राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री व दिग्गज कांग्रेस नेता सचिन पायलट आज अपना 46वां जन्मदिन मना रहे हैं। सचिन देश के मशहूर राजनीतिज्ञ और बड़े गुर्जर नेताओं में से एक रहे स्वर्गीय राजेश पायलट के बेटे हैं। हालांकि, जूनियर पायलट ने भारतीय राजनीति और कांग्रेस पार्टी में अपना कद अपनी मेहनत के दम पर बढ़ाया है। पूर्व पीसीसी चीफ सचिन अपने पिता राजेश पायलट की तरह कभी भारतीय वायुसेना ज्वॉइन करना चाहते थे, लेकिन साल 2000 में 11 जून को एक सड़क हादसे में उनके पिता और दिग्गज कांग्रेस नेता राजेश पायलट की मौत हो गईं। पिता की असामयिक मृत्यु ने युवा सचिन के जीवन की दिशा बदल दी और बाद में उनकी राजनीति में एंट्री करवाई गईं। इस खास अवसर पर जानिए सचिन पायलट के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
सचिन पायलट का जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के सहारनपुर में 7 सितंबर 1977 को हुआ था। एनसीआर क्षेत्र नोएडा के पास वेदपुरा उनका पुश्तैनी गांव है। सचिन ने अपनी स्कूली शिक्षा नई दिल्ली के एयरफोर्स बाल भारती स्कूल से प्राप्त की। उन्होंने नई दिल्ली के ही सेंट स्टीफेंस कॉलेज से स्नातक किया। इसके बाद सचिन ने अमरीका की पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। कांग्रेस पार्टी में शामिल होने से पहले सचिन पायलट बीबीसी के दिल्ली स्थित कार्यालय में बतौर इंटर्न काम कर चुके थे। उन्होंने अमरीकी कंपनी जनरल मोटर्स में भी प्रबंधन का काम किया।
सचिन बचपन में अपने पिता राजेश पायलट की तरह भारतीय वायुसेना के विमानों को उड़ाने का ख़्वाब देखा करते थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने इस बात का खुलासा करते हुए बताया था, ‘जब मुझे पता चला कि मेरी आंखों की रोशनी कमज़ोर है तो मेरा दिल टूट गया.. क्योंकि मैं बड़ा होकर अपने पिता की तरह एयरफ़ोर्स पायलट बनना चाहता था। स्कूल में बच्चे मुझे मेरे पायलट सरनेम को लेकर चिढ़ाया करते थे। तो मैंने अपनी मां को बताए बिना हवाई जहाज़ उड़ाने का लाइसेंस ले लिया।’
मात्र 23 साल की उम्र में अपने पिता राजेश पायलट को खोने वाले सचिन पायलट कॉरपोरेट सेक्टर में नौकरी करना चाहते थे। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। पिता के अचानक निधन के बाद साल 2002 में सचिन कांग्रेस में शामिल हो गए। लेकिन जब सचिन ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालना शुरू किया तो उन्हें वंशवाद के कारण राजनीतिक लाभ मिलने जैसी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। वह अपने पिता के अंदाज़ में ख़ुद गाड़ी चलाकर गांव-गांव घूमकर लोगों से मिला करते थे।
सचिन पायलट ने 14वीं लोकसभा के चुनाव में अपने पिता राजेश पायलट की पुश्तैनी सीट दौसा से पहली बार चुनाव लड़ा और बड़े अंतर से जीतकर लोकसभा में पहुंचे। उस समय मात्र 26 वर्ष की उम्र में चुनाव जीतकर सचिन भारत के सबसे कम उम्र के सांसद बने थे। उनके बारे में एक और सबसे ख़ास बात यह है कि सचिन पायलट पहले ऐसे भारतीय केन्द्रीय मंत्री हैं, जिन्होंने प्रादेशिक सेना (टेरीटोरियल आर्मी) में अपनी सेवा दी है। वह 6 सितंबर, 2012 को प्रादेशिक सेना में शामिल हुए। उनकी मां रमा पायलट भी विधायक और सांसद रही हैं। साल 2002 में कांग्रेस में शामिल होने के बाद वह राजनीति की सीढ़ियां लगातार चढ़ते चले गए और बहुत जल्द ही एक परिपक्व नेता बन गए।
साल 2009 के आम चुनाव में दौसा लोकसभा सीट एसटी वर्ग के लिए रिजर्व हो जाने पर सचिन पायलट को अपना पुश्तैनी चुनाव क्षेत्र बदलना पड़ा था। उन्होंने अजमेर लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए। सचिन को मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार में कॉर्पोरेट एंड इंर्फोमेशन मिनिस्टर बनाया गया। वर्ष 2014 में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी नेतृत्व ने 21 जनवरी को सचिन पायलट पर भरोसा जताते हुए उन्हें राजस्थान कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया।
सचिन पायलट ने पांच साल तक कड़ी मेहनत करके पार्टी को वर्ष 2018 का राजस्थान विधानसभा चुनाव जिताया। सचिन ने अपनी मेहनत के बदले मुख्यमंत्री पद की दावेदारी ठोकी, लेकिन कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने उनके साथ धोखाधड़ी करते हुए अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बना दिया। सचिन इतनी आसानी से नहीं माने थे, उन्होंने कांग्रेस को अपना फैसला बदलने के लिए तीन दिन तक मजबूर कर दिया, बाद में कुछ नेताओं की समझाइश से उन्होंने उप-मुख्यमंत्री पद अपनी शर्तों के अनुसार स्वीकार किया। गहलोत और पायलट परिवार की अनबन जग-जाहिर है। दोनों मौका मिलने पर एक-दूसरे के ऊपर निशाना साधते रहते हैं।
गहलोत के साथ लंबी सियासी खींचतान के बाद पायलट का जुलाई, 2020 में असंतोष फूट पड़ा और पायलट ने बगावत कर दी। पायलट अपने समर्थक विधायकों को लेकर पहले हरियाणा के मानेसर स्थित एक होटल और बाद में दिल्ली में जम गए। इससे गहलोत सरकार अल्पमत में आ गयी और कांग्रेस में हड़कंप मच गया।
इस दौरान सचिन पायलट के बागी तेवर और उनकी सीएम बदलने की मांग को देखते हुए पार्टी ने उनके खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए उन्हें पीसीसी चीफ और डिप्टी सीएम के पद से पद मुक्त कर दिया। इससे पायलट एक बार फिर देशभर में सुर्खियों में छा गये। करीब 32 दिन तक चले सियासी खींचतान के बाद प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के दखल से वरिष्ठ नेताओं ने पायलट को मनाया और उन्हें पार्टी में वापस लेकर आए। इस सियासी सुलह में पायलट की सीएम बदलने की शर्त को छोड़कर अन्य सभी शर्तें मान ली गईं।
सचिन पायलट ने वर्ष 2004 में अपनी गर्लफ्रेंड सारा अब्दुल्ला से शादी की है। सारा जम्मू-कश्मीर के दिग्गज नेता फारूख अब्दुल्ला की बेटी और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की बहन है। सारा पायलट और सचिन के दो बेटे आरान और वेहान पायलट हैं। सचिन पायलट के बारे में कहा जाता है कि उन्हें अपनी बात को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने की महारत हासिल है। इसमें तर्क भी होते हैं और शब्द भी।
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