अंतर्राष्ट्रीय मीडिया एजेंसी रॉयटर्स ने सैटेलाइट से ली गई हाई रिज़ोल्यूशन इमेज के आधार पर यह कहा है कि भारतीय एयर फोर्स ने एयर स्ट्राइक के बाद पूर्वोत्तर पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) द्वारा चलाए जाने वाले जिस मदरसे को बम धमाकों में उड़ाने का दावा किया था वो अब भी खड़ा दिखाई दे रहा है। रॉयटर्स ने सैन फ्रांसिस्को के एक निजी सैटेलाइट ऑपरेटर प्लैनेट लैब्स की मदद से मदरसे की तस्वीरें हासिल की है।
बालाकोट में हुई एयर स्ट्राइक के बाद अब तक, कोई भी हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेज लोगों के सामने नहीं आई थी। फोटो का विश्लेषण करने के बाद रॉयटर्स का कहना है कि मदरसे की फोटो अप्रैल 2018 में जैसी थी ठीक वैसी ही है। इमारत में किसी भी बम धमाके का कोई भी छेद नहीं है, झुलसी हुई कोई दीवारें नहीं हैं, हालांकि मदरसे के आसपास कई टूटे पेड़ या हवाई हमले के अन्य संकेत दिखाई देते हैं।
तस्वीरें सामने आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारत सरकार द्वारा पिछले आठ दिनों में एयर स्ट्राइक को लेकर जो दावे किए गए उनको लेकर संदेह और गहरा हो जाता है।
टारगेट से भटका इंडियन एयरफोर्स ?
मिडिलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में ईस्ट एशिया नॉनप्रोलिफरेशन प्रोजेक्ट के निदेशक जेफरी लेविस जो पिछले 15 सालों से सैटेलाइट तस्वीरों का विश्लेषण करने का अनुभव रखते हैं उनका कहना है कि सैटेलाइट से मिली हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेज में बम के नुकसान के कोई सबूत नहीं दिखाई देते हैं।
इसके अलावा भारत सरकार ने अभी तक सार्वजनिक रूप से इस बात का खुलासा नहीं किया कि एयर स्ट्राइक में किन हथियारों का इस्तेमाल किया गया था।
पाकिस्तान ने भी शुरूआत से इस मामले में यही कहा है कि भारत का ऑपरेशन बालाकोट एक विफलता थी जिसमें भारतीय जेट्स ने बड़े पैमाने पर खाली पहाड़ी इलाकों में बम गिराए।
वहीं पाकिस्तान में बालाकोट क्षेत्र के रहने वाले लोगों का भी यही कहना है कि यहां किसी के मारे जाने का कोई सबूत नहीं मिला। ग्रामीणों ने कहा कि बहुत बड़े विस्फोट हुए हैं लेकिन बम पेड़ों के ऊपर गिरे।
सरकार के इस फैसले का अब विरोध होना और सवाल पूछा जाना शुरू हो चुका है। कुछ दिन पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूछा कि “हम जानना चाहते हैं कि वास्तव में कितने लोगों की मौत हुई है।”? क्या वे वास्तव में सही जगह पर थे?
वहीं मोदी ने विपक्षी कांग्रेस पार्टी और अन्य विरोधियों जैसे बनर्जी पर हमलों के सबूत मांग कर भारत के दुश्मनों की मदद करने के आरोप लगाए हैं। लेकिन सवाल अभी भी जस के तस बने हुए हैं।
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