महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाइस दिन बाद भी कोई राजनीतिक दल राज्य में सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत का आकड़ा साबित नहीं कर पाया। इसके बाद मंगलवार को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। सरकार गठन को लेकर असमंजस की स्थिति के बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने केन्द्रीय कैबिनेट को रिपोर्ट भेजी थी। राज्यपाल की रिपोर्ट पर केन्द्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रपति शासन की सिफ़ारिश की, जिसे प्रेसीडेंट रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी। उधर, राज्य में राष्ट्रपति शासन को लेकर शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल कर तत्काल सुनवाई की मांग की है। ये याचिकाएं राज्यपाल द्वारा सरकार बनाने के लिए कम वक़्त देने को लेकर है। जानकारी के अनुसार, मशहूर वकील व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल शिवसेना की ओर से मामले में सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर सकते हैं।
21 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी 3 प्रमुख दलों को सरकार बनाने का न्योता दे चुके थे। लेकिन कोई भी दल बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा मंगलवार दोपहर तक साबित नहीं कर पाया। महाराष्ट्र के राज्यपाल ने सबसे पहले सबसे बड़े दल बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया था। लेकिन, शिवसेना से सीएम पद पर टकराव के कारण बीजेपी ने सरकार गठन की इच्छा जाहिर नहीं की। इसके बाद राज्यपाल की ओर से दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना को सरकार बनाने का न्योता दिया गया। लेकिन, शिवसेना ने सरकार बनाने के लिए 2 दिन का वक़्त मांगा था।
राजभवन ने इससे साफ़ इनकार करते हुए 24 घंटे में समर्थन-पत्र सौंपने का समय दिया। इसके बाद तीसरे सबसे बड़े दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानि राकांपा से राज्यपाल ने सरकार बनाने की इच्छा के बारे में पूछा। राकांपा को सरकार बनाने के लिए 24 घंटे से कम समय मिला और मंगलवार दोपहर बाद ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। बता दें, सबसे बड़े दल बीजेपी को 48 घंटे यानि दो दिन का वक़्त दिया था।
सोमवार को दो बैठकों के दौरान कांग्रेस की कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र विधायकों से राज्य में सरकार बनाने पर राय मांगी। इसके अलावा उन्होंने राकांपा से भी चर्चा की थी। जानकारी के अनुसार, कांग्रेस की दिलचस्पी महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर थी। मंगलवार को हुई कांग्रेस की बैठक में राज्य में सरकार बनाने को लेकर चर्चा हुई। इसके बाद सोनिया गांधी ने केसी वेणुगोपाल, मल्लिकार्जुन खड़गे और अहमद पटेल को राकांपा के साथ समन्वय का जिम्मा सौंपा। केसी वेणुगोपाल समेत ये वरिष्ठ कांग्रेस नेता राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से मिलने मुंबई पहुंचे। लेकिन इसी बीच कैबिनेट की सिफ़ारिश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी और राज्य में तत्काल राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।
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चूंकि महाराष्ट्र में विधानसभा को निलंबित किया गया है। इसलिए यहां आगे सरकार बनने की संभावना बनी रहेगी। विधानसभा निलंबित किए जाने पर राष्ट्रपति शासन कभी भी हटाया जा सकता है और विधानसभा अपनी मूल स्थिति में लौट सकती है। यानि राज्य में अगले कुछ महीनों में जब भी कभी सरकार बनने की स्थिति बनेगी तो राष्ट्रपति शासन हटाया जा सकता है। अगर राष्ट्रपति शासन के आदेश में विधानसभा भंग कर दी जाती, तो फिर अगले 6 महीने तक महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू रहता और उन छह महीनों के भीतर विधानसभा चुनाव कराए जाते।
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