Pandit Deendayal Upadhyay resigned from Nehru's cabinet and established Jana Sangh.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक दार्शनिक, राजनीतिक विचारक, साहित्यकार, अनुवादक, पत्रकार होने के साथ-साथ जनसंघ के सह-संस्थापक भी थे। उनका जन्म 25 सितंबर, 1916 को जयपुर के धानक्या में उनके नाना चुन्नीलाल के घर हुआ था। जबकि उनका गांव यूपी के मथुरा जिले का नगला चंद्रभान है। दीनदयाल उपाध्याय के पिता भगवती प्रसाद उपाध्याय एक ज्योतिषी व असिस्टेंट स्टेशन मास्टर हुआ करते थे।
उनकी माता का नाम रामप्यारी था। जब दीनदयाल तीन साल के थे, उनकी माता का देहांत हो गया। 8 साल की उम्र में वे अपने पिता को भी खो चुके थे। बाल-अवस्था में ही उनके माता और पिता का निधन हो जाने पर उनके मामा राधारमण शुक्ल ने ही उनका लालन-पालन किया था। पं. दीनदयाल उपाध्याय की 107वीं जयंती के अवसर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
दीनदयाल उपाध्याय की मेधावी प्रतिभा शक्ति का परिचय तब हुआ, जब उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी के साथ प्रथम स्थान प्राप्त कर उत्तीर्ण की। उनकी शुरुआती शिक्षा गंगापुर में हुई थी। कोटा से उन्होंने पांचवीं कक्षा पास की। राजगढ़ (अलवर) से आठवीं और नौवीं की पढ़ाई की। राजगढ़ से सीकर जाकर उन्होंने हाई स्कूल में दाखिला लिया था। बीमारी रहते हुए परीक्षा देने वाले दीनदयाल फर्स्ट क्लास के साथ पास हुए।
उनकी प्रतिभा से खुश होकर सीकर के महाराजा ने उन्हें स्वर्ण पदक से सम्मानित किया और किताबों के लिए 250 रुपए भी दिए थे। सीकर के महाराजा ने उनके लिए दस रुपए महीने की छात्रवृत्ति भी मंजूर की, जिससे उनकी पढ़ाई आगे जारी रही। वर्ष 1937 में दीनदयाल उपाध्याय ने पिलानी से इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की। वह सभी विषयों में विशेष योग्यता के साथ सफ़ल रहे थे।
दीनदयाल उपाध्याय की लिखी पुस्तकों में सम्राट चन्द्रगुप्त, भारतीय अर्थनीति एक दिशा, जगद्गुरु शंकराचार्य प्रमुख हैं। उन्होंने ‘पांचजन्य’ तथा मासिक ‘राष्ट्रधर्म, ‘दैनिक स्वदेश’ पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया था। उनकी प्रमुख रचनाओं में सम्राट चंद्रगुप्त, जगतगुरु शंकराचार्य, भारतीय अर्थनीति-विकास की एक दिशा, राष्ट्र चिंतन राष्ट्र-जीवन की दिशा, इनटिगरल ह्यूमनिज्म प्रमुख हैं। वह ऑर्गनाइजर के जरिए भी विचार व्यक्त करते थे। 17 मई, 1968 को दीनदयाल के लेखों का संग्रह पॉलिटिकल डायरी के नाम से प्रकाशित हुआ था।
सन् 1950 में जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने पंडित नेहरू की कैबिनेट से इस्तीफा दिया था। तब 21 सितंबर, 1951 को पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने यूपी में भारतीय जन संघ की स्थापना की थी। पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी से मिलकर 21 अक्टूबर, 1951 को जन संघ का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। साल 1968 में वह जन संघ के अध्यक्ष बने। इसके कुछ ही समय में 11 फरवरी 1968 को उनका निधन हो गया था।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय राजनीति के वो सितारे थे, जो अपनी चमक बिखेरने से ठीक पहले दुनिया को अलविदा कह गए। उनकी रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई मौत आज भी एक रहस्य बनी हुई है। पंडित दीनदयाल की लाश उत्तर प्रदेश के मुग़ल सराय स्टेशन के नजदीक पटरियों पर मिली थी।
वर्ष 2018 में मुग़ल सराय स्टेशन का नाम बदल कर पंडित दीनदयाल उपाध्याय कर दिया गया, जो खूब चर्चा में रहा। दीनदयाल उपाध्याय जन संघ के सहसंस्थापक थे। पंडित दीनदयाल और श्याम प्रसाद मुखर्जी द्वारा स्थापित जन संघ आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी (BJP) बन गई, जो पिछले लगातार दो बार से केंद्र में पूर्ण बहुमत वाली सत्ताधारी पार्टी है।
उल्लेखनीय है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन पर एक फिल्म ‘दीन दयाल एक युग पुरुष’ बन चुकी है। इस फिल्म में पंडित उपाध्याय का शुरुआती जीवन, उनकी शिक्षा और पॉलिटिकल जर्नी को दिखाया गया है। साथ ही फिल्म में उनकी मृत्यु के रहस्य से पर्दा हटाने की कोशिश की गईं।
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