हाल में दोबारा सत्ता में आई मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पेश मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 0.25 फीसदी की कटौती की है। अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए रेपो रेट में 0.25 बेसिक आधार पॉइंट की कटौती करते हुए आम आदमी को एक बार फिर राहत दी है। यह खबर गृह निर्माता और ऑटो लोन लेने वालों के लिए अच्छी खबर है। इस कटौती से उन पर ईएमआई का बोझ कम होगा। बता दें आरबीआई द्वारा यह लगातार तीसरा अवसर है, जब रेपो दर में कटौती की है। अब तक इन तीन पॉलिसी में 0.75 फीसदी की कटौती की जा चुकी है।
केन्द्रीय बैंक द्वारा रेपो दर में कटौती करने पर यह 6 फीसदी से घटकर 5.75 फीसदी पर आ गई है, वहीं रिवर्स रेपो दर 5.75 फीसदी से घटकर 5.50 फीसदी पर आ गई है। वर्ष 2010 में सितंबर माह के बाद पहली बार रेपो दर 6 फीसदी के नीचे आया है।
मौद्रिक नीति कमेटी के सदस्य
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपने कार्यकाल में लगातार तीसरी बार रेपो दर में कटौती की है। मॉनिटरी पॉलिसी के सभी सदस्य डॉ. चेतन घाटे, डॉ. पामी दुआ, डॉ. रविंद्र ढोलकिया, डॉ. माइकल देबब्रत पात्रा, डॉ. विरल आचार्य और शक्तिकांत दास ने एकमत से रेपो दर घटाने के पक्ष में वोट किया। साथ ही मौद्रिक नीति के नजरिए को ‘न्यूट्रल’ से ‘एकोमोडेटिव’ कर दिया है।
क्या है रेपो दर
रेपो दर वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक, बैंकों को उधार देता है। जिसके घटने से बैंकों द्वारा आरबीआई से कर्ज लेना सस्ता हो जाता है और बैंक भी अपने ग्राहकों को कर्ज देने के लिए ब्याज दरों में कटौती करती है। इसे भारतीय रिजर्व बैंक हर तिमाही के आधार पर तय करता है।
हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इस साल रेपो रेट में दो बार कटौती गई जिसका पूरा लाभ बैंकों ने अपने ग्राहकों तक नहीं पहुंचाया है।
जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाया
हाल में जारी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में जीडीपी विकास दर 5.8 फीसद रही।
आरबीआई ने 2019-20 के लिए अर्थव्यवस्था में वृद्धि के अनुमानों में कटौती की है। ट्रेड वार के कारण कमजोर वैश्विक मांग से आगे भी भारत का निर्यात और निवेश गतिविधियां प्रभावित होने की आशंका है। आरबीआई ने 2019-20 के लिए GDP वृद्धि दर का अनुमान 7.2 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया है।
एनईएफटी और आरटीजीएस से पैसे ट्रांसफर करने पर नही लगेगा अतिरिक्त चार्ज
आरबीआई ने नेशनल इलेक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) और आरटीजीएस लेनदेन पर लगने वाले शुल्क को भी खत्म करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के तहत सभी बैंकों को इसका फायदा ग्राहकों तक पहुंचाने का निर्देश दिया है। आरबीआई ने कहा है कि एनबीएफसी सेक्टर की निगरानी की जा रही है साथ ही सिस्टम में पर्याप्त तरलता वह सुनिश्चित करेगा।
क्या है एनईएफटी और आरटीजीएस
राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर एक ऐसा इलेक्ट्रानिक पेमेंट सिस्टम (इलेक्ट्रानिक भुगतान प्रणाली) है जिसके द्वारा आप किसी भी बैंक की ब्रांच (शाखा) से देश की किसी भी अन्य बैंक में किसी व्यक्ति, कंपनी या कार्पोरेट के खाते में धन स्थानांतरण कर सकते हैं।
आरटीजीएस का पूरा नाम रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट यानि तत्काल सकल निपटान है। आरटीजीएस प्रणाली से एक बैंक से दूसरे बैंक में ‘रियल टाइम’ तथा ‘सकल निपटान’ के आधार पर निधियों का ई-अंतरण किया जाता है। आरटीजीएस प्रणाली भारत में सुरक्षित बैंकिंग चैनलों के माध्यम से तीव्रतम अंतर-बैंक धन अंतरण सुविधा है।
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