केंद्र सरकार ने संसद के मानसून सत्र के दौरान तीन श्रम विधेयक पेश किए जो राज्यसभा से पास हो गए हैं। इस कानून से नौकरीपेशा से जुड़े करोड़ों लोगों को फायदा होगा। संगठित और असंगठिक दोनों प्रकार के श्रमिकों को सुविधाएं देने के लिए नए श्रम विधेयक को राज्यसभा से मंजूरी मिल गई। अब ग्रेच्युटी लेने के लिए नौकरीपेशा लोगों को पांच साल तक का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पांच साल की जगह अब एक साल में ग्रेच्युटी मिल सकेगी। इस विधेयक के राज्यसभा में पास होने से पहले तक कर्मचारी को ग्रेच्युटी का लाभ पाने के लिए एक ही कंपनी में कम से कम पांच साल काम करना जरूरी था।
नए श्रम प्रावधानों के अनुसार, अब कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम करने वाले कर्मचारियों को भी उनके वेतन के साथ-साथ ग्रेच्युटी का फायदा मिल सकेगा, चाहे उनका कॉन्ट्रैक्ट कितने भी समय का हो। इस कानून के बनने से संगठित और असंगठिक क्षेत्र के कामगारों में खुशी का माहौल है।
ग्रेच्युटी सैलरी का वह हिस्सा है, जो कंपनी या नियोक्ता कर्मचारी की लंबी सेवाओं के बदले देता है। इसकी अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये होती है। जैसे कि किसी कर्मचारी ने एक ही कंपनी में 20 साल काम किया और उसका अंतिम वेतन 40 हजार रुपये है। इस वेतन को 26 से भाग दिया जाता है, क्योंकि ग्रेच्युटी के लिए 26 कार्यदिवस माना जाता है। इससे 1,538 रुपये की रकम निकलेगी। अब नौकरी के कुल वर्ष को 15 से गुणा करते हैं, क्योंकि एक साल में 15 दिन के आधार पर ग्रेच्युटी की गणना होती है। इस प्रकार यह अवधि 300 दिन आएगी, जिसे 1,538 से फिर गुणा करने पर ग्रेच्युटी की कुल रकम 4,61,400 रुपये आएगी।
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श्रम विधेयक के पास होने के बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा, ‘लंबे समय से जिसकी जरूरत थी वह श्रम सुधार संसद द्वारा पारित कर दिए गए हैं। ये सुधार हमारे मेहनती श्रमिकों की भलाई सुनिश्चित करेंगे और आर्थिक विकास को बढ़ावा देंगे।’ आपको बता दें कि यह नया कानून बनने के बाद अब कर्मचारी एक साल बाद कंपनी से अपनी ग्रेच्युटी ले सकेंगे। यह कानून कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले या कम समय के लिए नियुक्त कर्मचारियों पर भी लागू होगा।
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