जल्द ही, शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा खोजे गए डुयो बायो-मार्कर के साथ तैयार एक सिंपल मेडिकल टेस्ट का उपयोग करके कोलोरेक्टल कैंसर की उपस्थिति का पता लगाना संभव होगा।
भारतीय विज्ञान संस्थान, शिक्षा और अनुसंधान (आईआईएसईआर), पुणे और टाटा मेमोरियल अस्पताल (टीएमएच) द्वारा संयुक्त रूप से किए गए अध्ययन में पाया गया कि यह परीक्षण विशेष AT-रिच बाइंडिंग प्रोटीन(एसएटीबी) में पाए जाने वाले असामान्य असंतुलन की जांच कर सकता है, जिसका मतलब है कि किसी व्यक्ति में कोलोरेक्टल कैंसर की उपस्थिति हो सकता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह डुयो मार्कर टेस्ट डॉक्टरों द्वारा अन्य कैंसर के शुरुआती निदान के लिए भी किया जा सकता है जिससे इलाज की शुरुआत हो सकती है।
डॉक्टरों और शोधकर्ताओं के अनुसार, कोलोरेक्टल कैंसर बढ़ने तक या अपनी एडवांस स्टेज पर पहुंचने तक अनियंत्रित रहता है। हमने पहली बार पाया कि दो प्रकारों में देखा गया कोई भी बदलाव कैंसर रोगियों में एसएटीबी 1 और एसएटीबी 2 प्रोटीन के स्तर की रिपोर्ट वास्तव में कोलोरेक्टल कैंसर की स्टेज के बारे में हमें बता सकती है। इलाज को लेकर कई चीजें साफ हो जाती हैं।
इस संबंध में एक समझौता ज्ञापन हाल ही में किया गया था। इस समझौते के तहत टीएमएच से गैलेन्डे और डॉ प्राची पाटिल अगले तीन वर्षों में 600 रोगी के नमूनों का अध्ययन करेंगे। शोध मुख्य रूप से कोलोरेक्टल कैंसर के निदान के लिए संभावित भविष्यवाणी तंत्र की पहचान करने, स्टेटिन की प्रतिकूल घटनाओं की गंभीरता को समझने, जीन विनियमन में एसएटीबी प्रोटीन की भूमिकाओं को समझने और कैंसर की प्रगति में उनके लिंक को समझने पर केंद्रित होगा।
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