ये हुआ था

अपने समय की सबसे महंगी अभिनेत्री सुरैया को ताउम्र मुकम्मल नहीं हुआ था प्यार

अपने जमाने की मशहूर गायिका और एक्ट्रेस सुरैया की 31 जनवरी को 19वीं डेथ एनिवर्सरी है। उन्होंने अपने दमदार अभिनय और सुरीली आवाज से बॉलीवुड में चार दशक तक सिने प्रेमियों को अपना दीवाना बनाए रखा। सुरैया की अदाएं और भाव भंगिमाएं उनकी गायकी की सबसे बड़ी खूबी थी। वह हिन्दी सिनेमा में अभिनेत्री के साथ पार्श्व गायिका भी थी और वह बॉलीवुड में वर्ष 1936 से 1963 तक सक्रिय रहीं। इस मौके पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ रोचक किस्से…

जन्मी पाकिस्तान में… पर भारत में बसी

सुरैया जमाल शेख का जन्म 15 जून, 1929 को पंजाब के गुजरांवाला नामक स्थान पर हुआ, जो वर्तमान पाकिस्तान में है। वह उसके माता-पिता की इकलौती संतान थी। सुरैया का बचपन से ही संगीत के प्रति लगाव था, जिसकी बदौलत वह बॉलीवुड में एक मशहूर पार्श्व गायिका के रूप में उभरी। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के न्यू गर्ल्स हाई स्कूल में संपन्न हुई। सुरैया ने अपने अभिनय और गायकी से हर कदम पर खुद को साबित किया। सुरैया को हिंदुस्तान से बेइंतहा प्यार था। वर्ष 1947 में देश की आजादी के बाद नूरजहां और खुर्शीद बानो ने पाकिस्तान की नागरिकता ले ली, लेकिन सुरैया यहीं रही।

बाल कलाकार के रूप में शुरू किया करियर

सुरैया की बॉलीवुड में एंट्री बड़े ही रोचक अंदाज में हुई। उन्हें हिन्दी फिल्मों में लाने का श्रेय उनके चाचा और गुजरे जमाने के मशहूर खलनायक जहूर को जाता है। वर्ष 1937 में सुरैया को उनके चाचा की वजह से फिल्म ‘उसने क्या सोचा’ में बाल कलाकार की भूमिका निभाने का मौका मिला।

वर्ष 1941 में स्कूल की छुट्टियों के दौरान वह ‘ताजमहल’ फिल्म की शूटिंग देखने मोहन स्टूडियो गईं। वहां उनकी मुलकात फिल्म के निर्देशक नानूभाई वकील से हुई जिन्हें सुरैया में फिल्म इंडस्ट्री का एक उभरता हुआ सितारा नजर आया। उन्होंने सुरैया को फिल्म में मुमताज महल के बचपन के रोल के लिए चुन लिया।

आकाशवाणी रेडियो के एक कार्यक्रम के दौरान संगीत सम्राट नौशाद ने जब सुरैया को गाते सुना तब वह उनके गाने के अंदाज से काफी प्रभावित हुए। नौशाद के संगीत निर्देशन मे पहली बार कारदार साहब की फिल्म ‘शारदा’ में सुरैया को गाने का मौका मिला।

केएल सहगल भी हुए मुरीद

वर्ष 1946 में सुरैया को महबूब खान की फिल्म ‘अनमोल घड़ी’ में काम करने का मौका मिला। हालांकि सुरैया इस फिल्म मे सहअभिनेत्री थी, लेकिन फिल्म के एक गाने ‘सोचा था क्या, क्या हो गया’ से वह बतौर पार्श्व गायिका श्रोताओं के बीच अपनी पहचान बनाने में काफी हद तक सफल रही।

जब वह निर्माता जयंत देसाई की फिल्म ‘चन्द्रगुप्त’ के एक गाने का रिहर्सल कर रही थी, जिससे केएल सहगल काफी प्रभावित हुए और उन्होंने जयंत देसाई से सुरैया को फिल्म ‘तदबीर’ में काम देने की सिफारिश की। वर्ष 1945 में प्रदर्शित तदबीर में के एल सहगल के साथ काम करने से उनकी पहचान धीरे-धीरे बॉलीवुड में बनती गई।

