आतंक को पनाह देने के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचनाओं से घिरा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान अब भारत के साथ संबंध सुधारना चाहता है। इसे अंतर्राष्ट्रीय दबाव माने या अपनी छवि सुधारने की कोशिश लेकिन फिलहाल पाकिस्तान संबंध सुधारने में दिलचस्पी दिखा रहा है। हालांकि, पाकिस्तान आदतन ऐसा देश है जो दिखावे के लिए कुछ समय आतंकी गतिविधियां रोककर फिर से अपनी पुरानी नीति पर काम करना शुरू कर देता है। अब इस बार पाकिस्तान का ये दिखावा या हकीक़त आगे कितने समय तक चलेगा ये आगे देखने वाली बात होगी। दरअसल, फिलहाल पाकिस्तान सरकार ने पीओके में स्थित प्राचीन हिंदू मंदिर शारदा पीठ की यात्रा के लिए भारत से एक कॉरिडोर बनाने को मंजूरी दे दी है। शारदा माता मंदिर कॉरिडोर के बनने के बाद भारत से तीर्थयात्री पीओके जाकर मंदिर में दर्शन कर सकेंगे।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की जानकारी के मुताबिक़, भारत के विदेश मंत्रालय ने पहले ही शारदा माता मंदिर कॉरिडोर खोलने का प्रस्ताव भेज दिया है। अब सरकार के कुछ अधिकारी इस क्षेत्र का दौरा करेंगे और प्रधानमंत्री को रिपोर्ट तैयार कर सौपेंगे। इधर दूसरी ओर भारत ने इस कॉरिडोर के बारे में बात करते हुए बताया कि यह प्रस्ताव करोड़ों लोगों की आस्था और धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर दिया गया था। भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाली बातचीत के दौरान भारत कई बार इस कॉरिडोर को शुरू करने का ज़िक्र कर चुका है।
पाकिस्तान के नेशनल असेंबली में तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के मेंबर और हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले रमेश कुमार ने इस मामले में जानकारी देते हुए कहा कि पाकिस्तान सरकार ने शारदा माता मंदिर को खोलने का फैसला किया है। इस परियोजना पर काम इसी वर्ष शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस मंदिर के खुल जाने के बाद भारत के साथ ही पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू भी इस धार्मिक स्थल की यात्रा कर पाएंगे। रमेश कुमार ने कहा कि मैं अगले कुछ दिनों में इस क्षेत्र का दौरा करूंगा और इसके बाद प्रधानमंत्री इमरान खान को रिपोर्ट सौपूंगा।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर स्थित शारदा माता मंदिर का इतिहास करीब 5 हजार साल पुराना है। यह हिंदूओं के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। शारदा माता मंदिर सम्राट अशोक के साम्राज्य में 237 ईस्वी पूर्व स्थापित किया गया था। इस मंदिर के पास मादोमती नाम का एक तालाब है। इस तालाब का पानी बहुत ही पवित्र माना गया है। यह मंदिर भारतीय सीमा से करीब 10 किलोमीटर दूर शारदा गांव में स्थित है। गौरतलब है कि शारदा पीठ मार्तंड सूर्य मंदिर और अमरनाथ मंदिर समेत जम्मू-कश्मीर के तीन प्रमुख मंदिरों में से एक था। भारत-पाकिस्तान के बीच 1947-48 के युद्ध के बाद यह मंदिर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आ गया था। 1947-1948 के बाद से स्थानीय प्रशासन ने बाहरी तीर्थयात्रियों के लिए यहां मंदिर दर्शन बंद कर रखा है। कश्मीर में रहने वाला हिंदू समुदाय कई बार इस कॉरिडोर को बनाने की मांग कर चुका है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यहां पर माता सती का दायां हाथ गिरा था। इस मंदिर में देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके अलावा मंदिर को ऋषि कश्यप के नाम पर कश्यपपुर के नाम से भी जानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर ऋषि पाणीनि ने अपने अष्टाध्यायी की रचना की थी। इसके अलावा शंकराचार्य यहीं सर्वज्ञपीठम पर बैठे थे। रामानुजाचार्य ने यहां ब्रह्म सूत्रों पर अपनी समीक्षा लिखी थी। इसलिए इस पवित्र स्थल को प्राचीन काल की शिक्षा का केन्द्र भी कहा जाता है। उल्लेखनीय है कि शारदा पीठ देवी के 18 महाशक्ति पीठों में से एक मानी जाती है।
करतारपुर और शारदा पीठ कॉरिडोर के बाद अब पाकिस्तान के बलूचिस्तान स्थित प्राचीन हिंगलाज माता मंदिर के कॉरिडोर की मांग भी फिर से जोर पकड़ सकती हैं। हिंगलाज माता मंदिर की हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों के लोगों में मान्यता है। यहां तक की इस मंदिर की पूजा भी मुस्लिम परिवार करता है। हिंदू इसे शक्तिपीठ मानते हैं और मुस्लिम लोग इसे नानी का हज कहते हैं। हिंगलाज माता मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त के हिंगोल नदी के तट पर स्थित है। ये मंदिर मकरान रेगिस्तान के खेरथार पहाड़ियों की एक शृंखला के अंत में है।
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हिंगलाज माता मंदिर एक छोटी प्राकृतिक गुफा में बना हुआ है। जहां एक मिट्टी की वेदी बनी हुई है। देवी की कोई मानव निर्मित छवि नहीं है। बल्कि एक छोटे आकार के शिला की हिंगलाज माता के प्रतिरूप के रूप में पूजा की जाती है। हिंगलाज माता मंदिर को देवी की 51 शक्तिपीठ में से एक माना जाता है। हिंगलाज माता कॉरिडोर की भी मांग कई बार उठ चुकी है। अगर पाकिस्तान दिखावे के लिए हाथ नहीं बढ़ा रहा है इस कॉरिडोर की भी जल्द ही मंजूरी दी जानी चाहिए। जिससे देश के लाखों लोग हिंगलाज माता मंदिर के दर्शन कर सकेंगे।
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