दुनिया की सात सबसे बड़ी विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों के समूह जी-7 के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस प्रस्ताव को व्यापक समर्थन मिला है, जिसमें उन्होंने कोरोना टीके को पेटेंट से मुक्त करने का आह्वान किया था। पीएम मोदी ने रविवार को सम्मेलन में कहा कि तानाशाही, आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद, झूठी सूचनाओं और आर्थिक जोर-जबरदस्ती से उत्पन्न खतरों से साझा मूल्यों की रक्षा करने में भारत जी-7 का स्वाभाविक साझेदार है। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मुक्त समाज एवं खुली अर्थव्यवस्थाएं’ सत्र में वर्चुअल माध्यम से किए संबोधन में लोकतंत्र, वैचारिक स्वतंत्रता और स्वाधीनता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
भारतीय विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी पी हरीश ने कहा कि जी-7 शिखर सम्मेलन में कोरोना रोधी टीकों को पेटेंट मुक्त करने संबंधी भारत और दक्षिण अफ्रीका के प्रस्ताव का शीर्ष नेताओं ने व्यापक समर्थन किया। हरीश ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन में व्यापार संबंधी बौद्धिक संपदा अधिकार (ट्रिप्स) में छूट के प्रधानमंत्री मोदी के प्रस्ताव का दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन ने जोरदार समर्थन किया। उन्होंने कहा, पीएम मोदी ने खुले समाज में निहित संवेदन शीलताओं को रेखांकित किया और सोशल मीडिया कंपनियों से उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षित साइबर वातावरण बनाने की अपील की। पी हरीश ने कहा कि सम्मेलन में मौजूद विश्व नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों की जमकर सराहना की।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि जी-7 के अध्यक्ष के रूप में ब्रिटेन ने भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका को शिखर सम्मेलन में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था। 11 से 13 जून तक चले इस सम्मेलन में कोरोना महामारी शुरू होने के बाद पहली बार समूह के नेता व्यक्तिगत रूप से मिले हैं।
शिखर सम्मेलन के आयोजक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री मोदी की अनुपस्थिति पर अफसोस जताया। उन्होंने कहा, मुझे व्यक्तिगत रूप से पीएम मोदी का स्वागत करने का अवसर नहीं मिला। कोविड-19 महामारी के संदर्भ में बात करते हुए उन्होंने कहा कि जी-7 के सत्र में भारत की भागीदारी से समूह की यह सोच प्रतिबिंबित होती है कि हमारे समय की सबसे बड़ी समस्या का समाधान भारत के समर्थन और भागीदारी के बिना संभव नहीं है।
जी-7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में आधार, लाभार्थियों के खातों में सीधे पैसे डालना (डीबीटी) और जन-धन आधार-मोबाइल के जरिये सामाजिक समावेश और सशक्तीकरण पर प्रौद्योगिकी का क्रांतिकारी प्रभाव पड़ा।
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