2019 के लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण के मतदान में अब एक सप्ताह से भी कम दिन रह गए हैं। ऐसे में सभी प्रमुख राजनीतिक दल अपनी चुनावी रणनीतियों के अनुसार माहौल अपने पक्ष में करने के लिए तूफानी चुनावी रैलियां कर रहे हैं। लगभग सभी दलों ने अपने प्रत्याशी भी घोषित कर दिए हैं। हालांकि अभी भी कुछ सीटों पर प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवारों के नाम की घोषणा बाकी है। इन्हीं में से एक है उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट। यह सीट 2014 के लोकसभा चुनाव से देश की सबसे पॉपुलर सीट मानी जाती है।
पिछले चुनाव में बीजेपी के पीएम चेहरे नरेन्द्र मोदी अपने गृह राज्य गुजरात की वडोदरा सीट के अलावा वाराणसी सीट से चुनाव लड़े थे। उन्होंने वाराणसी से रिकॉर्ड बहुमत के साथ जीत दर्ज की थी। यूपी सहित देशभर में बीजेपी का प्रदर्शन शानदार रहा और पीएम मोदी के नेतृत्व में केन्द्र की एक मज़बूत सरकार बनीं। 2019 के चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी एकमात्र उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट से ही चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस उन्हें टक्कर देने के लिए प्रियंका गांधी को मैदान में उतारना चाहती थी लेकिन क्या हुआ आइये जानते हैं..
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा लोकसभा चुनाव लड़ेंगी या नहीं इस पर अभी तक अटकलें लगाई जा रही हैं। लेकिन अब यह लगभग तय हो चुका है कि वह उत्तर प्रदेश के वाराणसी से पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ नहीं लड़ेंगी। पिछले महीने प्रयागराज से वाराणसी के बीच गंगा यात्रा के दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका ने लोकसभा चुनाव के लिए वाराणसी का नाम तब लिया था, जब पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनकी मां सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली से चुनाव लड़ने का अनुरोध किया था। तक प्रियंका गांधी ने कहा था कि जब चुनाव लड़ना ही है तो फिर वाराणसी से क्यों नहीं?
लेकिन अब कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पूर्व उत्तर प्रदेश की प्रभारी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव नहीं लड़ेंगी। इसके पीछे का तर्क यह दिया जा रहा है कि यह राज्य के बाकी हिस्सों में अभियान को कमजोर कर सकता है। ऐसे में प्रियंका गांधी मोदी के खिलाफ लड़कर कांग्रेस को बड़ी रिस्क में नहीं डालना चाहती है। सूत्रों कि मानें तो प्रियंका गांधी वाराणसी से चुनाव लड़ने पर एक निर्वाचन क्षेत्र तक ही सीमित रहेंगी, जबकि उन्हें पूरे राज्य में पार्टी की मौजूदगी दर्ज करानी होगी, जिससे कांग्रेस को कुछ हद तक फायदा हो सके।
गौरतलब है कि बड़े राजनीतिक परिवार से आने वाली 47 वर्षीय प्रियंका गांधी ने जनवरी महीने में ही पूर्ण रूप से राजनीति में एंटी ली हैं। प्रियंका को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश के दो महासचिवों में से एक पद दिया गया है। प्रियंका की राजनीति में एंट्री के बाद ऐसी अटकलें लगाई जा रही थी कि प्रियंका अपनी मां और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की सीट रायबरेली से चुनाव लड़ सकती है, लेकिन कांग्रेस ने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में ही इस विचार को खत्म कर दिया था। इसके बाद चर्चा थी कि वे वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेगी। लेकिन अब वे यहां से भी चुनाव नहीं लड़ेगी। प्रियंका की मां और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी इस बार भी यूपी के रायबरेली से चुनाव लड़ रही हैं। हालांकि कांग्रेस कार्यकर्ता चाहते हैं कि प्रियंका गांधी यहां से चुनाव लड़ें।
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सबसे ख़ास बात यह है कि देश के जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश ने कांग्रेस को कुछ प्रतिष्ठित नेताओं और प्रधानमंत्रियों सहित दिए हैं। इनमें जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी, राहुल और प्रियंका गांधी के परदादा और दादी दिए हैं। कांग्रेस कार्यकर्ता प्रियंका गांधी की राजनीतिक शुरुआत की जमकर तारीफ कर रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि वह इंदिरा गांधी जैसी दिखती हैं और उन्हीं की तरह करिश्माई भी हो सकती हैं। इस पर बीजेपी नेताओं का कहना है कि अगर प्रियंका गांधी कांग्रेस का ट्रंप कार्ड या करिश्माई चेहरा है तो इसे पहले ही क्यों नहीं लाया गया, जब कांग्रेस देश से लगातार कमजोर होती जा रही थी। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में सभी सातों चरणों में लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी हैं।
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