बॉलीवुड में अपने जमाने की खूबसूरत अदाकारा एवं मशहूर अभिनेत्री नरगिस दत्त की आज 1 जून को 94वीं बर्थ एनिवर्सरी है। उन्होंने बॉलीवुड में ‘मदर इंडिया’, ‘आवारा’, ‘श्री 420’ जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में अभिनय से दर्शकों के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ीं। नरगिस की एक फिल्म ‘मदर इंडिया’ को ऑस्कर के लिए भी नामित किया गया था। उन्होंने हिंदी सिनेमा में अपने शानदार अभिनय के लिए ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’ भी जीते थे। इस अवसर पर जानिए दिग्गज अभिनेत्री नर्गिस दत्त के जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
फातिमा रशीद था नरगिस का असल नाम
नरगिस दत्त का असल नाम फातिमा रशीद था। उनका जन्म 1 जून, 1929 को बंगाल प्रांत के कोलकाता में हुआ था। उनके पिता अब्दुल रशीद, जो पहले एक ब्राह्मण हुआ करते थे। उनका मूल नाम मोहनचंद उत्तमचंद था और वह मूल रूप से पंजाब प्रांत के रावलपिंडी के एक धनी व्यक्ति थे। बाद में उन्होंने इस्लाम कबूल कर लिया। उनकी माता जद्दनबाई थीं, जो एक हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत गायिका थी और भारतीय सिनेमा से भी जुड़ी हुई थीं।
हादसे में बचाने वाले शख्स से हुआ प्यार
फिल्म ‘मदर इंडिया’ की शूटिंग के दौरान सेट पर लग गई थी। आग में फंसी अभिनेत्री नरगिस को अभिनेता सुनील दत्त ने अपनी जान पर खेल कर बचाई थी। इसके बाद दोनों के बीच प्यार परवान पर चढ़ा और 11 मार्च, 1958 को दोनों विवाह के बंधन में बंध गये। विवाह के बाद ही नरगिस दत्त ने बॉलीवुड को अलविदा कह दिया और अपने परिवार को संभालने में लग गईं।
इन दोनों के तीन बच्चे हैं, जिनमें एक बेटा अभिनेता संजय दत्त और दो बेटियां नम्रता और प्रिया दत्त हैं। संजय दत्त भी अपने माता-पिता की तरह ही बॉलीवुड में एक सफल अभिनेता हैं। नम्रता ने बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता राजेंद्र कुमार के बेटे कुमार गौरव से शादी कीं। वहीं, प्रिया दत्त कांग्रेस की सदस्य हैं और दो बार कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज कर लोकसभा पहुंच चुकी हैं।
विवाह के बाद फिल्मों से बना ली थी दूरी
नरगिस दत्त ने 6 वर्ष की उम्र में ‘तलाश-ए-हक’ (1935) नामक फिल्म में बाल कलाकार की भूमिका निभाईं। इसी फिल्म में उनका नाम बेबी नरगिस पड़ा था। अभिनेत्री के तौर पर उनका बॉलीवुड कॅरियर चौदह वर्ष की उम्र में निर्देशक महबूब खान की फिल्म ‘तकदीर’ से शुरू हुआ। उन्होंने 1940 और 1950 के दशक में कई बॉलीवुड फिल्मों के शानदार अभिनय किया। इनमें ‘बरसात’ (1949), ‘अंदाज़’ (1949), ‘जोगन’ (1950), ‘आवारा’ (1951), ‘दीदार’ (1951), ‘अंजाने’ (1952), ‘श्री 420’ (1955) और ‘चोरी चोरी’ (1956) जैसी प्रमुख फिल्में शामिल हैं।
नरगिस ने विवाह के बाद से ही फिल्मों से दूरी बना ली थी, जिसके कारण 60 के दशक में वह फिल्मों में कभी-कभार ही नजर आईं। इस दौरान उनके द्वारा की गई कुछ फिल्मों में से एक ‘रात और दिन’ (1967) थी, जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का ‘राष्ट्रीय फिल्म फेयर अवॉर्ड’ मिला।
पहली ऐसी अभिनेत्री जिन्हें ‘पद्मश्री पुरस्कार’ से नवाजा
नरगिस दत्त बॉलीवुड सिनेमा की पहली ऐसी अभिनेत्री थी, जिन्हें ‘पद्मश्री पुरस्कार’ से नवाजा गया। सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री की श्रेणी में ‘राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार’ हासिल करने वाली अभिनेत्रियों में भी वह पहली अभिनेत्री थी। मुंबई में बांद्रा स्थित एक सड़क भी उनके नाम पर हैं। प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में राष्ट्रीय एकता पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्म को ‘नरगिस दत्त पुरस्कार’ दिया जाता है।
फिल्मों के बाद समाज सेवा का भी किया काम
नरगिस दत्त हिन्दी सिनेमा से दूरी बनाने के बाद समाज सेवा में सक्रिय हुईं। उन्होंने नेत्रहीन और विशेष बच्चों के लिए काम किया। वह ‘द स्पास्टिक्स सोसाइटी ऑफ इंडिया’ की पहली संरक्षक बनीं। उन्होंने अजंता कला सांस्कृतिक दल बनाया, जिसमें तब के नामी कलाकार-गायक सरहदों पर जा कर तैनात सैनिकों का हौसला बढ़ाते थे और उनका मनोरंजन करते थे। बांग्लादेश बनने के बाद वर्ष 1971 में उनका दल पहला था, जिसने वहां कार्य किया था। उनको वर्ष 1981-82 में राज्यसभा के लिए नामित किया गया, लेकिन कैंसर होने के कारण उनकी कार्यकाल के दौरान ही मृत्यु हो गई थी।
कैंसर ने छीन ली थी दिग्गज अभिनेत्री की जान
भारतीय हिन्दी सिनेमा में अपने अभिनय से लाखों दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाने वाली इस अदाकारा का 3 मई, 1981 को 51 वर्ष की उम्र में पेंक्रियाटिक कैंसर की वजह से निधन हुआ। वर्ष 1982 में उनकी याद में नर्गिस दत्त मेमोरियल कैंसर फाउंडेशन की स्थापना की गईं।
सुनील दत्त को करनी पड़ी थी बस में कंडक्टरी, रेडियो जॉकी की नौकरी करते मिला फिल्मों में काम