शिक्षा

बच्चों में किताबें पढ़ने की आदत जरूरी है लेकिन पेरेंट्स ये गलतियां कर रहे हैं!

हर बच्चा किताबी कीड़ा हो यह जरूरी नहीं होता लेकिन रिसर्च से पता चला है कि बच्चों में अगर पढ़ने को लेकर प्यार हो तो इसके कई फायदे हो सकते हैं। एजुकेशन इससे प्रभावित होता है, सामान्य ज्ञान, शब्दावली में बढ़ोतरी होती है, लेखन क्षमता में सुधार और बच्चों को हर चीज के लिए सहानुभूति विकसित करने में मदद मिलती है।

पढ़ने से यहां क्लास रूम में बैठकर पढ़ना नहीं है। पढ़ने का मतलब है किताबें जो सैलेबस से अलग हो, कहानियां हों, शॉर्ट स्टोरीज हो, किसी का जीवन हो।

सबसे बड़ी बात यही है कि साहित्य पढ़ने से बच्चों को अपनी कल्पना को बढ़ाने में मदद मिलती है। कई स्तर पर किताबें पढ़ने की इच्छा या बच्चों में किताबें पढ़ने की दिलचस्पी जगाने से फायदे हैं। इससे बच्चे सामाजिक तौर पर खुद का विकास करते हैं।

लेकिन इतने सारे फायदों के बावजूद यूथ बहुत कम किताबें पढ़ रहे हैं और 10 साल की उम्र के बाद से ही बच्चे पढ़ाई में दिलचस्पी में पिछड़ जाते हैं।  कुछ टीचर्स का मानना है कि माता-पिता को अपने बच्चे के पढ़ने में सहायता करने के लिए अधिक सक्रिय होना चाहिए। स्कूल में एक पैटर्न के हिसाब से पढ़ाई होती है उसके अलावा बच्चे के आसपास उसके मां बाप ही होते हैं। मां बाप को ही ऐसा माहौल बनाने की जरूरत है कि बच्चा दूसरी चीजें भी पढ़ने में दिलचस्पी ले।

लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि माता-पिता और शिक्षक बच्चों को अधिक पढ़ने में मदद करने के लिए सक्रिय रूप से शामिल हों। कुछ चीजें हैं जो माता-पिता और शिक्षक कर सकते हैं जो वास्तव में बच्चों की मदद कर सकते हैं।

बच्चों को ही चुनने दें

नौ और 12 साल की उम्र के बीच के बच्चों के साथ अपने शोध में रिसर्चर ने इस बात की जांच कि वे किस हद तक इन्जॉयमेंट के लिए पढ़ते हैं और उन फैक्टर्स पर भी ध्यान दिया जिनकी वजह से वो पढ़ नहीं पाते।

स्टडी में सामने आया है कि बच्चों की हमेशा यही शिकायत रहती है कि माता पिता को जो ठीक लगती हैं उन्हीं किताबों को वो खरीदते हैं या जो उन्होंने पढ़ी होती हैं। ऐसे में जो किताबें बच्चों को पसंद होती हैं वो उनके हाथ नहीं आ पातीं।

अन्य बच्चों द्वारा यह शिकायत की गई थी कि उनके टीचरों ने स्कूल में पढ़ाई के वक्त खुद टीचरों द्वारा पढ़ी गई पुस्तकों को चुना और आमतौर पर उन्हें वो किताबें पसंद नहीं थीं और फिर हमारा उन्हें पढ़ने का मन भी नहीं करता।

उन्हें फोर्स ना करें

कुछ बच्चों ने यह भी शिकायत की कि उनके माता-पिता ने उन्हें उन किताबों को पढ़ने की अनुमति नहीं दी जो वो पढ़ना चाहते थे। उदाहरण के लिए एक लड़के ने कहा कि उन्हें एनिड ब्लिटन की किताबें पसंद हैं, लेकिन उनके पिता ने उन्हें ये पढ़ने की अनुमति नहीं दी। एक लड़की ने शिकायत की कि उसके पिता ने उसे डायरी ऑफ द विम्पी किड पढ़ने से रोक दिया क्योंकि उन्हें लगता है इससे कुछ लर्निंग नहीं होती।

कुछ बच्चे ऐसे भी थे जिन्होंने शिकायत की कि उन्हें किसी किताब को पढ़ने के लिए फोर्स किया जाता था या फिर किसी बोरिंग किताब को पूरा करने को कहा जाता था। ऐसे में बच्चों को उनकी पसंद की किताबें प्रोवाइड करवाई जाएं और अगर वो किसी किताब को बीच में छोड़ रहे हैं तो उनकी पसंद की किताबें दी जाएं।

इसे मज़ेदार बनाएँ

शोध में पता चला कि अधिकतर यही होता कि माता पिता बच्चों के किसी किताब को पूरा करने के बाद सवाल जवाब करते हैं। माना जाता है कि यह ठीक है और अच्छा है लेकिन ऐसा नहीं है।
अधिकतर बच्चों ने कहा कि उन्हें पढ़ने के बाद सवाल पूछा जाना पसंद नहीं है। एक लड़के ने कहा कि मुझे पता है कि मुझसे सवाल पूछे जाएंगे और यह ऐसा लगता है कि जैसे कोई मेरा टेस्ट लेने जा रहा है। इसके बजाय माता पिता को बच्चों के साथ बैठकर किताब के बारे में चर्चा करनी चाहिए और इसे इंटरेस्टिंग बनाना चाहिए। माता पिता किताब पढ़ने के दौरान ही बच्चे के आस पास हों तो बेहतर है।
पढ़ना महत्वपूर्ण है चाहे फिर बच्चे जो किताबें चुन रहे हों वो माता पिता को पसंद आए या ना आए। सबसे महत्वपूर्ण यही है कि बच्चों के पास उनकी पसंद की किताबें हों।

Neha Chouhan

12 साल का अनुभव, सीखना अब भी जारी, सीधी सोच कोई ​दिखावा नहीं, कथनी नहीं करनी में विश्वास, प्रयोग करने का ज़ज्बा, गलत को गलत कहने की हिम्मत...

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