विजयदशमी यानि दशहरा का त्योहार देशभर में 8 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध कर माता सीता को उनके चंगुल से छुड़ाया था। दशहरे को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। यही वजह है कि दशहरे के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है और भगवान राम की पूजा की जाती है। मगर रावण बहुत बड़ा विध्दान था। वह भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। भारत देश में भी ऐसी कई जगहें हैं जहा रावण के मंदिर हैं और भगवान मानकर पूजा अराधना की जाती है। तो चलिए जानिए भारत के ऐसे मंदिरों के बारे में जहां रावण की पूजा-अर्चना की जाती है।
मध्यप्रदेश के विदिशा को रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म स्थान माना जाता है। विदिशा के एक गांव का नाम रावणगांव रख दिया है। यहा 10 फीट लंबी रावण की मूर्ति है। ग्रामीण लोग दशहरे और अन्य शुभ, मांगलिक अवसरों पर मूर्ति की पूजा करते हैं।
मध्यप्रदेश के ही मंदसौर में भी रावण को भगवान के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि पहले मंदसौर का नाम दशपुर था जिसे रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका भी माना जाता है। माना जाता है कि मंदसौर का मंदिर पहला रावण मंदिर है। यहां रावण को रुण्डी नाम से पूजा की जाती है।
जोधपुर स्थित मंडोर को रावण का ससुराल कहा जाता है। यहां रावण और उनकी पत्नी मंदोदरी का भव्य मंदिर है। यहां का श्रीमाली ब्राह्हमण समाज रावण की कुलदेवी खरानना की अराधना करते हैं। विजयदशमी के दिन यहां रावण का दहन नहीं किया जाता लोग इस दिन को शोक के रूप में मनाते हैं।
यह जगह रावण के लिए बेहद खास मानी जाती है। कहा जाता है ये वही स्थान है जहां रहकर रावण ने भगवान शिव की वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। यह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है जिसे शिवनगरी के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि रावण शिवलिंग लेकर यहां से होते हुए लंका गए थे। यहां रावण का दहन नहीं किया जाता है।
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित शिवाला क्षेत्र में स्थित है। यह साल में सिर्फ एक बार दशहरा के मौके पर ही खुलता है। इस दिन मंदिर को बेहद भव्य रूप में सजाकर रावण की पूजा की जाती है। रावण के दर्शन के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। इस दिन यहां तेल के दिए जलाए जाते हैं।
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