अपने समय में विश्व की टॉप-10 सबसे खूबसूरत महिलाओं में शामिल रही व जयपुर की राजमाता गायत्री देवी की 23 मई को 104वीं बर्थ एनिवर्सरी है। एक राजनेत्री, समाज सेविका और जयपुर राजघराने की राजमाता गायत्री देवी को प्रसिद्ध मैगजीन वोग ने दुनिया की सबसे खूबसूरत महिलाओं की लिस्ट में शामिल किया था। वह जयपुर के महाराजा मान सिंह द्वितीय की तीसरी पत्नी थीं। राजमाता के लिए लोगों के दिल में इतना प्यार था कि वह जितने भी लोकसभा चुनाव में लड़ीं, सभी में शानदार जीत हासिल की थी। उनकी ज़िंदग़ी से जुड़े कई दिलचस्प किस्से हैं। इस खास अवसर पर जानिए महारानी गायत्रीदेवी के जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
गायत्री देवी का जन्म 23 मई, 1919 को ब्रिटेन के लंदन शहर में हुआ था। उनके पिता पिता राजकुमार जितेन्द्र नारायण कूचबिहार (पश्चिम बंगाल) के युवराज के छोटे भाई थे और उनकी माता इंद्रा राजे बड़ौदा की मराठा राजकुमारी थीं। इंद्रा राजे उनके पिता महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ III की इकलौती बेटी थीं। राज परिवार में पैदा हुई गायत्री देवी एक शानदार महल में पली-बढ़ी थी और उनके महल में लगभग 500 नौकर काम किया करते थे। उनके दोस्त और परिवार के लोग उन्हें आयशा के नाम से बुलाते थे।
राजमाता गायत्री देवी की पढ़ाई लंदन, शांति निकेतन नगर स्थित विश्व भारती यूनिवर्सिटी के पाठ भवन और स्विट्जरलैंड में हुईं। गायत्री देवी पोलो की अच्छी खिलाड़ी थीं। इसके साथ ही उन्हें कारों और शिकार करने का भी शौक था। गायत्री देवी ने जब पहली बार चीते का शिकार किया था, तब उनकी उम्र महज 12 साल थी। जयपुर के महाराज से उनकी पहली मुलाक़ात पोलो के मैदान पर ही हुई थी। बात 1931 की है। तब जयपुर के प्रिंस मान सिंह कोलकाता में पोलो सीजन शुरू होने पर खेलने के लिए गायत्री देवी के यहां रहने गए थे। वह हरी रॉल्स रॉयस पर सवार थे। तब मान सिंह की उम्र 21 साल और गायत्री देवी 12 साल की थी। बचपन में गायत्री देवी उन्हें महाराजा ऑफ जयपुर और योर हाईनेस कहकर मुख़ातिब करती थी।
यह वह समय था जब मान सिंह इंग्लैंड की वुलिच मिलिट्री एकेडमी से ट्रेनिंग लेकर लौटे थे। वहां से लौटकर उन्होंने जयपुर पोलो टीम बनाई। उस वक्त गायत्री देवी परी-कथाओं से ठीक उलट एक ही सपना देखती थी। गायत्री देवी की बायोग्राफी ‘अ प्रिंसेज रिमेम्बर्स’ के मुताबिक़, ‘मैं चाहती थी कि कोई जादू हो, मैं राजकुमारी से उनके घोड़े की सईस बन जाऊं। उन्हें उनकी छड़ी पकड़ाऊं और इसी बहाने उनके हाथ को छू भर लूं।’
गायत्री देवी की बायोग्राफी के अनुसार, ‘एक दिन दिन लंच पर जब उनसे मिली तो मेरी उम्मीद के विपरीत उन्होंने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा कि वो जूते उन्हें पहले बड़े थे। पर अब पानी में नहाकर सिकुड़ने के बाद बिल्कुल फिट आ रहे है। हालांकि, हमारी तकरार बहुत सीमित होती थी, पर जय से दूरी का ख़्याल मुझे मायूस कर जाता था। वो फिर विदेश चले गए और वहां से रोज शाम को मुझे फोन करते। चूंकि, हम किसी की नजरों में आना नहीं चाहते थे इसलिए मैं घंटों होटल लॉबी के टेलिफोन बूथ के फर्श पर बैठकर उनके फोन का इंतजार करती थी। (बता दें, राजमाता गायत्री देवी पति मान सिंह को प्यार से ‘जय’ बुलाती थीं)।
