बहुत कम लोग जानते हैं कि गुजरे जमाने की प्रसिद्ध अभिनेत्री वहीदा रहमान वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी का खासा जुनून रखती हैं। यूं कहें कि इस शौक या जुनून को लेकर वे बहुत कम ही सामने आती हैं। अदाकारी के अपने हुनर को भी वहीदा ने कभी नहीं छोड़ा। उम्र के इस पड़ाव पर वे आज भी कैमरे के सामने आने के लिए उतनी ही बेकरार नजर आती हैं। वहीदा को मास्टर अभिनेता-निर्देशक गुरु दत्त के साथ ब्लैक एंड व्हाइट क्लासिक मूवीज के लिए याद किया जाता है।
हिंदी फिल्म ‘प्यासा’, ‘कागज़ के फूल’, ‘चौदहवीं का चांद’ और ‘साहिब बीबी और गुलाम’ उन्हीं बेहतरीन फिल्मों में से हैं। लेकिन एक अरसे से वहीदा को सह-कलाकार तक ही सीमित कर दिया गया है। उस जमाने में जहां उनके अदाकारी के लोग कायल हुआ करते थे, अब वो जादू शायद फिल्म जगत दिखाना नहीं चाहता। 3 फ़रवरी को वहीदा रहमान अपना 85वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रही हैं। इस खास अवसर पर जानते हैं उनके जीवन के बारे में कुछ रोचक बातें…
वहीदा रहमान को नए जमाने के निर्देशकों में से केवल राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने हिट फिल्म ‘रंग दे बसंती’ और ‘दिल्ली-6’ में जगह दीं। इसके अलावा वे कमल हासन की फिल्म ‘विश्वरूपम-2’ में भी नजर आईं। ऐसा नहीं है कि वहीदा कहीं गायब हो गई हैं वो अभी भी इंडस्ट्री के बड़े लोगों से एक बेहतरीन बॉन्ड बनाए हुए हैं, फिर चाहें वो तीनों खान ही क्यों ना हों। वहीदा की बेटी काशी ने कैमरों से दूर रहना ही चुना। काशी किताबें जरूर लिखती हैं। वहीदा रहमान अपने जमाने की वो अदाकारा हैं, जिन्होंने कई स्टाइल ट्रेंड्स इंडिया में फैलाए। उनके स्टाइल को लोग उस जमाने में कॉपी किया करते थे।
जब इंटरव्यू और इंटरएक्शन की बात आती है तो अभिनेत्री वहीदा रहमान हमेशा से ही एक कदम पीछे रहती हैं। वे अपनी निजी जिंदगी को मीडिया से कम ही शेयर करती हैं। गुरूदत्त पर उनसे जब भी सवाल पूछे जाते हैं, वे थोड़ी सजग नजर आती हैं और कोई जवाब भी नहीं देती। वे बस इतना ही कहती नजर आती हैं कि वह आंध्र प्रदेश में थीं, जब गुरु दत्त ने उन्हें तेलुगु फिल्म ‘रोजुलु मरवाई’ (1955) के लिए हैदराबाद में एक समारोह में देखा और उन्हें राज खोसला द्वारा निर्देशित अपने होम प्रोडक्शन की ‘सीआईडी’ (1956) में कास्ट किया।
फिल्म प्रोड्यूसर, डायरेक्टर व अभिनेता गुरू दत्त एक बेहतरीन कलाकार माने जाते रहे हैं। अपने छोटे से जीवन में भी गुरू दत्त ने खूब नाम कमाया। फिल्म ‘सीआईडी’ का ही ये किस्सा है जब गुरू दत्त को एक नए चेहरे की तलाश थी और फिर उनकी मुलाकात वहीदा रहमान से हुई, जिसे फिल्म में कास्ट किया गया। फिल्म ‘प्यासा’ में वे खुद वहीदा के साथ बतौर एक्टर नजर आए। वर्ष 1957 में रिलीज़ हुई इस फ़िल्म को टाइम पत्रिका ने दुनिया की 100 सर्वकालिक बेहतरीन फ़िल्मों में जगह दी थी।
वहीदा रहमान और गुरु दत्त ने कई फिल्मों में स्क्रीन शेयर की और इस दौरान इन दोनों के अफेयर की खबरें बढ़ने भी लगी थीं। जब गुरू दत्त की पत्नी गीता को इस बारे में पता चला तो वे घर छोड़कर चली गईं और वहीदा ने भी गुरू दत्त से दूरियां बना लीं। इससे गुरू दत्त डिप्रेशन में चले गए और नींद की गोलियां व ज्यादा शराब पीकर उन्होंने आत्महत्या कर ली। उनकी उम्र उस वक्त 39 साल थी। वहीदा रहमान से आज भी ये सवाल किया जाता है और वे इसे अपनी निजी जिंदगी बताकर आगे बढ़ती हैं।
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