सरदार पटेल, शिवाजी और अब सुभाष चंद्र बोस और भगवान राम। देश फिलहाल मूर्तियों के बुखार से पीड़ित है। “स्टैच्यू ऑफ युनिटी” का डंका जोर शोर से बज रहा है। उद्घाटन खुद प्रधानमंत्री ने किया और इसे विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति के रूप में सूचीबद्ध किया।
2989 करोड़ रूपए इस मूर्ति पर खर्च किए गए। गुजरात में इस मूर्ति को स्थापित किया गया है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का अच्छे तरीके से राजनीतिकरण किया जा रहा है। नेहरू और सरदार पटेल के बीच खाई पैदा करना इसका ही उदहारण है।
ये काम अब और तूल पकड़ता नजर आ रहा है। शिवाजी की मूर्ति महाराष्ट्र में तीन साल में लगभग बनकर तैयार हो जाएगी। बताया जा रहा है कि वो सरदार पटेल की मूर्ति से भी ज्यादा ऊंची होगी। तो सरदार पटेल की मूर्ति का रिकॉर्ड शिवाजी की मूर्ति के पास चला जाएगा। खैर, इसका असर अब नजर आ रहा है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 182 मीटर सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति का उद्घाटन करने के एक दिन बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस के रिश्तेदार ने गुरुवार को नई दिल्ली में इंडिया गेट में उनकी मूर्ति की मांग की। वे यह भी चाहते हैं कि प्रधान मंत्री 23 जनवरी को नेताजी के जन्मदिन को “लिबरेशन डे” घोषित करें।
नेताजी के रिश्तेदार चंद्र कुमार बोस इसको लेकर अपनी आवाज तेज कर रहे हैं। आपको बता दें कि चंद्र कुमार बोस भारतीय जनता पार्टी के पश्चिम बंगाल इकाई के उपाध्यक्ष भी हैं। इस बीच उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि बोस की मूर्ति की मांग कई भारतीय राष्ट्रीय सेना और सेना के दिग्गजों द्वारा की गई थी।
इस बीच कई लोगों ने नेताजी की मूर्ति की मांग करते हुए प्रधान मंत्री को एक पत्र भी लिखा है। विशेष रूप से 21 अक्टूबर को प्रधान मंत्री ने ऐतिहासिक लाल किले के तट पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था और सुभाष चंद्र बोस द्वारा आजाद हिंद सरकार की घोषणा के 75 वीं वर्षगांठ को मनाया था।
यह पहली बार था जब पीएम ने एक साल में दूसरी बार लाल किले में तिरंगा फहराया था। प्रधानमंत्री परंपरा के रूप में स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले में राष्ट्रीय ध्वज फहराता है।
मोदी ने यह भी घोषित किया था कि बोस के नाम पर एक राष्ट्रीय पुरस्कार उन पुलिस कर्मियों को हर साल दिया जाएगा जो आपदा के समय बचाव और राहत कार्यों में योगदान देते हैं।
कुछ नेताओं के बयान से ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राम मंदिर मुद्दे को भुनाना शुरू कर दिया है। आपको बता दें कि 6 नवंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या आएंगे और दिवाली की शुरूआत करेंगे।
राज्य भाजपा अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक संत हैं। उन्होंने अयोध्या के लिए एक योजना तैयार की है। वह दिवाली पर मंदिर के बारे में लोगों को अच्छी खबर देंगे। दीपोत्सव उत्सव के दौरान मंदिर शहर के दौरे के दौरान योगी अपनी योजना का खुलासा करेंगे।
योगी वहां सरयू नदी के तट पर राम की भव्य मूर्ति के निर्माण की भी घोषणा कर सकते हैं। राज्य सरकार 330 करोड़ रुपये की लागत से 100 मीटर लंबी मूर्ति बनाने की योजना बना रही है। यह नदी के किनारे के पास 36 मीटर ऊंचे पेडस्टल पर स्थापित की जा सकती है।
इन सबसे साफ हो जाता है देश में फिलहाल मूर्तियों का बोल बाला है। मूर्तियां किसकी बनाई जा रही हैं, उनके क्या सपने थे उन्होंने क्या किया? ये शायद महिमामंडन में छिप गया है। राजनीति इतिहास को अपने हिसाब से पेश कर रही है। इतिहास फिलहाल सभी को मूर्तियों में नजर आ रहा है।
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