तकनीक का पता लगा लिया था।
अमेरिका और ब्रिटेन के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा पोर्न देखने वाला देश है और 2015 में सरकार द्वारा 857 पोर्न साइट्स पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद, 91 प्रतिशत शहरी मेलिनियल्स ने स्वीकार किया कि वे पोर्न देखते हैं।
सर्वे के अनुसार 91 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि वे पोर्न देखते हैं, आधे से अधिक लोगों ने कहा कि वे सप्ताह में तीन से चार बार पोर्न देखते हैं। महिलाएं भी देख रही हैं और तेजी से ऐसा हो रहा है। सर्वे की 65 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि वे पोर्न देखती हैं और उनमें से कम से कम 34 प्रतिशत महीने में तीन से चार बार पोर्न देख रही हैं।
पोर्न देखने के बाद अपने एक्सपीरिएंस के बारे में बताते हए कुछ महिलाओं ने “हिंसक”, “गंदे” और “घृणित” जैसे शब्दों का उपयोग किया। यह निश्चित रूप से पोर्न के उस वैक्यूम को हाइलाइट करता है जहां महिलाओं को अलग तरह से पेश किया जाता है जो कि बिलकुल भी नेचुरल नहीं है।
ऐसे देश के लिए जहां शहरी आबादी किशोर उम्र में सेक्सुअली मेच्योर हो रहे हैं वहां सेक्स हैल्थ को लेकर जागरूकता के स्तर में तेजी से गिरावट दिखाई दे रही है।
सर्वे से पता चलता है कि 78 प्रतिशत लोगों ने असुरक्षित यौन संबंध के बारे में हां भरी थी। लगभग 51 प्रतिशत महिला और 63 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि उनके चिंता का कारण होने के बावजूद डॉक्टर से मिलने नहीं गए।
जहां तक कारणों का सवाल है, 21 प्रतिशत ने कहा कि वे डर से एक डॉक्टर के पास नहीं गए। 19 प्रतिशत को डर था कि उनके परिवार को पता चलेगा। 17 प्रतिशत ने डॉक्टर को बहुत महंगा पाया। 43 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे इसे तब तक गूगल ही करेंगे जब तक यह यौन स्वास्थ्य से संबंधित है।
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