ऊं श्री अनंत हरि नारायण
मंगलम् भगवान विष्णु, मंगलम् गरुणध्वज:
मंगलम् पुंडरीकाक्ष: मंगलाय तनो हरि: !!
इसी श्लोक के साथ शुरुआत होती थी कृष्ण की मुरली की तरह ज़हन में बस जाने वाले संगीत के एक ऐसे सफर की, जहां मंत्रमुग्ध कर देने वाली मुर्कियों और दैवीय लोक का अनुभव करवाने वाली तानें सबके मन में बस जाती थीं। हम बात कर रहे हैं सुरों में पक्के और शास्त्रीय संगीत की दुनिया के सरताज पंडिज जसराज की, जो अपनी हर राग की शुरूआत इसी श्लोक के साथ करते थे। गमक, मींड और छूट की तानों के लिए मशहूर रहे जसराज को लोग ‘रसराज’ कहकर पुकारते थे। आज 28 जनवरी को पंडित जसराज की 92वीं जयंती है। इस खास मौके पर जानिए उनके बारे में कई अनसुनी बातें…
हमारे दौर में बहुत कम संगीतकार ऐसे हुए हैं, जिनकी गायिकी में इतना सुकून मिलता है। पंडित जसराज के मुंह से राग भैरव में ‘मेरो अल्लाह मेहरबान’ सुनते हुए लगता था कि ईश्वर और अल्लाह के नाम पर फ़साद करने वाले कितने नासमझ लोग हैं। 28 जनवरी, 1930 को हरियाणा के हिसार में जन्मे पंडित जसराज मेवात या मेवाती घराने से आते थे। हालांकि, पंडित जसराज का बचपन हैदराबाद में बीता। उनके पिता पंडित मोतीराम भी शास्त्रीय गायक हुआ करते थे।
पंडित जसराज के पिता ने बचपन से ही उन्हें सुरों की तालीम दी थी। तब जसराज सिर्फ तीन साल के थे। वर्ष 1934 में उनके पिता का एक कॉन्सर्ट होना था, जिसमें पंडित मोतीराम को हैदराबाद के निजाम नवाब उस्मान अली खान के दरबार में दरबारी गायक घोषित किया जाना था। मगर दुर्भाग्य कुछ ऐसा था कि इस कॉन्सर्ट से करीब पांच घंटे पहले ही उनका देहांत हो गया। उस वक्त जसराज सिर्फ 4 साल के थे। पिता के गुज़र जाने के बाद नन्हें जसराज की तालीम की पूरी जिम्मेदारी उनके बड़े भाई पंडित मणिराम के कंधों पर आ गई।
पंडित जसराज के मंझले भाई पंडित प्रताप नारायण भी शास्त्रीय गायक थे, उन्होंने जसराज को तबला सिखाया और अपने साथ संगत पर ले जाना शुरू किया। महज सात साल की उम्र में जसराज तबला लेकर स्टेज पर उतर चुके थे। पंडित जसराज ने एक इंटरव्यू में बताया था, ‘एक बार जाने-माने गायक पंडित कुमार गंधर्व की लाहौर रेडियो स्टेशन में रिकॉर्डिंग थी। तब जसराज भी अपने बड़े भाई के साथ एक प्रोग्राम के सिलसिले में लाहौर में थे, तब कुमार गंधर्व तबला संगत के लिए जसराज को अपने साथ ले गए।
इस रिकॉर्डिंग में कुमार जी ने राग भीमपलासी गाया था। रिकॉर्डिंग के दूसरे दिन कुमार जी की गायकी को लेकर पंडित अमरनाथ और जसराज जी के बड़े भाई के बीच कुछ चर्चा चल रही थी, उनके बीच जसराज भी अपनी राय देने लगे, जिसके बदले में बड़े भाई ने उन्हें लताड़ते हुए कहा था कि जसराज, तुम मरा हुआ चमड़ा बजाते हो, तुम्हें रागदारी का क्या पता? ये सुनने के बाद जसराज को बहुत धक्का पहुंचा था, लेकिन बड़े भाई ने दूसरे दिन से ही उनके गाने की तालीम शुरू कर दी।
इस घटना के बाद पंडित जसराज ने प्रतिज्ञा ली कि वो जब तक गाना नहीं सीख लेंगें तब तक बाल नहीं कटवाएंगें। इसके चलते अगले सात साल तक उन्होंने अपने बाल नहीं कटवाए। उन्होंने बाल तब कटवाए जब ऑल इंडिया रेडियो में उनकी पहली रिकॉर्डिंग हुई। जसराज और उनकी पत्नी मधुरा के दो बच्चे हैं। उनके बेटे शारंग देव म्यूजिक कंपोजर हैं और बेटी दुर्गा जसराज टेलीविजन पर एंकरिंग करती हैं। इसके अलावा वो शास्त्रीय संगीत के प्रचार की दिशा में भी कई महत्वूर्ण प्रोजेक्ट्स करती हैं।
पंडित जसराज ने हवेली संगीत पर काफी काम किया और एक से बढ़कर एक बंदिशें बनाई। उनके द्वारा गाई गई कुछ रागें जैसे ‘चारजू की मल्हार, अबीरी तोड़ी, भवसाख, देवसाख, गुंजी कान्हड़ा’ आदी का कोई मुकाबला नहीं है। वर्ष 1962 में जसराज की शादी फिल्म निर्देशक वी. शांताराम की बेटी मधुरा से हुई। मधुरा से उनकी मुलाकात साल 1955 में हुई थी, जब वी शांताराम ‘झनक-झनक पायल बाजे’ की शूटिंग कर रहे थे।
जसराज ने संगीत दुनिया में 80 वर्ष से अधिक बिताए और कई प्रमुख पुरस्कार प्राप्त किए। पंडित जसराज को वर्ष 2000 में भारत सरकार ने ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया था। शास्त्रीय और अर्ध-शास्त्रीय स्वरों के उनके प्रदर्शनों को एल्बम और फिल्म साउंडट्रैक के रूप में भी बनाया गया है। जसराज ने भारत, कनाडा और अमेरिका में संगीत सिखाया है। उनके कुछ शिष्य नामी संगीतकार भी बने हैं।
अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) ने 11 नवंबर, 2006 को खोजे गए हीन ग्रह 2006 VP32 (संख्या -300128) को पंडित जसराज के सम्मान में ‘पंडितजसराज’ नाम दिया था। पिछले साल (2020) 17 अगस्त को उनका अमेरिका के न्यू जर्सी शहर में निधन हो गया और इस संगीत मार्तण्ड ने दुनिया को विदा कह दिया।
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