नीरजा भनोट.. एक ऐसी साहसिक भारतीय महिला जो पिछले तीन दशक से ज्यादा समय से असली नायिका के रूप में याद की जाती हैं। उन्होंने 22 साल की उम्र में 5 सितम्बर, 1986 को 360 विमान यात्रियों को खुद की जान देकर आतंकियों से बचाया था। नीरजा भनोट देश की पहली ऐसी असैन्य नागरिक हैं, जिन्हें शांतिकाल के दौरान असीम वीरता के लिए सर्वोच्च पुरस्कार ‘अशोक चक्र’ (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान इतनी कम उम्र में आज तक उनके अलावा किसी को नहीं मिला है। घटना के वक़्त नीरजा की बहादुरी दुनियाभर में अख़बारों की सुर्खियां बनी थीं। आज 7 सितंबर को नीरजा भनोट की 60वीं बर्थ एनिवर्सरी है, इस ख़ास अवसर पर जानिए उनकी वीरता और अदम्य साहस की कहानी…
नीरजा भनोट का जन्म 7 सितम्बर, 1963 को चंडीगढ़ में पत्रकार पिता हरीश भनोट और मां रमा भनोट के घर में हुआ था। उनके माता-पिता ने पहले से ही यह तय कर लिया था कि लड़की होगी तो उसे ‘लाडो’ कहकर बुलाएंगे। उनके दो भाई अखिल और अनीश भनोट हैं। नीरजा की प्रारंभिक शिक्षा स्क्रेड हर्ट सीनियर सेकंडरी स्कूल, चंडीगढ़ में हुई। इसके बाद जब बचपन में ही उनका परिवार मुंबई शिफ्ट हुआ तो स्कूलिंग की आगे की पढ़ाई उन्होंने बॉम्बे-स्कॉटिश स्कूल से पूरी की। पंजाबी परिवार में जन्मी नीरजा ने स्कूलिंग के बाद सेंट जेवियर कॉलेज, मुंबई से ग्रेजुएशन किया था। इस दौरान ही नीरजा भनोट ने अपने मॉडलिंग कॅरियर की शुरुआत कर दी थी।
उन्होंने कुछ मॉडलिंग असाइमेंट में काम किया था। वह बीते जमाने के प्रसिद्ध एक्टर राजेश खन्ना की फैन हुआ करती थी। साल 2016 में उनकी ट्रू लाइफ स्टोरी पर बॉलीवुड फिल्म ‘नीरजा’ बन चुकी है। इस फिल्म में उनका किरदार सोनम कपूर ने निभाया था। इस फिल्म को क्रिटिक्स की बड़ी सराहना मिली थीं।
साल 1986 में 5 सितम्बर को PAN AM 73 नाम की एक फ्लाइट ने मुंबई से उड़ान भरी थी। इस फ्लाइट को पाकिस्तान के कराची और जर्मनी के फ्रेंकफर्ट होते हुए न्यूयॉर्क पहुंचना था। मुंबई से उड़ान भरने के बाद पाकिस्तान के कराची स्थित जिन्ना इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर विमान उतारा। यहां से कुछ पैसेंजर उतरे तो कुछ सवार हुए। आखिरी पैसेंजर विमान में चढ़ने ही वाला था कि तभी एयरपोर्ट का सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए चार आतंकी विस्फोटक और आधुनिक हथियारों के साथ विमान में घुस गए थे।
इन आतंकियों ने PAN AM 73 विमान को हाईजैक कर लिया, उस वक़्त फ्लाइट में 360 यात्री और 13 क्रू मेंबर सवार थे। यह संयोग मात्र ही था कि फ्लाइट अटेंडेंट व सीनियर क्रू मेंबर नीरजा भनोट कुछ दिनों पहले ही एंटी हाईजैक ट्रेनिंग लेकर लौटी थीं। विमान में आतंकियों के घुसते ही पायलट, को-पायलट और फ्लाइट इंजीनियर भागने की तरकीब सोचने लगे। ये तीनों अमरीकी नागरिक थे। आतंकवादी अबु निदाल संगठन से थे।
