हिंदी साहित्य की दुनिया में कुमार विश्वास को ‘सरस्वती का वरद पुत्र’ कहा जाता है। कुमार को सिर्फ उनकी बेहतरीन लेखनी के लिए ही नहीं जाना जाता, बल्कि देश की राजनीति में भी उनकी अच्छी खासी पहचान रहीं। वे आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए थे और अक्सर पार्टी गतिविधियों में बढ़-चढ़कर भाग लेते नज़र आते थे, लेकिन पार्टी नेतृत्व से नाराज़गी के कारण उन्होंने राजनीति छोड़ दीं। कुमार को अपने करियर की शुरुआत में संघर्ष भी करना पड़ा। आधुनिक मशहूर हिंदी कवियों में से एक कुमार विश्वास 10 फरवरी को अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस अवसर पर जानिए डिजिटल युग के ख्यातनाम कवि कुमार विश्वास के जीवन के बारे में कुछ रोचक बातें…
कवि कुमार विश्वास का जन्म 10 फरवरी, 1970 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले स्थित पिलखुआ में हुआ था। उनके पिता डॉ. चंद्रपाल शर्मा पेशे से आरएसएस डिग्री कॉलेज में प्राध्यापक और उनकी मां का नाम रमा शर्मा हैं। कुमार विश्वास अपने चार भाईयों में सबसे छोटे हैं। उनका पूरा नाम विश्वास कुमार शर्मा हैं।
कुमार विश्वास की प्रारंभिक शिक्षा ग्रहनगर पिलखुआ के लाला गंगा सहाय विद्यालय में हुईं। उन्होंने आगे की पढ़ाई राजपुताना रेजिमेंट इंटर कॉलेज से कीं। कुमार के पिता का सपना था कि वह इंजीनियर बने, लेकिन कुमार इंजीनियर नहीं बनना चाहते थे। वे कुछ अलग करने की चाह रखते थे। उनका रुझान साहित्य की ओर था और वे कविताएं भी लिखा करते थे।
कवि कुमार विश्वास ने स्कूलिंग पूरी करने के बाद इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया, लेकिन उनका मन नहीं लगा और इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने हिंदी साहित्य में स्नातक की डिग्री ली और गोल्ड मेडल भी हासिल किया। इसके बाद कुमार ने पोस्ट ग्रेजुएट और फिर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की, जिसके बाद से कविताएं लिखने का सिलसिला अनवरत जारी है। उनकी कई कविताएं सोशल मीडिया पर जबरदस्त वायरल हो चुकी हैं। उनमे ‘कोई दीवाना कहता है’ भी शामिल है।
कुमार विश्वास अपनी पढ़ाई पूरी करने बाद वर्ष 1994 में राजस्थान से हिंदी प्रवक्ता के रूप में नौकरी शुरू कीं, यहीं पर कुमार की पहली मुलाकात मंजू से हुईं, जो उसी कॉलेज में प्रवक्ता थीं। यह मुलाकात कब प्यार में बदल गया, दोनों को पता ही नहीं चला। कुमार ने मंजू के लिए कविताएं लिखने की शुरुआत कीं। यह कविताएं श्रृंगार रस से जुड़ी होती थीं। इन्हीं कविताओं ने मंजू को और प्रभावित किया।
कुछ साल बाद दोनों ने घरवालों को बिना बताये विवाह कर लिया, जिसके बाद उन्हें परिवारवालों की नाराजगी का वर्षों सामना करना पड़ा। हालांकि, बाद में दोनों के घरवालों ने उन्हें अपना लिया। उनकी पत्नी वर्तमान में राजस्थान लोक सेवा आयोग की सदस्य हैं। कुमार विश्वास और मंजूर की दो बेटी कुहू विश्वास और अग्रता विश्वास हैं। जन्मदिन के इस खास मौके पर उनकी मशहूर कविताओं को याद कर दें शुभकामनाएं।
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है।।
मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है,
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है।।
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं,
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है।।
समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नही सकता,
यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता।
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले,
जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता।।
भ्रमर कोई कुमुदुनी पर मचल बैठा तो हंगामा,
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा।
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का,
मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा।।
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