Nusrat Fateh Ali Khan learned singing in childhood in the greed of toffee, later became famous qawwal.
कव्वाली की दुनिया के प्रसिद्ध कलाकारों में से एक व सूफी गायक नुसरत फतेह अली खान की आज 75वीं बर्थ एनिवर्सरी है। परवेज फतेह अली खान के रूप में जन्मे नुसरत ने कव्वाली को नई पीढ़ियों के बीच लोकप्रिय बनाने का काम किया। नुसरत साहब एक ऐसे गायक और संगीतकार थे, जिन्होंने अपनी जोशीली आवाज़ के दम पर दुनिया के हर कोनों में अपना नाम और प्रसिद्धि बनाईं। खान साहब को संगीत की दुनिया में सबसे शक्तिशाली आवाज़ों में से एक माना जाता है, यही वजह है कि उन्हें ‘किंग ऑफ कव्वाली’ के रूप में भी जाना जाता है।
नुसरत फतेह अली खां का जन्म 13 अक्टूबर, 1948 को पाकिस्तान के फैसलाबाद में हुआ था। उनके पिता ‘फतेह अली खान’ भी अपने जमाने के मशहूर गायक थे। उनके परिवार ने 600 साल से चली आ रही कव्वाली संगीत की इस परंपरा को जीवंत रखते हुए इसे आगे बढ़ाने का काम किया। बॉलीवुड फिल्मों में भी उन्होंने कई गानों को अपनी आवाज दी। उनके कई बेहतरीन लोकप्रिय गानों को बॉलीवुड में रिक्रिएट किए गए हैं।
नुसरत साहब के पिता उस्ताद फतेह अली खान भी कव्वाल थे। हालांकि, इसके बावजूद वह नहीं चाहते थे कि उनका बेटा कव्वाल बने। लेकिन उनके इरादे नुसरत फतेह अली खान को रोक नहीं पाए और उन्होंने कव्वाली की 700 साल पुरानी सूफियाना परंपरा को दुनिया के फलक पर पहुंचा दिया।
पिता फतेह अली खां चाहते थे कि वो डॉक्टर या इंजीनियर बनें, लेकिन नुसरत गायक बनना चाहते थे। सुरों को लंबा खींचने की उनका क्षमता अद्भुत और आश्चर्यचकित कर देने वाली थी। हैरानी की बात थी कि वह जब मंच पर होते थे तो दस घंटे तक लगातार गाते रहते थे।
नुसरत साहब को दिग्गज अभिनेता व निर्माता-निर्देशक राज कपूर ने पाकिस्तान से मुंबई बुलाया था। उन्होंने राज कपूर के बेटे ऋषि कपूर की शादी में संगीत कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति दी थी। इस दौरान भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के तमाम सितारे उनकी आवाज सुनकर मंत्रमुग्ध हो गए थे। रात 10 बजे से शुरू हुई कव्वाली की ये महफिल सुबह करीब 7 बचे तक चलती रहीं।
ख्यातनाम कव्वाल नुसरत फतेह अली खान बहुत कम उम्र में ही दुनिया को अलविदा कह गए। 16 अगस्त, 1997 को 48 वर्ष की उम्र में यूके के लंदन स्थित बुपा क्रॉमवेल अस्पताल में उनका निधन हो गया। कहा जाता है कि नुसरत साहब का वजन 300 पाउंड से अधिक हो गया था और इस वजह से उन्हें कई बीमारियों ने घेर लिया था। ये बीमारियां ही उनकी मौत की वजह बनीं। नुसरत साहब की बर्थ एनिवर्सरी के अवसर पर सुनिए उनके सीधे दिल में उतर जाने वाले कुछ प्रसिद्ध नगमें…
1. मेरे रश्के क़मर
2. तुम्हें दिल्लगी भूल जाने पड़ेगी…
3. ये जो हल्का-हल्का सुरूर है…
4. सानु इक पल चैन ना आवे…
5. आफरीन आफरीन…
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