वर्ष 1949-50 सुरैया के कॅरियर में उपलब्धियों वाला रहा। वह अपने जमाने की अभिनेत्रियों नरगिस और कामिनी कौशल से बहुत आगे निकल गई। इसका मुख्य कारण यह था कि सुरैया अभिनय के साथ साथ एक गायिका भी गाती थी। ‘प्यार की जीत’, ‘बड़ी बहन’ और ‘दिल्लगी’ जैसी फिल्मों की कामयाबी के बाद सुरैया शोहरत की बुलंदियों पर जा पहुंचीं।

देवानंद से बेइंतहा मोहब्बत

सुरैया के फिल्मी कॅरियर में उनकी जोड़ी सबसे सफल फिल्म अभिनेता देवानंद के साथ रही। इस जोड़ी ने कई सफल फिल्में दी उनमें प्रमुख थी जीत, शायर, अफसर, नीली और दो सितारे। वर्ष 1950 में प्रदर्शित फिल्म ‘अफसर’ के निर्माण के दौरान देवानंद का झुकाव सुरैया की ओर हो गया था। एक गाने की शूटिंग के दौरान देवानंद और सुरैया की नाव पलट गयी। देवानंद ने सुरैया को डूबने से बचाया।

इसके बाद सुरैया देवानंद से बेइंतहा मोहब्बत करने लगी लेकिन सुरैया की नानी की इजाजत न मिलने पर यह जोड़ी परवान नहीं चढ़ सकी। वर्ष 1954 में देवानंद ने उस जमाने की मशहूर अभिनेत्री कल्पना कार्तिक से शादी कर ली। इससे आहत सुरैया ने आजीवन कुंवारी रहने का फैसला कर लिया।

वर्ष 1950 से लेकर 1953 तक सुरैया का फिल्मी दौर बहुत बुरा गुजरा, लेकिन वर्ष 1954 में प्रदर्शित फिल्म ‘मिर्जा गालिब’ और ‘वारिस’ से सुरैया एक बार फिर से फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गयी।

फिल्म ‘मिर्जा गालिब’ को राष्ट्रपति के गोल्ड मेडल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। फिल्म को देख तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी भावुक हो गये और उन्होंने सुरैया को कहा, ‘तुमने मिर्जा गालिब की रूह को जिंदा कर दिया।’ वर्ष 1993 में प्रदर्शित फिल्म रुस्तम सोहराब के प्रदर्शन के बाद सुरैया ने खुद को फिल्म इंडस्ट्री से अलग कर लिया।

सबसे अधिक पारिश्रमिक लेने वाली अभिनेत्री बनी

1948 से 1951 तक केवल तीन वर्ष के दौरान सुरैया ही ऐसी महिला कलाकार थी, जिन्हें बॉलीवुड में सर्वाधिक पारिश्रमिक दिया जाता था। हिन्दी फ़िल्मों में 40 से 50 का दशक सुरैया के नाम कहा जा सकता है।

निधन

लगभग तीन दशक तक अपनी जादुई आवाज और अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने वाली सुरैया ने 31 जनवरी 2004 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। सुरैया भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका अभिनय, उनका संगीत हमेशा हम सबको उनकी याद दिलाता रहेगा।

Read: प्रीति जिंटा ने सुपरहिट फिल्म से ली थी बॉलीवुड में एंट्री, विदेशी बिजनेसमैन से की है शादी

Raj Kumar

Leave a Comment

Recent Posts

रोहित शर्मा ने कप्‍तान हार्दिक पांड्या को बाउंड्री पर दौड़ाया।

रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्‍तान हार्दिक पांड्या…

1 year ago

राजनाथ सिंह ने अग्निवीर स्कीम को लेकर दिया संकेत, सरकार लेगी बड़ा फैसला

अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…

1 year ago

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…

1 year ago

प्रशांत किशोर ने कि लोकसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…

1 year ago

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए नामित, PM मोदी बोले – आपका स्वागत है….

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…

1 year ago

कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने थामा भाजपा दामन, संदेशखाली पर बोले – महिलाओं के साथ बुरा हुआ है…

कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…

1 year ago