देश का ऐसा परिवार जिसके सभी सदस्य स्पोर्ट्स पर्सन है, उस परिवार में जन्मी भारत की वो स्टार शटलर जो एक बड़ी कामयाबी से रातों-रात लाखों लड़कियों के लिए रोल माॅडल बन गईं। इन्होंने न केवल रियो ओलम्पिक में सिल्वर मेडल जीता, बल्कि वह खेलों के इस महाकुंभ में भारत की ओर से रजत पदक जीतने वाली पहली और बैडमिंटन में मेडल जीतने वाली दूसरी शटलर भी बनीं। भारत की इस स्टार शटलर का नाम है पीवी सिंधु। जी हां, भारत की यह दिग्गज बैडमिंटन खिलाड़ी आज 5 जुलाई को अपना 29वां जन्मदिन मना रही हैं। इस खास अवसर पर जानते हैं पीवी सिंधु के जीवन के बारे में कई अनसुनी बातें…
प्रसिद्ध बैटमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु का पूरा नाम पुसरला वेंकटा सिंधु हैं। उनका जन्म 5 जुलाई, 1995 को तेलंगाना राज्य के हैदराबाद में हुआ था। उनके पिता का नाम पीवी रमण और मां का नाम पी. विजया हैं। सिंधु की शिक्षा गुंटुर में हुईं। उन्होंने भारत के दिग्गज शटलर पुलेला गोपीचंद से प्रभावित होकर मात्र 8 साल की उम्र बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। सिंधु के पहले कोच महबूब अली थे, लेकिन जल्दी ही वो पूर्व खिलाड़ी पी. गोपीचंद की बैडमिंटन एकेडमी से जुड़ गईं।
वर्ष 2009 में सिंधु ने श्रीलंका के कोलंबो में जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में हिस्सा लिया, जो उनका पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट था। इसके महज सात साल बाद ही पीवी सिंधु वर्ष 2016 के रियो ओलंपिक खेलों में सिल्वर मेडल जीतकर सबसे कम उम्र में ओलम्पिक पदक जीतने वाली भारतीय होने का गौरव प्राप्त किया।
पीवी सिंधु ने 10 अगस्त, 2013 को वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। इसके साथ ही वह ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं। इसके एक साल बाद यानि साल 2014 में भी उन्होंने एक बार फिर ब्रोंज मेडल अपने नाम किया। वर्ष 2012 में सिंधु ने बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन की टॉप-20 रैंकिंग में जगह बनाईं।
साल 2014 में उन्होंने एफआईसीसीआई ‘ब्रेकथ्रु स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ द इयर’ और एनडीटीवी ‘इंडियन ऑफ द इयर’-2014 का अवार्ड जीता। सिंधु ने वर्ष 2014 के ग्लास्को काॅमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीता। उन्होंने इसी वर्ष एशियन चैंपियनशिप में ब्रोंज मेडल अपने नाम किया। सिंधु साल 2017 और 2018 की वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक जीत चुकी हैं।
पीवी सिंधु निजी जिंदगी की बात करें तो उनके परिवार में माता-पिता के अलावा उनकी एक बड़ी बहन भी हैं। सिंधु के पैरेंट्स प्रोफेशनल वाॅलीबाॅल प्लेयर रह चुके हैं। वहीं, उनकी बड़ी बहन हैंडबाॅल की खिलाड़ी रही है। सिंधु के पिता पीवी रमण वर्ष 1986 में सियोल एशियन गेम्स में ब्रोंज मेडल जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे। उनके पिता को वर्ष 2000 में ‘अर्जुन अवाॅर्ड’ से सम्मानित किया गया था।
वहीं, पीवी सिंधु की मां पी. विजया पहले भारतीय रेलवे में नौकरी किया करती थी, लेकिन उन्होंने अपनी बेटी को समय देने के लिए अपनी इस जाॅब से वाॅलेंट्री रिटायरमेंट ले लिया। सिंधु की बड़ी बहन पीवी दिव्या नेशनल लेवल पर हैंडबाॅल खेल चुकी हैं, लेकिन डाॅक्टर की पढ़ाई के लिए उन्होंने अपना स्पोर्ट्स कॅरियर छोड़ दिया।
पीवी सिंधु को वर्ष 2015 में ‘पद्मश्री’ और साल 2020 में भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया जा चुका है। सिंधु हैदराबाद में गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी में ट्रेनिंग लेती हैं और उन्हें ‘ओलम्पिक गोल्ड क्वेस्ट’ नाम की एक नाॅन प्राॅफिट संस्था सपोर्ट करती है। उनके कोच पुलेला गोपीचंद ने एक बार पीवी सिंधु की तारीफ करते हुए कहा था, ‘सिंधु के खेल की खास बात उनका एटीट्यूड व कभी न खत्म होने वाला जज्बा है।’
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