सुबह उठने के साथ मोबाइल देखना और रात को आंख बंद होने तक मोबाइल का यूज करना आजकल के युवाओं के लिए आम बात है। जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका मोबाइल किसी भी हालत में छूटता नहीं है। नतीजन विभिन्न हैल्थ प्रॉब्लम के साथ एडिक्शन भी युवाओं के लिए समस्या बनता जा रहा है। एम्स की हाल ही हुई एक स्टडी के मुताबिक 14 प्रतिशत युवा मोबाइल एडिक्ट हैं और उन्हें इलाज की जरूरत है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि युवाओं को अपने एडिक्शन का अंदाजा है लेकिन वे चाहकर भी इसे छोड़ नहीं पा रहे हैं।
डॉक्टर्स के अनुसार यदि किसी में तीन लक्षण पाए जाते हैं तो उसे एडिक्शन की श्रेणी में रखा जाता है। खास बात यह है कि अधिकतर युवा 3 से 6 लक्षण खुद कबूल कर रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि इस समस्या को देखते हुए मोबाइल एडिक्शन क्लिनिक बनाए जाने चाहिए।
युवा इस बात को समझ रहे हैं कि मोबाइल उनके लिए परेशानी बनता जा रहा है लेकिन वे इससे दूर नहीं हो पा रहे। एम्स के साइकेट्री डिपार्टमेंट के डॉक्टर यतन पाल सिंह बलहारा के अनुसार, यह स्टडी एक ट्रेड फेयर के दौरान की गई थी। मेले में आने वाले 817 लोगों को इस स्टडी में शामिल किया गया था और उन्हें मोबाइल एडिक्शन साबित करने वाले ऐसे 9 लक्षण की एक सूची दी गई थी। स्टडी में शामिल लोग लक्षण को स्वीकार कर रहे थे। इस स्टडी को हाल ही में मेडिकल जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
अपनी जिंदगी में युवा मोबाइल को इस कदर शामिल कर चुके हैं कि यदि उनसे मोबाइल ले लिया जाए तो उन्हें कुछ कमी—सी महसूस होती है। इस अधुरेपन के डर से ही वे मोबाइल के उपयोग को सीमित नहीं कर पा रहे हैं। 24.8 प्रतिशत ने माना कि मोबाइल के बिना खालीपन है। इसके बाद 21.4 प्रतिशत लोगों ने मोबाइल के यूज को जुनून करार दिया। 19.4 प्रतिशत ने माना कि वे मोबाइल की लत को छोड़ना चाहते हैं लेकिन इससे बाहर नहीं निकल पा रहे। यहां तक की लोग यह भी मान रहे हैं कि मोबाइल के कारण उनके निजी रिश्ते भी खराब हो रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार युवाओं को इस लत से दूर करने के लिए पारिवारिक सहयोग और क्लिनिकल सपोर्ट चाहिए ताकि वे अपनी जिंदगी को बेहतर तौर पर जी सकें।
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