हलचल

क्या राजस्थान में अमित शाह की नहीं चलने दे रहीं वसुंधरा?

राजस्थान विधानसभा चुनाव 7 दिसंबर को होने हैं। सत्ता पार्टी बीजेपी ने टिकटों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में जहां 131 उम्मीदवारों की टिकटों पर मुहर लगी है वहीं 25 नए चेहरों को शामिल किया गया है। साथ ही दो मंत्रियों सहित 23 लोगों के टिकट को काटा गया है।

इन 23 विधायकों में 5 वो भी हैं जिनकी उम्र ज्यादा होने की वजह से इनका टिकट कटा है। उन्हीं की जगह फिर उनके रिश्तेदारों को टिकटें दी गई हैं।

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इन पांच सीटों पर मंत्री नंद लाल मीणा के बेटे हेमंत मीणा, विधायक सुंदर लाल काका के बेटे कैलाश मेघवाल, गुरजंट सिंह के पोते गुरमीत सिंह बराड़, कुंजी लाल मीणा के बेटे राजेंद्र मीणा व कैलाश भंसाली के भतीजे अतुल भंसाली को टिकट दी गई है।

गौर करने वाली बात ये है कि राजस्थान में एंटी माहौल को देखकर भाजपा के आलाकमान यहां के आधे से ज्यादा विधायक बदलने के बारे में विचार कर रही थी।

31 अक्टूबर को वसुंधरा राजे अमित शाह से मिलने गई थीं और अपने 90 विधायकों के नाम उन्होंने अमित शाह के सामने रखे। जानकारी के मुताबिक अमित शाह उस लिस्ट से काफी नाखुश थे और उन्होंने वसुंधरा से कहा भी कि टिकट उन्हीं को दी जाए जो जीत सकते हैं।

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भाजपा से जुड़े सूत्रों के हवालों से पता चला है कि राज्य में अमित शाह ने अपनी ओर से सर्वे करवाया था उसी के आधार पर वे टिकटों का बंटावारा करना चाहते थे।

लेकिन इस पर वसुंधरा का तर्क यह था कि जो लोग काफी समय से पार्टी से जुड़े हुए हैं उन्हें अनदेखा करना कहीं से भी उचित नहीं है। लेकिन इस पर अमित शाह सहमत नहीं हुए और सीट पर दो तीन लोगों का पैनल बनाने को कहा।

अमित शाह के कहने पर गुलाब चंद कटारिया, राजेंद्र राठौड़, अविनाश राय खन्ना, वी. सतीश, चंद्रशेखर, ओमप्रकाश माथुर, अर्जुनराम मेघवाल, गजेंद्र सिंह शेखावत, नारायण पंचारिया, ओम बिड़ला, राजेंद्र गहलोत, हरिओम सिंह, सीपी जोशी, किरण माहेश्वरी व भजन लाल ने सभी जिलों का दौरा किया और हर एक सीट पर उम्मीदवारों की लिस्ट तैयार की।

ऐसे में कयास ये लगाए जा रहे थे कि अमित शाह की चलने वाली है और उसी तरह उम्मीदवारों की पहली लिस्ट सामने आएगी। लेकिन जो सामने आया उसमें वसुंधरा की ही तुती बोलती दिखी।

सिर्फ 19 लोगों की ही काम की वजह से टिकट कटी और ज्यादातर सीटों पर वसुंधरा के पसंद के ही उम्मीदवार खड़े किए गए हैं। जिनके टिकट कटें हैं उनके काम से वसुंधरा भी सहमत नहीं थी। ऐसे में एक दो को छोड़ दें तो सभी के वसुंधरा से अच्छे संबंध हैं। गौर करने वाली बात है कि वसुंधरा के सबसे करीबी युनूस खान को जरूर टिकट नहीं मिला है जो कि उनके सबसे करीबी माने जाते हैं। अभी दूसरी लिस्ट भी आनी बाकी है ऐसे में युनूस का नाम अटका हुआ है।

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कहा जा रहा है कि दूसरी लिस्ट में भी वसुंधरा के चहेते लोग ही दिखाई देंगे। इससे पहले भी प्रदेशाध्यक्ष नियुक्ति करते सम पार्टी के आलाकमान और वसुंधरा के बीच मतभेद हुए थे। जिसके बाद भी वसुंधरा ने अपनी जिद मनवा ली और टिकट बंटवारे में भी वसुंधरा की छवि को देखा जा सकता है।

Neha Chouhan

12 साल का अनुभव, सीखना अब भी जारी, सीधी सोच कोई ​दिखावा नहीं, कथनी नहीं करनी में विश्वास, प्रयोग करने का ज़ज्बा, गलत को गलत कहने की हिम्मत...

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