सुप्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय संगीत गायिका श्यामला जी भावे का 79 वर्ष की उम्र में शुक्रवार को निधन हो गया। उन्होंने हृदयघात की वजह से इस दुनिया को अलविदा कह दिया। वे पिछले कुछ वर्षों से बीमार थीं। श्यामला जी भावे कर्नाटक की कला का प्रतिनिधित्व करती थीं। उन्हें हिन्दुस्तानी और कर्नाटक दोनों शैलियों के गायन में महारत हासिल थीं। उन्हें सर एम विश्वेश्वरैया ने ‘उभयगान विदुषी’ सम्मान से सम्मानित किया था।
जानकारी के अनुसार, श्यामला जी भावे पिछले कुछ समय से बीमार थीं। तीन दिन पहले ही उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था। इसके बाद उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई और शुक्रवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्होंने छह साल की उम्र में उन्हें एक संगीत प्रतियोगिता जीती थी और 12 साल की उम्र से वे संगीत प्रस्तुति देने लगी थीं।
भावे को संगीत के संस्कार विरासत में मिले थे, क्योंकि उनके माता-पिता दोनों ही संगीतकार थे। उनकी मां लक्ष्मी भावे भी एक शास्त्रीय संगीतकार थीं। उनके पिता गोविंद विट्ठल भावे ने उन्हें हिन्दुस्तानी संगीत सिखाया था, जबकि कर्नाटक संगीत की बारीकियां उन्होंने ए सुब्बराया व बी दोरेस्वामी से सीखी थीं।
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श्यामला जी भावे के बारे में कहा जाता है कि संगीत के प्रति लगाव के कारण ही उन्होंने विवाह के बंधन में नहीं बंधने का फैसला कर लिया था। भावे के परिवारजनों ने बताया कि वह पिछले कुछ समय से बीमार थीं। तीन दिन पहले उन्हें एक निजी अस्पताल से छुट्टी दी गई थी, जिसके बाद उनकी हालत बिगड़ती गई और शुक्रवार को वे इस दुनिया से रुख़सत हो गईं।
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