राजस्थान राजनीति की जब भी बात होती है हरिदेव जोशी का जिक्र जरूर होता है। एक बड़ा काल राजस्थान में हरिदेव जोशी के नाम रहा। 17 दिसंबर 1921 यानि आज ही के दिन हरिदेव देव जोशी का जन्म हुआ था। राजनीति से पहले वे स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े थे। राजस्थान में बांसवाड़ा के पास एक गांव खांडू में हुआ था।
बचपन में करीब 10 साल की उम्र में हरिदेव जोशी का हाथ टूट गया था। घरवालों ने देशी इलाज करवाया। घरेलू इलाज काम नहीं कर सका। हालत बिगड़ने पर जब डॉक्टर के पास लेकर गए तो सामने आया कि जहर फैल गया है हाथ काटना ही पड़ेगा और फिर उनका एक हाथ काट दिया गया।
कुछ था हरिदेव जोशी में तभी वे अपने आदिवासी इलाके में सामाजिक काम हमेशा करते रहे। ये आजादी से पहले की बात थी। स्वतंत्रता सेनानी थे। जेल भी गए। अपनी पढ़ाई का साथ नहीं छोड़ा। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से वे जुड़े रहे। स्वतंत्रता के बाद वे कांग्रेस संगठन से जुड़े।
सबसे पहले हरिदेव जोशी को आजादी के बाद 1950 में वे राजस्थान के प्रदेश महासचिव बने। जिसके बाद हरिदेव ने डुंगरपुर सीट से चुनाव लड़ा और जीता भी। फिर लगातार 10 बार विधायक रहे। 1965 में उन्हें पहली बार मंत्रीमंडल में शामिल हुए।
उस वक्त राजस्थान के मुख्यमंत्री हुआ करते थे बरकतुल्लाह खान। 1971 में हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई। जब तत्कालीन मंत्री हरिदेव जोशी को उनकी जगह कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। बाद में विधायक दल की मीटिंग में वोटिंग के जरिए उन्हें मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। उसके बाद एक बार फिर वे 1985 में राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। तीसरी बार वे कम समय के लिए मुख्यमंत्री 4 दिसंबर 1989 को वे मुख्यमंत्री के पद पर रहे।
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