उन्होंने सबसे सीनियर क्रू मेंबर नीरजा से कहा कि वह सभी यात्रियों के पासपोर्ट एकत्रित कर लें, ताकि पता लगाया जा सके कि कौन-कौन अमरीकी नागरिक फ्लाइट में सवार हैं। नीरजा और उनके साथियों ने पासपोर्ट इकट्ठे किए और अमरीकी नागरिकों के पासपोर्ट छिपा दिए थे, क्योंकि वे आतंकियों के निशाने पर थे।
नीरजा भनोट और उनकी टीम ने जब पासपोर्ट आतंकियों को सौंपे तो उन्होंने देखा कि विमान में एक भी अमरीकी नागरिक नहीं है। इस पर उनका पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया। उन्होंने करीब 17 घंटे तक प्लेन को हाईजैक किए रखा। वे अपनी मांगें पूरी करने का दबाव बना रहे थे और जब उन्हें लगा कि वे सफ़ल नहीं होंगे, उन्होंने प्लेन में यात्रियों को निशाना बनाना शुरु कर दिया था। नीरजा यह सब कुछ देख रही थीं और मौके का इंतजार कर रही थीं। इसी दौरान उनकी नजर तीन बच्चों पर पड़ी, जिनकी तबीयत बिगड़ रही थी।
वह उन तीनों को लेकर इमजरजेंसी डोर की ओर भाग रही थीं, लेकिन आतंकियों ने उन्हें रोक दिया। इसी दौरान एक आतंकी ने बंदूक का निशाना एक बच्चे की तरफ कर दिया था। नीरजा ने उन तीनों को बचाया और इमरजेंसी डोर खोल दिए। आतंकियों ने बच्चों पर जो गोलियां चलाई थीं, वे नीरजा ने अपनी पीठ पर खाईं। इससे पहले नीरजा प्लान बी को लगभग सफ़ल बना चुकी थी। उन्होंने प्लेन में सवार यात्रियों में 360 को इमरजेंसी डोर से बाहर निकाल दिया था। इस तहर नीरजा 360 यात्रियों को बचाते हुए 22 साल उम्र में शहीद हो गई थीं।
मार्च 1985 में नीरजा भनोट की शादी नरेश मिश्रा से हुई थी, लेकिन दहेज की मांग की वजह से शादी चल नहीं पाई और केवल दो महीने बाद ही टूट गई थी और वह माता-पिता के पास मुंबई चली आईं। इसके बाद नीरजा का PAN AM में उनका सिलेक्शन हो गया था और वह अमेरिका के मियामी चली गईं। वहां उसने PAN AM 73 विमान में फ्लाइट अटेंडेंट सीनियर क्रू के रूप जॉब ज्वॉइन कर ली थीं। कुछ समय बाद ही विमान हाइजैक की घटना हो गई थी, जिसमें नीरजा ने अपने बहादुर और साहसी होने का परिचय दिया।
नीरजा भनोट को उनकी वीरता के लिए भारत सरकार ने मरणोपरांत ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित किया था। वहीं, पाकिस्तान ने उन्हें अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान-ए-पाकिस्तान’ से नवाज़ा था। नीरजा को अमरीकी मीडिया ने ‘हीरोइन ऑफ हाईजैक’ का खिताब दिया था। साल 2004 में उनके नाम से भारत में एक स्टैंप भी जारी किया गया था। उनके माता-पिता ने नीरजा भनोट PAN AM ट्रस्ट बनाया है। यह ट्रस्ट उन लोगों को सम्मान देता है, जो अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करते हैं। नीरजा भनोट की 33वीं पुण्यतिथि पर उनकी ट्रेनर रही वेंडी सू कनेक्ट तीसवें नीरजा भनोट पुरस्कार समारोह की अध्यक्षता के लिए अमरीका से चंडीगढ़ आईं। नीरजा का परिवार उनकी पुण्यतिथि पर हर वर्ष इस समारोह का आयोजन करता है।
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