सेहत

वैज्ञानिकों ने खोजी टीबी की सटीक जांच का तरीका, क्या है टीबी रोग

टीबी यानि तपेदिक या क्षय एक रोग है जिसका कारक जीवाणु (बैक्टीरिया) है। यह जीवाणु वायु द्वारा एक मानव से दूसरे मानव में श्वांस से फैलता है।

हाल ही अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन को टीबी पर हुए शोध के माध्यम से इसकी जांच की दिशा में बड़ी कामयाबी मिली है। वैज्ञानिकों ने मशीन लर्निंग आधारित जांच की ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे उन मरीजों की पहचान करने में मदद मिलेगी, जिनमें टीबी के सक्रिय होने के आसार ज्यादा रहते हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि विभिन्न बायोमार्कर की मदद से ज्यादा बेहतर जांच संभव है। प्रोफेसर र्यान बैले ने कहा, ‘मल्टी-एरे टेस्ट की मदद से संक्रमण को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।’

एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया भर में करीब 2 अरब लोग टीबी के निष्क्रिय संक्रमण से पीड़ित हैं। इनमें से 10 फीसदी मामलों में यह सक्रिय है। अभी जांच से इस बात का पता नहीं लगता है कि किस मरीज में संक्रमण सक्रिय होने के आसार ज्यादा हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि सही जांच से सही इलाज का रास्ता खुलेगा। इससे किसी मरीज को ज्यादा दवाओं के कारण होने वाले साइड इफेक्ट से बचाना संभव होगा।

क्या है टीबी (ट्यूबरक्लोसिस)

टीबी यानि तपेदिक एक गंभीर बीमारी है जो वायु के माध्यम से फैलती है। इस रोग का कारण माइकोबैक्टीरिया ट्यूबरक्लोसिस है। यह रोगी के फेफड़ों को प्रभावित करता है। तपेदिक एक विशेष प्रकार के बैक्टीरिया के संक्रमण से होता है और यह बैक्टेरिया एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में सांस से फैलता है।

टीबी से संक्रमित रोगी जब खांसता या छिंकता है तो उसके नाक-मुंह से निकलने वाले बैक्टीरिया हवा के माध्यम से दूसरे व्यक्ति में सांस द्वारा प्रवेश कर जाता है।

1985 में एचआइवी के फैलने के साथ टीबी विकसित देशों में फैलना शुरु हुआ। एचआइवी मनुष्य की प्रतिरोधक शक्ति को कमजोर कर देता है और एचआइवी पीड़ित मनुष्य का शरीर टीबी के बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता खो देता है।

टीबी पर अधिकतर दवाएं बेअसर रहती हैं। जो लोग सक्रिय टीबी से पीड़ित हैं उन्हें लंबे समय तक इलाज की जरूरत होती ताकि इस बीमारी की दवा रोधक क्षमता को नष्ट किया जा सके।

टीबी के प्रकार
टीबी को बैक्टीरिया की उपस्थित के आधार पर दो वर्गों में बांटा जाता है। अगर टीबी के बैक्टीरिया मौजूद हो पर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता इतनी ताकतवर है कि वह इस बैक्टेरिया को सक्रिय ही नहीं होने देता तो व्यक्ति टीबी रोग से ग्रस्त नहीं होते।

निष्क्रिय टीबी में व्यक्ति बैक्टीरिया से संक्रमित तो होता है लेकिन बीमार नहीं दिखता है। न ही इससे प्रभावित होता है और टीबी के कोई लक्षण नजर नहीं आते है। लेकिन ये बैक्टीरिया कभी भी सक्रिय अवस्था में आ सकते हैं। इसीलिए निष्क्रिय टीबी मरोज को भी इलाज की जरुरत है ताकि इसके और अधिक संक्रमण को रोका जा सके। दुनियाभर में लगभग दो अरब लोग निष्क्रिय टीबी रोग से प्रभावित हैं।