राजमाता गायत्री देवी की शादी 21 साल की उम्र में उनके प्यार महाराजा मान सिंह से हुई थी। मान सिंह और गायत्री देवी की आपसी पहचान काफ़ी पहले से थी। बताया जाता है कि मान सिंह उन्हें देखते ही उनसे प्यार कर बैठे थे। 9 मई, 1940 में गायत्री देवी ने राजा मान सिंह से शादी कर ली। गायत्री देवी जयपुर के महाराजा मान सिंह की तीसरी पत्नी बनीं। शादी के नौ साल बाद वर्ष 1949 में 15 अक्टूबर को गायत्री देवी ने एक बेटे को जन्म दिया, जिसका नाम जगत सिंह रखा गया था।
राजमाता गायत्री देवी को बेल बॉटम और फ्रेंच शिफॉन की साड़ी को अलग अंदाज में पहनने का फैशन ट्रेन्ड में लाने का श्रेय जाता है। गायत्री देवी ने ही पहली मर्सिडीज बेंज W126 और 500 SEL भारत इंपोर्ट करवाई थी। बाद में वो कार मलेशिया भेज दी गई थी। इतना ही नहीं कारों की शौकीन राजमाता के पास कई महंगी रोल्स रॉयस और एक एयर क्राफ्ट भी था। इसका अलावा उनके कई महंगे रॉयल शौक थे।
महारानी गायत्री देवी राजनीति में भी सक्रिय रही और जयपुर लोकसभा सीट से स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर वर्ष 1962, 1967 और वर्ष 1971 का चुनाव रिकॉर्ड मतों से जीता। लेकिन साल 1967 में गायत्री देवी टोंक की मालपुरा विधानसभा सीट से दामोदर लाल व्यास के सामने चुनाव हार गईं। लेकिन उन्होंने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कीं। जब वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश में आपातकाल लगाया गया, तब गायत्री देवी को भी जेल में बंद कर दिया गया था। वह करीब 5 महीनों तक दिल्ली की तिहाड़ जेल में रही थीं।
राजमाता गायत्री देवी के पति महाराजा मान सिंह का 29 जून, 1970 को 57 साल की उम्र में देहांत हो गया था। इसके बाद वर्ष 1997 में 5 फरवरी को उनके इकलौते बेटे जगत सिंह की लंदन में मौत हो गईं। हादसे के बाद गायत्री देवी की ज़िंदग़ी में बुरे समय की शुरुआत हुई और वह बिल्कुल अकेली रह गई थी। वह इन सदमों से पूरी उम्र नहीं उभर पाई और काफी दुखी रहने लगी थीं।
29 जुलाई, 2009 को 90 साल की उम्र में गायत्री देवी का संतोकबा दुर्लभजी अस्पताल, जयपुर में किडनी ख़राब होने की वजह से देहांत हो गया और इस तरह एक बेहद ख़ूबसूरत महारानी ने इस दुनिया को अलविदा कहा। अब राजमाता गायत्री देवी के स्व. पुत्र महाराज जगत सिंह के बेटे महाराज देवराज सिंह और बेटी कुमारी ललित्या देवी उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
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देखिए.. राजमाता गायत्री देवी की कुछ और बेहद ख़ास तस्वीरें..
आम लोगों से मिलने के दौरान की एक तस्वीर
राजमाता गायत्री देवी शिफॉन साड़ी में एक ख़ूबसूरत तस्वीर
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