राजस्थान में अलवर के थानागाज़ी में एक महिला के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के बाद एक बार फिर महिला सुरक्षा को लेकर प्रदेश सुर्खियों में है। राजस्थान पुलिस के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ सालों में बलात्कार के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। 2017 में, राज्य पुलिस ने बलात्कार के 3,305 मामले दर्ज किए और केवल एक साल में राजस्थान में 1,030 मामले दर्ज किए गए। 2018 में बलात्कार के 4,335 मामले दर्ज हुए।
यह आंकड़े भयावहता दिखाने के लिए काफी नहीं थे तो इस साल के पहले चार महीनों में अप्रैल 2019 तक 1,509 बलात्कार के मामले सामने आए।
अलवर में हुए गैंगरेप राजनीतिक दखलअंदाजी का गंदा खेल और महिलाओं की सुरक्षा की पोल खोलता है। राजस्थान पुलिस के 2016 में जारी एक रिपोर्ट में कहा था कि अलवर जिले में उस साल राज्य में सबसे अधिक बलात्कार के मामले दर्ज किए गए।
थानागाज़ी में एक दलित महिला के सामूहिक बलात्कार के बाद ये चिंताजनक आँकड़े वायरल हुए, जिसके बाद हर तरफ नाराजगी और गुस्सा पसरा है।
राजनीतिक खेल –
पीएम मोदी ने बीते रविवार को एक रैली के दौरान कहा कि बसपा नेता मायावती को कांग्रेस के साथ गठबंधन से हटना चाहिए क्योंकि राजस्थान में एक दलित महिला के साथ बलात्कार हुआ है।
विरोध
भाजपा, जो राज्य में विपक्ष में है, विरोध और धरने कर रही है, और सरकार को ज्ञापन भेज रही है। राज्य के भाजपा अध्यक्ष मदन लाल सैनी, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ, भाजपा विधायक सुमन शर्मा और पूर्व महापौर अशोक लाहोटी सहित कई वरिष्ठ भाजपा नेता रविवार को जयपुर में सड़कों पर उतरे।
रविवार को अलवर में भाजपा सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने भी भारी भीड़ के साथ विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की और कहा कि वह आने वाले समय में गहलोत के आवास के बाहर धरना देंगे।
गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी ने भी रविवार को परिवार से मुलाकात की।
घिरती गहलोत सरकार
अपने बचाव में, गहलोत बार-बार यही कहते दिख रहे हैं वह पुलिस और जनता के बीच संबंधों को बेहतर बनाने की योजना बना रहे हैं और पुलिस को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने पर काम कर रहे हैं।
यह भी आरोप कई बार लगाया गया है कि पुलिस कर्मियों के अनुचित व्यवहार के कारण, लोग अपनी शिकायतों को दर्ज करने के लिए आगे नहीं आते हैं। इसलिए हम अधिकारियों से उचित व्यवहार सुनिश्चित करेंगे। साथ ही, विभिन्न स्तरों पर पुलिस कर्मियों की गतिविधियों की समीक्षा के लिए गृह मंत्री स्तर पर हर चार महीने में एक बैठक आयोजित की जाएगी।
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