सक्रिय टीबीः
सक्रिय टीबी वह हालत है जब आप टीबी पीड़ित हैं और अब आपसे अन्य लोगों में भी फैल सकता है। यह संक्रमित व्यक्ति में कुछ दिनों या सप्ताह या सालों में भी सक्रिय हो सकता है।

टीबी के लक्षण

  • मरीज में खांसी तीन या ज्यादा हफ्तों तक रहे
  • खांसी के साथ खून निकलना
  • छाती में दर्द, सांस लेते या खांसते हुए दर्द
  • बुखार, ठंड लगना
  • भूख कम लगना

इसके अलावा टीबी पीड़ित की किडनी, रीढ़, दिमाग व शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। जब फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित करता है तो बीमारी के लक्षण अलग होते हैं। किडनी में टीबी होने से पेशाब में खून आना इसका लक्षण है।

अगर पीड़ित व्यक्ति को लगातार खांसी, बिना कारण वजन में गिरावट, बुखार, रात को सोते समय पसीना आना आदि लक्षण हैं तो रोग निरोधक एवं नियंत्रक केंद्रों पर जांच करवाएं जिनमें निष्क्रिय टीबी होने के ज्यादा संभावना होती है।

टीबी संक्रमण के कारण

यदि कोई टीबी पीड़ित व्यक्ति आसपास थूकता है, खांसता है, छींकता है, हंसता है या गाना भी गाता है तो संभावना है कि सांस के माध्यम से आप भी टीबी के संक्रमण में आ सकते हो। लेकिन अगर पीड़ित व्यक्ति जो कम से कम दो सप्ताह से दवा सेवन कर रहा हो तो उससे इसके फैलने की संभावना कम हो जाती है। टीबी किसी भी व्यक्ति को हो सकती है।
स्वस्थ शरीर में टीबी की बीमारी से लड़ने की भरपूर क्षमता होती है पर यदि आपके शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है तो आप टीबी के संभावित मरीज हो सकते हैं।

ये सावधानी बरतें

  • यदि आपको टीबी है तो घर पर ही रहें।
  • काम पर न जाएं, किसी के साथ कमरे में न सोएं।
  • कमरे में हवा के आने-जाने के लिए खिड़की दरवाजे खुले रखें।
  • खांसते, छींकते समय अपना मुहं ढक के रखें।
  • इधर-उधर न थूकें, मास्क पहनें।

दवाएं पूरी लें

टीबी के रोगी के लिए यह आवश्यक है कि वह इलाज में दी गई दवाओं का कोर्स पूरा करें। यदि आप ने दवा खाना बंद किया तो फिर संभावना है कि टीबी के कीटाणु दवा प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लें और बाद में दवा आप पर असर न करे।

टीकाकरण

यह बीमारी वहां टीकाकरण अवश्य किये जाए ताकि रोग होने से पूर्व बचाव किया जा सके। इसके लिए बीसीजी के टीकाकरण अवश्य करवा लें।
बीसीजी टीका बच्चों में ज्यादा असरदार हैं। बड़ों पर ये बेअसर रहते हैं इसीलिए अमेरिका जैसे देशों में BCG पर प्रतिबंध है।

Rakesh Singh

Leave a Comment

Recent Posts

रोहित शर्मा ने कप्‍तान हार्दिक पांड्या को बाउंड्री पर दौड़ाया।

रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्‍तान हार्दिक पांड्या…

7 months ago

राजनाथ सिंह ने अग्निवीर स्कीम को लेकर दिया संकेत, सरकार लेगी बड़ा फैसला

अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…

7 months ago

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…

8 months ago

प्रशांत किशोर ने कि लोकसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…

8 months ago

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए नामित, PM मोदी बोले – आपका स्वागत है….

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…

8 months ago

कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने थामा भाजपा दामन, संदेशखाली पर बोले – महिलाओं के साथ बुरा हुआ है…

कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…

8 months ago