केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस पर ‘एक देश, एक भाषा’ की वकालत की, जिस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सोमवार को दक्षिण फिल्मों के एक्टर और राजनेता कमल हासन ने आपत्ति जताई। उन्होंने साफ शब्दों में कहा ‘हमारी मातृभाषा तमिल ही रहेगी।’ गृह मंत्री के बयान के बाद कर्नाटक और तमिलनाडु में विरोध हुआ है। वहां के लोगों ने भी उनके बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा ‘हिंदी को जबरन न थोपा जाए।’
राजनेता कमल हासन ने इस विवाद पर उन्होंने ट्विटर पर एक वीडियो जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि कोई शाह, सुल्तान या सम्राट अचानक वादा नहीं तोड़ सकता है। क्योंकि वर्ष 1950 में जब भारत गणतंत्र बना तो उस समय यह वादा किया गया था कि हर क्षेत्र की भाषा और कल्चर का सम्मान किया जाएगा और उन्हें सुरक्षित रखा जाएगा। उन्होंने कहा यह भी कहा कि देश में एक भाषा को थोपा नहीं जा सकता है, अगर ऐसा होता है तो इस पर बड़ा आंदोलन हो सकता है।
उन्होंने कहा कि कई शासकों ने अपना राजपाठ देश की एकता के लिए त्याग कर दिया। परंतु लोग अपनी भाषा, संस्कृति और पहचान को खोना नहीं चाहते हैं। वहीं उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां लोग एक साथ खाते हैं, किसी पर कुछ थोपा नहीं जा सकता है। हासन ने वीडियो में आगे कहा कि तमिल को लंबे समय तक जीने दो, देश को समृद्ध होने दो।
अभिनेता कमल हासन ने कहा कि कोई भी नया कानून या योजना लागू करने से पहले लोगों की राय जान लेनी चाहिए। उन्होंने पूर्व में हुए जलीकट्टू के आयोजन को शुरू कराने वाले विरोध तो मात्र प्रदर्शन था, लेकिन भाषा को बचाने के लिए जो होगा वह इससे बड़ा होगा।
तमिलनाडु में जल्लीकट्टू का आयोजन पोंगल पर्व के अवसर पर बड़ी धूमधाम से किया जाता है। यह खेल यहां का पारंपरिक आयोजन है जिसमें सांड़ों को काबू करना होता है। परंतु इस खेल में कई लोगों की जान चली जाती है और पशुओं पर क्रूरता होती है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2014 में जल्लीकट्टू पर रोक लगा दी थी। इस पर कोर्ट का तर्क था कि इसके आयोजन में पशुओं पर क्रूरता की जाती है। इस पर प्रतिबंध के बाद राज्य में इसे जारी रखने के लिए व्यापक प्रदर्शन किया गया। इसके बाद राज्य सरकार ने एक अध्यादेश पारित कर इस पारंपरिक खेल को जारी रखने की इजाजत दे दी थी।
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