राजस्थान में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद आंकड़ों के आकलन से पता चलता है कि बीजेपी और कांग्रेस के बीच वोट प्रतिशत में बहुत अधिक अंतर नहीं है। दिलचस्प बात यह है कि NOTA को करीब 1.3% वोट पड़े जिससे सरकार से नाराजगी की ओर इशारा जाता है।
राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी को मिली हार बारीकी से देखी जाए तो पता चलता है कि कैसे एक-एक वोट की कीमत सरकार की नियति तय करती है। न सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस के वोट शेयर में बेहद कम अंतर रहा, बल्कि NOTA (नन ऑफ दि अबव) ने भी वोटों में सेंध लगा दी और वसुंधरा राजे के हाथ से राज्य की कमान चली गई। दरअसल, NOTA को 1.3% वोट मिले, जिन्हें सरकार के खिलाफ नाराजगी का इशारा माना जाता है।
राजस्थान के मुख्य निर्वाचन अधिकारी आनंद कुमार ने बताया कि 4,67,781 लाख वोट नोटा में पड़े थे। बीजेपी को जहां 38.8% वोट मिले वहीं कांग्रेस को महज 0.5% ज्यादा 39.3% वोट मिले। कांग्रेस को बीजेपी से करीब 1.70 लाख वोट ज्यादा मिले। वहीं, इस बार NOTA को गए वोटों से पता चलता है कि बीजेपी ने कांग्रेस के हाथ 5.6% वोट शेयर तो गंवाया लेकिन 1.65% का नुकसान NOTA की वजह से भी हुआ। NOTA को सरकार से नाराजगी के रूप में देखा जाता है।
वहीं, इन आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्थान में टक्कर कितनी कांटे की थी। बीजेपी को 2013 में 46.05% वोट और 200 में से 163 सीटें मिली थीं। इस बार पार्टी के वोट शेयर में 7.25% की गिरावट देखने को मिली जबकि 73 सीटों का नुकसान हुआ। कांग्रेस ने 2013 में 33.71% वोट और 21 सीटें अपने नाम की थीं।
उधर, निर्दलीयों को 9.5 फीसदी वोट (33,72,206) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) को चार फीसदी (14,10,995 मत) वोट मिले। आंकड़ों से पता चलता है कि निर्दलीयों और बीएसपी ने कांग्रेस और बीजेपी का खेल बिगाड़ने का काम किया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को 0.2 फीसदी वोट मिले और इतने ही वोट समाजवादी पार्टी को भी मिले।
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