पिछले कई समय में आपने यह खबरें पढ़ी होंगी कि फलां कपल शादी के कई सालों बाद अलग हो गया। सेलेब्रिटीज को लेकर यह खबरें तो कई बार सुनी होंगी। शादी के 20-25 साल साथ बिताकर फिर जब कोई कपल अलग होता है तो सबसे पहले यही सवाल मन में आता है कि आखिर ऐसा क्या हो गया? रिश्ता बनना और फिर अचानक टूटना…इसके पीछे एक बहुत लम्बी इमोशनल यात्रा होती है, जिसमें कई उतार चढ़ाव शामिल होते हैं, जब यह होता है तो यकीनन विभिन्न मायनों में जिंदगी बदल जाती है। रिश्ता बनाना जितना आसान है उसे लम्बे समय तक निभाना उतना ही मुश्किल है। नए ख्वाख लेकर जब दो लोग शादी के बंधन में बंधते हैं तो मन में कई उम्मीदें होती हैं इन उम्मीदों और सपनों को हकीक़त की जमीं पर साकार करने में जहां कई लोग कामयाब हो जाते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जो या तो उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाते या फिर अपने साथी के सपनों को जी नहीं पाते।
शादी के शुरुआती सालों में जब कोई कपल अलग होत है तो स्वत: यह मान लिया जाता है कि दो अलग प्रवृत्ति के लोग थे और उनका साथ रह पाना संभव नहीं था। लेकिन जब यह अलगाव 18-20 साल बाद देखने को मिलता है तो कई सवाल उठते हैं, आरोप-प्रत्यारोप होते हैं और एक रिश्ते की हार होती है।
इस हार के कारणों को समझना सच में काफी मुश्किल है। हो सकता है दो लोग अपने रिश्ते को बचाने की भरपूर कोशिश करते हैं लेकिन सालों बाद उन्हें समझ आता है कि चाहकर भी चीजों को सही करना मुमकिन नहीं है या फिर रिश्ते को बनाए रखने की किसी एक की कोशिशें तब दम तोड़ने लगती हैं जब साथी अपनी तरफ से कोई प्रयास करना ही नहीं चाह रहा हो या फिर लोक लिहाज के कारण सालों तक चुप रहा जाता है लेकिन ज्वालामुखी कभी ना कभी तो फूटता ही है या फिर यह समझने में सालों बीत जाते हैं कि वे एक दूसरे के लिए बने ही नहीं थे या फिर शुरुआत में प्यार था लेकिन वक्त के साथ वैचारिक मतभेद बढ़ते गए या फिर अचानक जिंदगी में ऐसा बदलाव आ गया कि साथ रहना नामुमकिन सा हो गया या फिर उनकी शादी ऐेसे हालात में हुई जो कहीं ना कहीं उनकी मर्जी के खिलाफ था या फिर किसी एक का स्वार्थी स्वभाव जो सिर्फ अपने लिए ही हमेशा सोचता रहा और या फिर ऐसे अन्जान कारण जो किसी से कहे नहीं जा सकते….।
इस तरह के मामलों में सिर्फ कयास ही लगाए जा सकते हैं क्योंकि किसी की भी मानसिक परिस्थिति को तब तक नहीं समझा जा सकता, जब तक हम उस दौर से गुजर नहीं जाते। रिश्तों को हारने से बचाने के लिए निश्चित रूप से दो लोगों का आपसी प्रयास जरूरी होता है। एक की खुशी में अपनी खुशी ढूंढना और एक के दुखों को अपना दुख मानना जैसी भावना शायद शादी को संभाले रखने में सबसे अहम है। इस रिश्ते में जितना प्रैक्टिकल रहा जाए यह उतने अच्छे से चलता है। ना पति के लिए कोई गाइडलाइंस हों ना पत्नी के लिए। भावनाओं को समझना, फ्री स्पेस देना और बातों को सम्मान देना, जब यह कपल के बीच होता है तो प्यार अपने आप उनके इर्द-गिर्द घुमता है। मन मुटाव तो होते ही हैं लेकिन यह तो सिर्फ कुछ पल के होते हैं, इन्हें खींचना समस्या पैदा करता है।
रिश्तों में हार जाने से बेहतर तो यही है कि एक दूसरे के लिए हारा जाए…।
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