देश में कुछ लोग भले ही किसी मज़हब पर ख़तरा मंडराने जैसी बात करते हो लेकिन यह भारत का सत्य नहीं हो सकता है। भारत में समय-समय पर ऐसे कई उदाहरण सामने आते रहते हैं जो इस बात के सबूत है कि यहां मज़हबी नफ़रत की कोई जगह नहीं है। हाल में ऐसा ही एक उदाहरण असम राज्य में देखने को मिला है। इससे साबित होता है देश में आज भी सभी धर्मों के बीच आपसी भाईचारा कायम है। आइये जानते हैं कि हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल बनी इस सदियों पुरानी मस्जिद के बारे में..
असम राज्य के नौगांव जिले में इनदिनों पुरानी गोदाम मीनार सुर्खियों में हैं। इस मीनार को 1824 में बनया गया था। यह मीनार पुरानी गोदाम मस्जिद के भीतर स्थित है। मीनार को कुछ साल पहले हाइवे चौड़ा करने के लिए गिराया जाने वाला था। लेकिन इस इलाके में रहने वाले मुस्लिमों के साथ-साथ हिंदू भी पुरानी गोदाम मस्जिद की इस मीनार को बचाने के लिए एक साथ आगे आ गए। दरअसल, 2015 में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने एनएच-37 को चार लेन के हाइवे में बदलने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन यह मीनार इसके रास्ते में आती थी। इससे परेशान कुछ हिंदू और मुस्लिम धर्म के लोगों ने जिला प्रशासन से बातचीत की और उन्हें इस मीनार के संरक्षण के लिए ज्ञापन दिया। लेकिन एनएचएआई और पीडब्ल्यूडी विभाग ने जवाब दिया कि इस मीनार को कहीं और ले जाना आसान साबित नहीं होगा।
एनएचएआई की ओर से मना करने के बावजूद यहां के नागरिक चुप नहीं बैठे और उन्होंने मीनार के संरक्षण के लिए चंदा इकट्ठा करना शुरू कर दिया। जल्द ही इनके मीनार निर्माण की ख़बर हरियाणा की एक इंजिनियरिंग कंपनी को लग गई। इस समस्या का समाधान निकालने वाले इंजीनियर गुरदीप चौहान का कहना है कि हमने लिफ्टिंग और शिफ्टिंग तकनीक का प्रस्ताव रखा। इसमें हम इमारत को प्लेट रोलर्स की मदद से उसकी नींव से उठाते हैं और दूसरी जगह ले जाते हैं। चौहान ने कहा कि इस मीनार का आधार 42 मीटर व्यास का है। उस पर बहुत खूबसूरत सजावट की गई है। इतने बरसों में उसे भी कुछ नुकसान पहुंचा था।
इंजीनियर गुरदीप चौहान के मुताबिक, मीनार को छह मजदूरों की मदद से 70 फीट दूर ले जाया जा रहा है। चौहान बताते हैं कि शुरूआत में हमने इस प्रोजेक्ट पर 5 लाख रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया था। लेकिन अब यह बढ़कर 8 लाख तक पहुंच चुका है। इसलिए हमारी कंपनी ने भी इसमें कुछ रकम योगदान किया है। मीनार का अब तक 60 फीसदी काम हो चुका है। अगले 20 दिनों में इस मीनार का काम पूरा कर लिया जाएगा।
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इस बात को लेकर अब स्थानीय लोगों को राहत महसूस हो रही है। यहां पुरानी गोदाम कस्बे के चितरंजन बोरा कहते हैं कि चार साल पहले हम सभी ने मिलकर इस मीनार के संरक्षण का काम शुरू किया था। यह मीनार नौगांव मे सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि जब से सोशल मीडिया के जरिए बहुत से लोगों को इसके बारे में पता चला है, अब चारों तरफ से हमें इसके निर्माण में मदद मिल रही है। उल्लेखनीय है कि चितरंजन बोरा ऐसे पहले व्यक्ति हैं जिसने मीनार के संरक्षण के बारे में सबसे पहले प्रशासन से आग्रह किया। सदियों पुरानी इस मस्जिद की मीनार के तैयार होने से स्थानीय लोगों में खुशी और उत्साह है।
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