उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य में पहली बार पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की मंजूरी दे दी है। बता दें कि यूपी में पुलिस आयुक्त (कमिश्नर) प्रणाली की पिछले 50 सालों से की जा रही थी, जिसे अब मान लिया गया है। इस सिस्टम के तहत यूपी सरकार दो शहरों लखनऊ और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे हुए नोएडा में लागू की जाएगी। इस प्रणाली के लागू होने पर सुजीत पांडेय लखनऊ के पहले पुलिस कमिश्नर होंगे वहीं नोएडा (गौतमबुद्ध नगर) के पुलिस आयुक्त आलोक सिंह होंगे।
इस प्रणाली को लागू करने के बाद सीएम योगी ने कहा ‘पिछले 50 सालों से बेहतर और स्मार्ट पुलिसिंग के लिए पुलिस आयुक्त प्रणाली की मांग की जा रही थी। हमारे कैबिनेट ने ये प्रस्ताव पास कर दिया है। उन्होंने कहा कि एडीजे स्तर के अधिकारी पुलिस आयुक्त होंगे, जबकि 9 एसपी रैंक के अधिकारी तैनात होंगे। उन्होंने कहा कि एक महिला एसपी रैंक की अधिकारी महिला सुरक्षा के लिए इस सिस्टम में तैनात होगी।
जब देश में ब्रिटिश शासन था तब पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू थी, जिसे आजादी के बाद भारतीय पुलिस ने भी अपनाया है। कमिश्नरी सिस्टम वर्तमान में देश के 100 से अधिक महानगरों में सफलतापूर्वक लागू है।उस समय यह सिस्टम कोलकाता, मुंबई और चेन्नई (तब के कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास) में थी। भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 के भाग 4 के तहत जिला मजिस्ट्रेट (जो एक IAS अधिकारी होता है) के पास पुलिस पर नियंत्रण करने के कुछ अधिकार होते हैं। इसके अलावा, दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को कानून और व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए कुछ शक्तियां देता है।
इस व्यवस्था के अनुसार पुलिस अधिकारी सीधे कोई फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, वे अचानक आने वाली परिस्थितियों में डीएम या कमिश्नर या फिर शासन के आदेश के तहत ही कार्य करते हैं, आम तौर से IPC और CRPC के सभी अधिकार जिले का DM वहां तैनात PCS अधिकारियों को दे देता है। लेकिन कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद ये अधिकार पुलिस अधिकारियों को सौंप दिया। यानी जिले की बागडोर संभालने वाले आईएएस अफसर डीएम की जगह पॉवर कमिश्नर के पास चली जाती है।
इस प्रणाली के लागू करने के पीछे बड़ा कारण यह है कि बड़े महानगरों में अपराध की दर बहुत ज्यादा होती है। एमरजेंसी हालात में भी पुलिस के पास तत्काल निर्णय लेने के अधिकार नहीं होते। इससे ये स्थितियां जल्दी नहीं संभल पातीं।
कमिश्नर सिस्टम के लागू होने पर पुलिस कमिश्नर के पास CRPC के तहत कई पावर होत हैं। जिससे पुलिस प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए खुद ही मजिस्ट्रेट की भूमिका निभाती है। ऐसा माना जाता है कि पुलिस प्रतिबंधात्मक कार्रवाई खुद कर सकेगी तो अपराधियों के मन में डर जगेगा और क्राइम रेट घटेगा।
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