ये हुआ था

डॉ. आरसी मजूमदार ने स्वतंत्रता आंदोलन इतिहास लिखने के लिए दे दिया था इस्तीफा

प्रसिद्ध भारतीय इतिहासकार व प्रोफेसर डॉ. रमेश चंद्र मजूमदार (आरसी मजूमदार) की आज 139वीं जयंती है। डॉ. आरसी मजूमदार का जन्म 4 दिसंबर, 1884 को बंगाल प्रेसीडेंसी में जिला फरीदपुर के खंडारपार गांव (अब बांग्लादेश) में हुआ था। उनके पिता का नाम हलधर मजूमदार और माता का नाम बिधु मुखी था। वर्ष 1905 में उन्होंने रेनशॉ कॉलेज, कटक की प्रवेश परीक्षा पास की और कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया। आरसी मजूमदार ने इतिहास में स्नातक ऑनर्स तथा इतिहास में ही अपनी मास्टर डिग्री प्रथम श्रेणी के साथ पूरी की थी। बाद में वह शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे थे। इसके अलावा भारत का इतिहास लिखने में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। इस ख़ास अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में…

‘आन्ध्र-कुषाण युग’ के लिए प्राप्त की छात्रवृत्ति

डॉ. रमेशचंद्र मजूमदार ने वर्ष 1912 में ‘आन्ध्र-कुषाण युग’ के लिए प्रेमचंद रायचंद छात्रवृत्ति हासिल की। बाद में वह वर्ष 1913 में ढाका के शासकीय ट्रेनिंग कॉलेज में लेक्चरर पद पर नियुक्त हुए। वर्ष 1914 में डॉ. मजूमदार कलकत्ता विश्वविद्यालय में ​इतिहास विभाग से संबद्ध हुए व वहीं से ही ‘प्राचीन भारत में संगठित जीवन’ शीर्षक से शोध-प्रबंध लिखकर ‘डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी’ की उपाधि प्राप्त कीं। इस पर उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय की ओर से ‘ग्रिफ्थ मेमोरियल पुरस्कार’ प्रदान किया था।

आरसी मजूमदार ने कलकत्ता में डॉ. डीआर भंडारकर के निर्देशन में कार्य किया। वर्ष 1921 में डॉ. मजूमदार ढाका यूनिवर्सिटी में भारतीय इतिहास एवं संस्कृति के प्राध्यापक नियुक्त हुए। वर्ष 1928 में उन्होंने ब्रिटेन, हॉलैण्ड, फ्रांस, जर्मनी, मिस्र तथा अनेक दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों का भ्रमण किया। वर्ष 1937-1942 तक रमेश चंद्र मजूमदार ढाका यूनिवर्सिटी के कुलपति रहे। वर्ष 1950 में मजूमदार बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ इंडोलॉजी के प्राचार्य नियुक्त हुए। वर्ष 1955 में वह नागपुर विश्वविद्यालय में इतिहास के प्राध्यापक के तौर पर चयनित हुए।

विभिन्न संस्थाओं के मानद सदस्य किए गए नियुक्त

डॉ. आरसी मजूमदार विभिन्न इतिहास संबंधी संस्थाओं के अध्यक्ष रहे थे। वह इण्डियन हिस्ट्री कांग्रेस, ऑरिएंटल कॉन्फ्रेंस, एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल और बंगीय साहित्य-परिषद के अध्यक्ष रहे। मजूमदार यूनेस्को द्वारा प्रायोजित हिस्ट्री ऑफ मैनकाइंड के लिए निर्मित की गई अंतर्राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष बनाए गए। वह निम्न संस्थाओं के भी मानद सदस्य मनोनित हुए:

1- रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ ब्रिटेन एंड आयरलैण्ड
2- एशियाटिक सोसाइटी ऑफ कलकत्ता
3- एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बॉम्बे
4- भण्डारकर रिसर्च इंस्टीट्यूट, पूना

स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास के लिए संपादक मंडल सदस्य रहे

जाधवपुर विश्वविद्यालय तथा रविन्द्र भारती द्वारा डॉ. आरसी मजूमदार को मानद डी. लिट की उपाधि प्रदान की गई थी। उन्हें विश्व भारती तथा कलकत्ता कॉलेज ने ‘देसी कोत्तम एवं भारत तत्व भास्कर’ जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया। प्रोफेसर रमेश चंद्र मजूमदार को सर विलियम जॉन्स और बी सी लॉ स्वर्ण पदक ‘एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल’ द्वारा प्रदान किए गए।

वर्ष 1953 में मजूमदार को भारत सरकार द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास लिखने के लिए गठित किए गए सम्पादक मण्डल का सदस्य बनाया गया। बाद में उन्होंने इससे स्वयं इस्तीफा दे दिया। डॉ. रमेश चंद्र मजूमदार को भारतीय विद्या भवन, बम्बई ने ‘द हिस्ट्री एंड द कल्चर ऑफ द इण्डियन पीपल’ के रूप में प्रकाशित श्रृंखला का जनरल एडिटर का दायित्व सौंपा था।

डॉ. आर सी मजूमदार का निधन

मशहूर भारतीय इतिहासकार व इतिहास प्रोफेसर डॉ. रमेश चंद्र मजूमदार का निधन 11 फरवरी, 1980 को पश्चिम बंगाल के कलकत्ता शहर हुआ।

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Raj Kumar

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